ऐसे करें हनुमानजी का पूजन
कलयुग मे सर्वाधिक हनुमान जी की पूजा की जाती है। क्योकि उन्हे कलयुग का जीवंत देवता माना गया है। धर्म शास्त्रों के अनुसार चैत्र मास की पूर्णिमा के दिन भगवान हनुमान का जन्म हुआ था। इस पर्व को हनुमान जयंती के रूप में मनाया जाता है।
पूजन विधि
हनुमानजी का पूजन करते समय सबसे पहले कंबल या ऊन के आसन पर पूर्व दिशा की ओर मुख करके बैठ जाएं। हनुमानजी की मूर्ति स्थापित करें। इसके पश्चात हाथ में चावल व फूल लें व इस मंत्र से हनुमानजी का ध्यान करें।
अतुलितबलधामं हेमशैलाभदेहं
दनुजवनकृशानुं ज्ञानिनामग्रगण्यं।
सकलगुणनिधानं वानराणामधीशं
रघुपतिप्रियभक्तं वातजातं नमामि।।
ऊँ हनुमते नम: ध्यानार्थे पुष्पाणि सर्मपयामि।।
इसके बाद चावल व फूल हनुमानजी को अर्पित कर दें। हाथ में फूल लेकर इस मंत्र का उच्चारण करते हुए श्री हनुमानजी का आवाह्न करें एवं उन फूलों को हनुमानजी को अर्पित कर दें।
उद्यत्कोट्यर्कसंकाशं जगत्प्रक्षोभकारक।
श्रीरामड्घ्रिध्याननिष्ठं सुग्रीवप्रमुखार्चित।।
विन्नासयन्तं नादेन राक्षसान् मारुतिं भजे।
ऊँ हनुमते नम: आवाहनार्थे पुष्पाणि समर्पयामि।।
इस मंत्र से हनुमानजी को आसन अर्पित करें।
तप्तकांचनवर्णाभं मुक्तामणिविराजित।
अमलं कमलं दिव्यमासनं प्रतिगृह्यता।।
आसन के लिए कमल अथवा गुलाब का फूल अर्पित करें। इसके बाद इन मंत्रों का उच्चारण करते हुए हनुमानजी के सामने किसी बर्तन अथवा भूमि पर तीन बार जल छोड़ें।
ऊँ हनुमते नम:, पाद्यं समर्पयामि।।
अध्र्यं समर्पयामि। आचमनीयं समर्पयामि।।
इसके बाद हनुमानजी की मूर्ति को गंगाजल से अथवा शुद्ध जल से स्नान करवाएं तत्पश्चात पंचामृत,घीए शहद, शक्कर, दूध व दही से स्नान करवाएं। पुन: एक बार शुद्ध जल से स्नान करवाएं। अब इस मंत्र से हनुमानजी को वस्त्र अर्पित करें व वस्त्र के निमित्त मौली चढ़ाएं
शीतवातोष्णसंत्राणं लज्जाया रक्षणं पर।
देहालकरणं वस्त्रमत: शांति प्रयच्छ मे।।
ऊँ हनुमते नम: वस्त्रोपवस्त्रं समर्पयामि।
इसके बाद हनुमानजी को गंध, सिंदूर, कुंकुम, चावल, फूल व हार अर्पित करें। अब इस मंत्र के साथ हनुमानजी को धूप-दीप दिखाएं।
साज्यं च वर्तिसंयुक्तं वह्निना योजितं मया।
दीपं गृहाण देवेश त्रैलोयतिमिरापह।।
भक्त्या दीपं प्रयच्छामि देवाय परमात्मने।।
त्राहि मां निरयाद् घोराद् दीपज्योतिर्नमोस्तु ते।।
ऊँ हनुमते नम:, दीपं दर्शयामि।।
इसके बाद केले के पत्ते पर या किसी कटोरी में पान के पत्तों के ऊपर प्रसाद रखें और हनुमानजी को अर्पित कर दें तत्पश्चात ऋतु फल अर्पित करें। प्रसाद में चूरमा, भीगे हुए चने या गुड़ चढ़ाना उत्तम रहता है। अब लौंग इलाइचीयुक्त पान चढ़ाएं। पूजा का पूर्ण फल प्राप्त करने के लिए इस मंत्र को बोलते हुए हनुमानजी को दक्षिणा अर्पित करें।
ऊँ हिरण्यगर्भगर्भस्थं देवबीजं विभावसों:।
अनन्तपुण्यफ लदमत: शांति प्रयच्छ मे।।
ऊँ हनुमते नम:, पूजा साफ ल्यार्थं द्रव्य दक्षिणां समर्पयामि।।
इसके बाद एक थाली में कर्पूर एवं घी का दीपक जलाकर हनुमानजी की आरती करें। इस प्रकार पूजन करने से हनुमानजी अति प्रसन्न होते हैं तथा साधक की हर मनोकामना पूरी करते हैं।