इसलिए मोदी सरकार ने भी माना, GST की टैक्स दरों में पूरी तरह से फेरबदल की जरूरत

राजस्व सचिव हसमुख अढिया का कहना है कि छोटे और मध्यम व्यापारियों पर जीएसटी का दबाव कम करने के लिए में इसकी कर दरों को नए सिरे से व्यवस्थित किए जाने की जरूरत है।आखिरकार मोदी सरकार ने भी माना, GST की टैक्स दरों में पूरी तरह से फेरबदल की जरूरत
अढिया ने एक इंटरव्यू में कहा कि जीएसटी जिसमें एक दर्जन से अधिक केंद्र और राज्य कर शामिल हैं, जिन्हें स्थिर होने में करीब एक साल लगेगा। लागू होने के करीब चार महीने में नई अप्रत्यक्ष कर प्रणाली में समस्याएं और अनुपालन से जुड़े मुद्दे सामने आए हैं। इस संबंध में नई प्रणाली से जुड़े निर्णय लेने वाली सर्वोच्च संस्था जीएसटी काउंसिल ने कई बदलाव किए हैं।

जीएसटी रिटर्न फाइल करने और करों का भुगतान करने में छोटे और मझोले व्यवसायियों की परेशानियों को हल करने और नई कर प्रणाली को इंडस्ट्री फ्रेंडली बनाने के लिए विभिन्न पक्षों में सुधार किया जा रहा है। जीएसटी काउंसिल ने 100 से अधिक वस्तुओं पर कर दरों को युक्तिसंगत बनाया है और निर्यातकों को रिफंड की प्रक्रिया को आसान बनाया जा रहा है।

राजस्व सचिव ने कहा, ‘इसमें पूरी तरह से बदलाव की जरूरत है… यह संभव है समान चैप्टर से कुछ वस्तुओं को विभाजित किया जाए। यहां वस्तुओं के चैप्टरवाइज समानीकरण करने की आवश्यकता है। इसमें जहां यह लगे कि छोटे और मझोले व्यवसायियों और आम आदमी पर कर के बोझ को कम किया जा सकता है, हमें कमी लानी होगी। इससे जीएसटी का सही ढंग से अनुपालन संभव होगा।’ 

जीएसटी काउंसिल पहले ही कुछ वस्तुओं के समानीकरण करने संबंधी अप्रोच पेपर को मंजूरी दे चुका है लेकिन यह बाध्यकारी नहीं है। अढिया ने कहा कि कमेटी अपने सुझावों को जल्द से जल्द परिषद के सामने लाएगी। 

ये भी पढ़े: राहुल गांधी ने वसुंधरा राजे पर फिर किया तंज, कहा- हम 21वीं सदी में हैं, यह 2017 है, 1817 नहीं

केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली की अध्यक्षता व सभी राज्यों के प्रतिनिधियों की मौजूदगी में जीएसटी परिषद की 23वीं बैठक 10 नवंबर को गुवाहाटी में होनी है।

 
Back to top button