मीडिया के सामने कभी ‘हीरो’ बना था ये डॉक्टर, मुंह छुपाते ऐसे पहुंचा जेल

  • गोरखपुर.बीआरडी मेडिकल कॉलेज में हुई दर्जनों बच्चों की मौत के मामले में शन‍िवार को तीसरे बड़े आरोपी डॉ. कफील खान को यूपी एसटीएफ ने गोरखपुर से गिरफ्तार कर ल‍िया। देर शाम 14 दिन की जूड‍िश‍ियल कस्टडी में उन्हें जेल भेज द‍िया गया। इस दौरान वह टीपी पहने मुंह छुपाते नजर आए, जबक‍ि घटना के दौरान तीन हॉस्प‍िटल में जम्बो स‍िल‍िंडर मंगाकर मीड‍िया के सामने खुद को हीरो के रूप में पेश क‍िया था। 
    In front of the media, the 'hero' was made, the doctor, the hiding of the door,

    जानें पूरा मामला…

    -यूपी STF के आईजी अमिताभ यश ने कहा, “डॉ. कफील खान की गिरफ्तारी गोरखपुर से हुई है। बीआरडी में हुई बच्चों की मौत के बाद इन पर करप्शन के मामले चल रहे थे।
    -जांच में सहयोग के लिए समय पर मौजूद नहीं रहते थे। इस वजह से इनकी गिरफ्तारी यूपी एसटीएफ ने की है। आगे की कार्रवाई के लिए यूपी STF ने गोरखपुर पुलिस को सौंपा है।”
    -बता दें, 100 बेड एईएस (इंसेफ्लाइट‍िस) वार्ड के नोडल ऑफिसर डॉ. कफील खान को ऑक्सीजन की कमी होने पर बच्चों की मौत होने की आशंका के बावजूद मामला सीनियर ऑफिसर्स के संज्ञान में न लाने और गवर्नमेंट ड्यूटी को नजरअंदाज कर पत्नी शाइस्ता खान के नर्सिंग होम में अपने नाम का बोर्ड लगाकर प्रैक्टिस करने का दोषी माना गया है।
    – इसके साथ ही जांच में उनको ऑक्सीजन की सप्लाई ठप होने पर गलत तथ्यों को प्रस्तुत करने के लिए दोषी पाया गया है।
    -वहीं, बताया जा रहा है कि डॉ. कफील की गिरफ्तारी पूरी तरह से मैनेज थी। कफील को सोनौली बॉर्डर से अरेस्ट कर यूपी एसटीएफ गोरखपुर लेकर पहुंची। योजना के मुताबिक, उसकी अरेस्टिंग गोरखपुर से दिखाई गई, ताकि कोई ट्रांजिट रिमांड जैसी झंझट न रहे। जैसा क‍ि इस मामले में आरोपी डॉ. राजीव मिश्र और उनकी पत्नी डॉ पूर्णिमा शुक्ला को अरेस्ट करने के बाद हुआ था।

    क्या है गोरखपुर ट्रेजिडी?

    – बाबा राघव दास (BRD) मेडिकल कॉलेज में 7 अगस्त से लेकर 12 अगस्त तक 30 बच्चों समेत 60 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी थी। आरोप है कि ये मौतें हॉस्पिटल में ऑक्सीजन की सप्लाई बंद होने की वजह से हुईं।
    -कहा गया कि पुष्पा सेल्स नाम की कंपनी ने पेमेंट बकाया होने की वजह से ऑक्सीजन सिलेंडर की सप्लाई रोक दी थी। कंपनी ने कहा कि हमने 14 रिमांडर भेजे, लेकिन इसके बाद भी मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल ने कोई एक्शन नहीं लिया।

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