क्रिटिक्स से जोरदार सराहना पाने वाली अमित मासुरकर की फिल्म ‘न्यूटन’ जाएगी ऑस्कर में
क्रिटिक्स से जोरदार सराहना पाने वाली अमित मासुरकर की फिल्म ‘न्यूटन’ ऑस्कर में जाएगी. भारत की तरफ से बेस्ट फॉरेन फिल्म कैटेगरी में इसे नामित किया गया है. फिल्म फेडरेशन ऑफ इंडिया की सिलेक्शन कमेटी ने शुक्रवार को ये अनाउंसमेंट की है. 26 फिल्मों में से न्यूटन को ऑस्कर में भेजने का फैसला लिया गया. राजकुमार राव ने फिल्म में मुख्य किरदार निभाया है.
राजकुमार के अलावा पंकज त्रिपाठी, संजय मिश्रा, अंजलि पाटिल, रघुबीर यादव ने बहे अहम भूमिकाएं की हैं. ये फिल्म 22 सितंबर को करीब 350 स्क्रीन्स पर रिलीज हुई है. इसी दिन रिलीज हुई संजय दत्त की भूमि को करीब 1800 से ज्यादा स्क्रीन्स मिले हैं. राजकुमार राव ने ऑस्कर में फिल्म भेजे जाने खुशी जाहिर की है.
इन फिल्मों से होगा मुकाबला
ऑस्कर में स्वीडन की फिल्म द स्क्वायर, जर्मनी की इन द फेड, कंबोडिया की फर्स्ट दे किल्ड माई फादर, पाकिस्तान की सावन से न्यूटन का होगा. 90वें अकेडमी अवॉर्ड्स का आयोजन 4 मार्च 2018 को लॉस एंजिल्स में होगा. क्रिटिक्स ने फिल्म को 4.5 तक की रेटिंग दी है. फिल्म के डायरेक्शन और सिनेमेटोग्राफी की काफी चर्चा हो रही है. इसके अलावा डायलॉग्स भी प्रभावित करने वाले हैं. सुविधाहीन नक्सली इलाके में इलेक्शन वोटिंग जैसे गंभीर मुद्दे को फिल्म में रोचक तरीके से पेश किया गया है.
इसे भी पढ़े: रिलीज हुआ ‘गोलमाल अगेन’ का चार धमाकेदार पोस्टर
क्या है फिल्म की कहानी
फिल्म की कहानी नूतन कुमार (राजकुमार राव) की है जिसने अपने लड़कियों वाले नाम को दसवीं के बोर्ड में ‘न्यूटन’ लिख कर बदल लिया है. अब सभी लोग उसे न्यूटन के नाम से ही जानते हैं. न्यूटन ने फिजिक्स में एमएससी की पढ़ाई की है. आगामी इलेक्शन में ड्यूटी लगती है जिसके लिए उसे जंगल के नक्सल प्रभावित इलाके में जाकर वोटिंग करवानी पड़ती है. इलेक्शन की तैयारी के लिए न्यूटन की हेल्प संजय मिश्रा करते हैं उसके बाद एक टीम जिसमें लोकनाथ (रघुबीर यादव), मालको (अंजलि पाटिल), पुलिस अफसर आत्मा सिंह (पंकज त्रिपाठी) जंगली इलाके की तरफ बढ़ती है जहां जाने पर पता चलता है की कुल मिलाकर वहां के 76 वोटर्स की चर्चा है लेकिन वोट वाले दिन कोई नहीं आता. कुछ वक्त के बाद चीजें बदलती हैं और अंततः एक ख़ास तरह का रिजल्ट सामने आता है जिसे जानने के लिए आपको फिल्म देखनी पड़ेगी.
ऑस्कर जाने वाली दूसरी भारतीय फ़िल्में
विदेशी भाषा कैटेगरी में ‘न्यूटन’ से पहले अपुर संसार (1959), गाइड (1965), सारांश (1984), नायकन (1987), परिंदा (1989), अंजलि (1990), हे राम (2000), देवदास (2002), हरिचन्द्र फैक्ट्री (2008), बर्फी (2012) और कोर्ट (2015) शामिल है. केवल तीन भारतीय फ़िल्में ही फाइनल लिस्ट तक पहुंची. इनमें महबूब खान की मदर इंडिया (1957), मीरा नायर की सलाम बॉम्बे (1988) और आशुतोष गोवारिकर की लगान (2001) शामिल है.
पहले इन भारतीयों को मिल चुका है ऑस्कर
बीते सालों में जिन भारतीय फिल्मकारों को ऑस्कर पुरस्कार मिल चुका है उनमें सत्यजीत राय से लेकर ए.आऱ. रहमान तक का नाम शामिल है. सबसे पहले सन् 1992 में महान भारतीय फिल्मकार सत्यजीत राय को लाइफटाइम अचीवमेंट’ ऑस्कर अवॉर्ड से नवाजा गया था. इसके बाद भानु अथैया को साल 1982 में आई रिचर्ड एटनबरो की फिल्म ‘गांधी’ में सर्वश्रेष्ठ कॉस्ट्यूम डिजाइन के लिए ऑस्कर अवॉर्ड मिला था. फिर साल 2009 में फिल्म स्लमडॉग मिलिनेयर के लिए ए.आर. रहमान और गुलजार को सर्वश्रेष्ठ संगीत और सर्वश्रेष्ठ गीत के लिए संयुक्त रूप से ऑस्कर अवॉर्ड दिया गया था. इसी फिल्म के लिए रेसुल पोक्कुट्टी को सर्वश्रेष्ठ साउंड मिक्सिंग का ऑस्कर अवॉर्ड मिला था.