भारतीय सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत के इस बयान से चीन हुआ खफा, दी यह प्रतिक्रिया

भारतीय सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत के सलामी स्लाइसिंग वाले बयान पर चीन नाराज हो गया है. चीन ने कहा है कि जब दो दिन पहले चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग और भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दोस्ताना बयानों के बाद इस प्रकार का बयान उस साझा सहयोग की भावना के विपरीत है. चीनी सरकार के प्रवक्ता गेंग शुआंग ने कहा कि अभी हमें यह पता नहीं है कि यह बयान उनका अपना निजी बयान है या फिर भारत सरकार की इसमें सहमति है. Indian Army Chief General Bipin Rawat

बता दें कि बुधवार को भारतीय सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत ने एक बार फिर दो फ्रंट पर युद्ध की संभावना से इनकार नहीं किया था. चीन से पिछले एक दशक में सबसे ज्यादा तनावपूर्ण स्थिति के समाप्त होने के एक हफ्ते के बाद उन्होंने यह बात कही थी. उन्होंने कहा कि उत्तर में चीन और पश्चिम में पाकिस्तान से लड़ाई की संभावना को नकारा नहीं जा सकता. उत्तर की स्थिति पर बोलते हुए उन्होंने कहा था कि चीन ने अपनी ताकत दिखाना शुरू किया है. ‘सलामी स्लाइसिंह’, यानी धीरे-धीरे भूभाग पर कब्जा करना, और दूसरे की सहने की क्षमता को परखना, चिंता का विषय है. हमें इस प्रकार की धीरे-धीरे उभरती स्थिति के लिए तैयार रहना चाहिए. सेना प्रमुख ने चीन के संबंध में यह बात कही थी. 

उन्होंने कहा था कि उत्तर की स्थिति के चलते पश्चिम से पाकिस्तान भी मौके का फायदा उठाना चाहे. उन्होंने चीन और पाकिस्तान की नजदीकी की बात भी कही थी. यह पहली बार नहीं है जब चीन और पाकिस्तान को लेकर सेना प्रमुख ने इस प्रकार से दो फ्रंट पर युद्ध वाला बयान दिया. यह दर्शाता है कि भारत सेना चीन के साथ पनपी स्थिति को लेकर कितनी संवेदनशील है. सेना प्रमुख का यह बयान तब आया था जब चीन में हाल ही भारतीय पीएम नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने सीमा पर विवादों को शांतिप्रिय ढंग से सुलझाने के लिए और प्रयासों पर बल दिया था. शी चिनफिंग ने कहा कि दोनों देशों के लिए यह जरूरी है कि हम सही रास्तों पर चलें.

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बता दें कि जून के मध्य भारतीय सेना ने सिक्किम की सीमा पार कर भूटान के इलाके में डोकलाम पर चीन के सड़क निर्माण कार्य को रोका था. भारत इस मामले में भूटान के दावे के समर्थन में वहां खड़ा था. चीन इस बात से नाराज हुआ और उसने भारत पर उसके भूभाग में घुसने का आरोप लगाया.

भारत ने साफ कहा कि यह नई सड़क उसके उत्तर पूर्व राज्यों के लिए रणनीतिक खतरा पैदा करती है. यहां पर भारत और चीन के सैनिक करीब 70 दिनों तक नॉन कॉम्बैटिव मोड में एक दूसरे के सामने खड़े रहे. बाद में चीन ने सड़क निर्माण का साजोसामान वहां से हटाया और दोनों ओर के सैनिक अपनी अपनी बैरिकों में लौट गए.

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