मनोज तिवारी ने दिल्ली सरकार दी धमकी, कहा- रविवार को खजूरी चौक पर धरना देंगे

उत्तर पूर्वी दिल्ली के सांसद एवं प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष मनोज तिवारी ने शुक्रवार को दिल्ली सरकार पर दोहरे तौर पर हमला किया। एक ओर उन्होंने सिग्नेचर ब्रिज के निर्माण में देरी होने पर दिल्ली सरकार के खिलाफ आंदोलन करने का एलान किया है। वहीं दूसरी ओर उन्होंने विधानसभा अध्यक्ष के दिल्ली उच्च न्यायालय को लिखे पत्र को लेकर दिल्ली सरकार को कटघरे में खड़ा किया।

मनोज तिवारी ने कहा कि पार्टी नेताओं, कार्यकर्ताओं और स्थानीय लोगों के साथ वह रविवार को खजूरी चौक पर धरना देंगे। इसके बाद प्रत्येक दिन उनके संसदीय क्षेत्र के तहत आने वाले विधानसभा क्षेत्रों के नेता एवं कार्यकर्ता बारी-बारी से धरने में शामिल होंगे। उन्होंने आरोप लगाया कि सिग्नेचर ब्रिज के निर्माण में भ्रष्टाचार की गुंजाइश पैदा की जा रही है, 459 करोड़ की लागत से बनने वाला सिग्नेचर ब्रिज 14 वर्ष में भी पूरा नहीं हो सका। इस कारण उसकी लागत डेढ़ हजार करोड़ को पार कर गई है।
उन्होंने कहा कि 14 वर्ष में तो भगवान राम का वनवास भी खत्म हो गया था, लेकिन उत्तर पूर्वी दिल्ली की जनता दिल्ली की विभिन्न सरकारों के पाप का दंश आज भी झेल रही है। घंटों के जाम से परेशान उत्तरी पूर्वी दिल्ली के लोग अब असहनीय पीड़ा से मुक्ति चाहते हैं।
दूसरी ओर तिवारी ने आरोप लगाया कि आम आदमी पार्टी एवं उसकी सरकार ने लगातार दिल्ली की जनता को अपनी अराजक कार्य प्रणाली से शर्मसार किया है। आप ने दिल्ली की प्रशासकीय एवं संविधानिक व्यवस्था के साथ-साथ संसदीय एवं न्यायिक व्यवस्था को भी अराजकता की भेंट चढ़ाया है। वहीं दूसरी ओर सरकार ने विधानसभा में विपक्ष की आवाज को दबाने और अराजक बिलों को सदन में पारित कर विवाद खड़े करने को किया।
उन्होंने कहा कि विधानसभा के इस दुरुपयोग में विधानसभा अध्यक्ष रामनिवास गोयल की भूमिका पर लगातार सवाल उठते रहे हैं, मगर हाल ही में जिस तरह विधानसभा अध्यक्ष के दिल्ली उच्च न्यायालय को पत्र लिखने का मामला सामने आया है उसने सभी को अचंभित किया। यह पत्र लोकतंत्र के दो स्तंभों न्यायपालिका एवं विधानसभा के रिश्तों पर आघात है। उन्हें अपने पद से त्यागपत्र देना चाहिए।
उन्होंने कहा कि विधानसभा के इस दुरुपयोग में विधानसभा अध्यक्ष रामनिवास गोयल की भूमिका पर लगातार सवाल उठते रहे हैं, मगर हाल ही में जिस तरह विधानसभा अध्यक्ष के दिल्ली उच्च न्यायालय को पत्र लिखने का मामला सामने आया है उसने सभी को अचंभित किया। यह पत्र लोकतंत्र के दो स्तंभों न्यायपालिका एवं विधानसभा के रिश्तों पर आघात है। उन्हें अपने पद से त्यागपत्र देना चाहिए।