मथुरा हिंसा: SC ने खारिज की CBI जांच की मांग, बताओ कहां हो रही जांच में ढिलाई?

supreme_court_101213एजेंसी/ मथुरा हिंसा को लेकर सीबीआई जांच की मांग करने वाली याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह मामला अभी इलाहाबाद हाईकोर्ट में लंबित है.

सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया कि मामला हाईकोर्ट में है, इसलिए हम अभी कुछ नहीं कर सकते. कोर्ट ने कहा कि इस मामले की जांच अभी राज्‍य सरकार कर रही है. केंद्र सरकार इसकी सीबीआई जांच नहीं करा सकती. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यचिकाकर्ता हाईकोर्ट में अर्जी दे सकते हैं.

सबूत दो कि जांच में बरती जा रही ढिलाई
याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा, ‘क्या कोई सबूत है की उत्तर प्रदेश सरकार जांच में ढिलाई बरत रही है. जब तक इस बात का कोई सबूत नहीं है हम इसमें दखल नहीं देंगे. राज्य सरकार इस मामले की जांच करवा रही है और ऐसे में केंद्र भी जबरदस्ती सीबीआई जांच थोप नहीं सकता.

जवाहर बाग पीड़ितों को कम मुआवजा क्यों?
याचिका में ये भी कहा गया था की प्रतापगढ़ के कुंडा में डीएसपी जिया उल हक और अखलाक को समाजवादी सरकार ने ज्यादा मुआवजा दिया जबकि जवाहर बाग में मारे गए पुलिसकर्मियों को मुआवजा कम दिया गया. याचिकाकर्ता ने मांग की है की मुआवजे को लेकर एक समान नीति होनी चाहिए. सुप्रीम कोर्ट उत्तर प्रदेश सरकार और केंद्र सरकार को भी इसके लिए निर्देश दे.

बीजेपी के नेता ने की थी सीबीआई जांच की मांग
सुप्रीम कोर्ट में बीजेपी के नेता अश्विनी उपाध्याय ने मथुरा हिंसा की सीबीआई जांच की मांग करने संबंधी याचिका दायर की थी. घटना में दो पुलिस अधिकारियों सहित 29 लोगों की जान चली गई थी और बड़े पैमाने पर संपत्ति को नुकसान पहुंचा था. याचिका में आरोप लगाया गया है कि जय गुरुदेव का अनुयायी रहा स्वाधीन भारत विधिक सत्याग्रह का नेता राम वृक्ष यादव उत्तर प्रदेश सरकार के शक्तिशाली लोगों की मिलीभगत से समानांतर सरकार चला रहा था. याचिका के मुताबिक, ‘स्थानीय निवासी मानते थे कि यादव उत्तर प्रदेश सरकार में कुछ मंत्रियों के बेहद करीब था, इसलिए स्थानीय प्रशासन उसके खिलाफ कार्रवाई नहीं करना चाहता था.’

याचिका में कहा गया है कि यह हिंसा के मामले की जांच सीबीआई को सौंपने के लिए स्पष्ट आधार है. याचिका में सीबाआई जांच के अलावा ऐसी परिस्थितियों में मृतकों के परिवारों को मुआवजा देने के लिए केंद्र सरकार को एक समान नीति तैयार करने का निर्देश देने की भी मांग की गई है.

 

गौरतलब है कि बीजेपी एक नेता की ओर से दायर की गई याचिका पर न्यायमूर्ति पिनाकी चंद्र घोष तथा न्यायमूर्ति अमिताभ रॉय की अवकाशकालीन पीठ ने मामले की सुनवाई मंगलवार को करने पर सहमति जताई थी. इससे पहले अधिवक्ता कामिनी जायसवाल ने मामले को उठाते हुए इस पर जल्द सुनवाई की आवश्यकता जताई थी.

अवैध कब्जा हटाने पुलिस के पहुंचने पर हुई हिंसा
मथुरा में हिंसा की यह घटना दो जून की है, जब पुलिस इलाहाबाद उच्च न्यायालय के आदेश पर उत्तर प्रदेश में मथुरा के जवाहरबाग में अवैध कब्जा हटाने पहुंची थी. बाग पर स्वाधीन भारत विधिक सत्याग्रह के सदस्यों ने कब्जा कर रखा था.

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