लंबी लड़ाई के बाद अब स्पेन से अलग होकर कैटेलोनिया बनेगा आजाद मुल्क
कैटेलोनिया लंबी लड़ाई के बाद स्पेन से अलग होकर आजाद मुल्क बन गया है. कैटेलोनिया की संसद में मतदान के बाद स्वतंत्रता की घोषणा की गई है. वहीं, शुक्रवार को ही स्पेन की संसद कैटेलोनिया पर सीधे नियंत्रण बनाए रखने के लिए मतदान कराने की योजना में थी, लेकिन उससे पहले ही कैटेलोनिया की संसद ने मतदान कर इसकी घोषणा कर दी. हालांकि बाद में स्पेन की संसद में मसले को लेकर बैठक हुई और स्पेन को कैटेलोनिया पर सीधे नियंत्रण करने की शक्ति दी गई.
स्पेन के पीएम ने कैटलोनिया की संसद को भंग किया
दूसरी तरफ स्पेन के पीएम ने कैटलोनिया की संसद को भंग करके वहां 21 दिसंबर को क्षेत्रीय चुनाव कराने की घोषणा की है. यानी अब कैटेलोनिया के भविष्य पर पूरी तरह से मुहर 21 दिसंबर को ही लगेगी. इससे ऐसा लगता है कि स्पेन में अभी संवैधानिक संकट बना हुआ है.
75 लाख की आबादी वाले कैटेलोनिया की राजधानी बार्सलोना है. इससे पहले स्पेन की सरकार ने कैटेलोनिया के अलगाववादी नेता को आगाह किया था कि कानूनी व्यवस्था में लौटने के लिए उनके पास तीन दिन का समय है. स्पेन की सरकार की ओर से तय शुरुआती समय सीमा को लेकर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कैटेलोनिया के राष्ट्रपति चार्ल्स पुइगदेमोंत ने स्पैनिश प्रधानमंत्री मारियानो राजोय के साथ बातचीत का आह्वान किया था. साथ ही उन्होंने मैड्रिड की ओर से ‘हां या ना’ में जवाब देने की मांग पर कुछ नहीं कहा था.
शुक्रवार सुबह मारियानो राजोय ने सीनेट से कैटेलोनिया के अधिकारियों को बर्खास्त करने को कहा था. हालांकि कैटेलोनिया की संसद की ओर से आजादी की घोषणा करने के बाद राजोय ने स्पेन के लोगों से शांति बनाए रखने को कहा है. उन्होंने कहा कि कैटेलोनिया में जल्द ही कानून व्यवस्था दुरुस्त कर ली जाएगी. दरअसल, आर्थिक मंदी और सार्वजनिक खर्चों में कटौती के बाद से कैटेलोनिया की आजादी की मांग तेज हो गई थी.
ये भी पढ़ें: अब WhatsApp में Send किये हुए मैसेज ऐसे कर सकते है वापस, आया नया फीचर
वहीं, कैटेलोनिया की राजधानी बार्सिलोना में संसद के बाहर लगी स्क्रीन में लोग लगातार मतदान की प्रक्रिया पर नजर रखे रहे. जैसे ही कैटेलोनिया को आजाद मुल्क घोषित किए जाने के पक्ष में प्रस्ताव पास हुआ, वैसे ही सभी खुशी से झूम गए.
साल 2015 में अलगाववादियों ने किया था वादा
स्पेन में साल 2015 के चुनाव में कैटेलोनिया अलगाववादियों को जीत मिली थी. इस चुनाव के दौरान ही इन्होंने कैटेलोनिया को आजाद कराने के लिए जनमत संग्रह कराने का वादा किया था. साल 1977 में तानाशाही से उबरने के बाद से यह स्पेन में सबसे बड़ा राजनीतिक संकट माना जा रहा था. हालांकि स्पेन के नेतृत्व ने इस जनमत संग्रह को खारिज कर दिया था. दूसरी तरफ अदालतों ने भी इसे रोकने को कहा था. इस मसले को लेकर स्पेन पुलिस ने कैटेलोनिया के कई अधिकारियों को गिरफ्तारी भी की थी.
कड़े विरोध के बाद भी हुआ था जनमत संग्रह
स्पेन से अलग होने के लिए सरकार के कड़े विरोध के बावजूद कैटेलोनिया में जनमत संग्रह हुआ था. जनमत संग्रह के दौरान काफी हिंसा हुई थी और लोग सड़क पर उतर आए थे. जनमत संग्रह के बाद कैटेलोनिया प्रशासन ने घोषणा कर बताया था कि जनमत संग्रह में भाग लेने वाले 90 फीसदी लोग स्पेन से अलग होना चाहते हैं. वहीं, स्पेन का कहना था कि देश की संवैधानिक अदालत ने इस जनमत संग्रह को अवैध करार दिया है. प्रधानमंत्री मारियानो रहोई ने कहा था कि जनमत संग्रह हुआ ही नहीं है. हालांकि इसके बावजूद आज कैटालोनिया अलग होकर आजाद मुल्क बन गया.
यह है कैटेलोनिया का इतिहास
स्पेन के सबसे समृद्ध इलाकों में शुमार कैटेलोनिया का करीब एक हजार साल पुराना इतिहास है. स्पेन में गृहयुद्ध से पहले इसे स्वायत्तता मिली थी. साल 1939 से 1975 के बीच जनरल फ्रांसिस्को फ्रैंको के नेतृत्व में कैटेलोनिया की इस स्वायत्तता को खत्म कर दिया गया था. हालांकि जब फ्रैंको की मौत हो गई, तो कैटेलोनिया को आजाद करने की फिर से मांग उठने लगी.
ये भी पढ़ें: डोनाल्ड ट्रम्प ने पाकिस्तान पर फिर कसा सिकंजा, कहा- आतंकवाद खत्म करो नहीं तो हम दिखायेंगे दम
इसका नतीजा यह हुआ कि साल 1978 के संविधान में इसके पूर्वोत्तर इलाकों को फिर से स्वायत्तता देनी पड़ी. इसके बाद साल 2006 में एक अधिनियम के तहत कैटेलोनिया की शक्तियों में इजाफा कर दिया गया. इस बीच कैटेलोनिया का आर्थिक दबदबा बढ़ा और वह एक राष्ट्र के रूप में देखा जाने लगा. हालांकि यह ज्यादा दिन नहीं रही और स्पेन की कोर्ट ने साल 2010 में सारी शक्तियां वापल ले ली, जिससे कैटेलोनिया प्रशासन नाराज हो गया था.