चीन ने नहीं मानी ट्रंप की बात, कहा बातचीत से निकले हल
उत्तर कोरिया और अमेरिका की दुश्मनी किसी से छुपी हुई नहीं है. साथ ही चीन को भी अमेरिका अपना दुश्मन मानता रहा है. हालांकि उत्तर कोरिया द्वारा हाइड्रोजन बम के परीक्षण के बाद अमेरिका किसी भी तरह उस पर सख्त प्रतिबंध लगाने की कोशिश कर रहा है. इसके लिए उसने चीन से भी बात की. अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाइड्रोजन बम के परीक्षण के बाद उपजे विवादों पर चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से फोन पर बातचीत की. इस बातचीत में चीन के राष्ट्रपति ने अमेरिका के उत्तर कोरिया पर और कड़े प्रतिबंध लगाने की मांग को नहीं माना.
चीन ने बातचीत का रास्ता सुझाया
उत्तर कोरिया के हालिया परमाणु परीक्षण के बाद दोनों नेताओं के बीच की यह पहली फोन कॉल थी. इसी पर चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को बताया कि चीन इस विवाद का समाधान बातचीत और शांति के साथ चाहता है. वहीं अमेरिका के राष्ट्रपति ने कहा कि अमेरिका उत्तर कोरिया के इस कदम से काफी चिंतित है और मानता है कि इस समस्या के समाधान में चीन की अहम भूमिका है. वहीं कुछ दिनों में ट्रंप जापानी प्रधानमंत्री शिंजो आबे से कई बार बात कर चुके हैं. अमेरिकी राजदूत निकी हेली ने सोमवार को कहा था कि हाइड्रोजन बम के परीक्षण के बाद अब संयुक्त राष्ट्र के रक्षा परिषद को उत्तर कोरिया के खिलाफ कड़े कदम उठाने की जरूरत है. हालांकि उसपर चीन ने अपनी सहमति नहीं दी थी. हकीकत यही है कि चीन और नॉर्थ कोरिया के कुछ अलग और खास रिश्ते हैं. इसके बावजूद उत्तर कोरिया के हाइड्रोजन बम के परीक्षण के बाद से चीन पर कड़े कदम उठाने का दबाव बढ़ रहा है.
बढ़ रहा है दबाव
उत्तर कोरिया के हाइड्रोजन बम के परीक्षण पर अमेरिका की तरफ से कड़ी प्रतिक्रिया आई है. अमेरिका ने साफ कहा है कि अब बहुत हो चुका उत्तर कोरिया के खिलाफ कड़े कदम उठाने होंगे. अमेरिकी राजदूत ने संयुक्त राष्ट्र में इस मुद्दे को जोरशोर से उठाया था. उन्होंने उत्तर कोरिया पर और कड़े प्रतिबंध की मांग की थी. अमेरिका के साथ दूसरे देशों ने भी ही चीन से अपील की है कि वह अपने ट्रेडिंग पार्टनर उत्तर कोरिया पर और दबाव डाले और उससे कहे कि वह अपने न्यूक्लियर हथियारों के प्रोजेक्ट पर लगाम लगाए.
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चीन के विदेश मंत्रालय के अनुसार चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने ट्रंप से कहा कि चीन इस इलाके में परमाणु कार्यक्रम को खत्म करने और इंटरनैशनल न्यूक्लियर नॉन प्रोलिफरैशन सिस्टम को आगे बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध है. हालांकि वह यह भी मानता है कि विवादों का हल बातचीत और विमर्श से निकाला जाए. हमें शांति के पथ पर आगे बढ़ना चाहिए. चीन ने यह यह भी कहा कि वह अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के इस साल के अंत में चीन के दौरे से काफी उम्मीद लगाए बैठा है.
चीन को है यह डर
चीन इस मामले में खुलकर इसलिए विरोध नहीं कर पा रहा है क्योंकि उसे डर लग रहा है कि उत्तर कोरिया पर और प्रतिबंध लगने से उसकी आर्थिक स्थिति और खराब हो जाएगी. इस वजह से कई लाख शरणार्थी चीन में शरण ले सकते हैं. वहीं अमेरिका, उत्तर कोरिया के खिलाफ वैश्विक नेताओं तक पहुंच बनाने का प्रयास कर रहा है. इसके लिए चीन को भी मनाने की कोशिश की जा रही है.
उत्तर कोरिया के गर्म तेवर
वहीं उत्तर कोरिया लगातार अपने खूंखार तेवरों से दुनिया को चौंका रहा है. इतना ही नहीं वह सुपर पॉवर अमेरिका से भी चेतावनी भरे अंदाज में पेश आ रहा है. अब उत्तर कोरिया के अधिकारी ने कहा है कि वो अमेरिका के लिए ‘और भी तोहफे’ भेजने के लिए तैयार हैं.