गुजरात विधानसभा चुनाव में देरी को लेकर EC ने दी सफाई, कहा इस कारण से हुई देरी

देश के मुख्य चुनाव आयुक्त अचल कुमार जोती ने आज हिमाचल प्रदेश और गुजरात विधानसभा चुनाव एकसाथ न करवाने के पीछे के कारण बताए। मुख्य चुनाव आयुक्त ने बताया कि दोनों राज्यों में चुनाव की तारीखों का फैसला करने से पहले कई परिस्थितियों पर ध्यान दिया गया, उसी के बाद यह निर्णय लिया गया कि एक साथ दोनों राज्यों के चुनाव तारीखों का ऐलान नहीं होगा।विधानसभा

जोती ने कहा कि हिमाचल प्रदेश के चुनाव आयोग ने केंद्रीय आयोग से राज्य में जल्द चुनाव संपन्न कराने की मांग की थी। वहां के प्रशासन ने भी कहा था कि राज्य में कई क्षेत्र ऐसे है जहां दिसंबर के दौरान ठंड बढ़ जाती है और बर्फबारी भी होती है। ऐसे में चुनाव कराने में प्रशासन को खासी परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। किन्नोर और चंबा जैसे इलाके हिल स्टेशन हैं, ऐसे में यहां कई परेशानियों का सामना करना पड़ता इसलिए प्रदेश चुनाव आयोग ने दिसंबर से पहले चुनाव कराने को कहा।

गुजरात में देरी के कारण

आयोग ने कहा कि गुजरात चुनाव की तारीखों में देरी का एक तो मुख्य कारण यह है कि इससे हिमाचल में आने वाले नतीजों का प्रभाव वहां न पड़े। वहीं आयोग ने दूसर कारण वहां आई बाढ़ को बताया। आयोग के मुताबिक बाढ़ से करीब करीब 200 लोगों की जान गई है, ऐसे में प्रशासन अभी वहां क्षति पूर्ती में लगा हुआ है। काफी सरकारी अधिकारी अभी बाढ़ ग्रसित राज्यों के सुधार में जुटे हुए हैं, ऐस में उनको अचानक चुनावों की ड्यूटी मेंं लगा देने से पीड़ित लोगों काी मदद में देरी होगी और अगर आचार संहिता लग गई तो सभी सरकारी अधिकारियों को सुधार कार्य छोड़कर चुनाव की तैयारियों में जुटना पड़ेगा।

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हिमाचल-गुजरात अलग-अलग राज्य

जोती ने कहा कि वैसे भी दोनों राज्य कई मायनों से अलग हैं जिस कारण वहां चुनाव अलग-अलग हो रहे हैं। चुनाव उन राज्यों में एक साथ होते हैं जो कहीं न कहीं एक-दूसरे के साथ जुड़े हों। हमने यही ध्यान में रखा कि एक राज्य का वोटिंग पैटर्न दूसरे राज्य के वोटिंग पैटर्न को प्रभावित न करे, इसलिए हिमाचल में वोटों की गिनती 18 दिसंबर होगी।

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