भारतीय परमाणु परियोजनाओं की की जानकारी लेने के लिए, भारत में घूम रहें जासूस

डोकलाम विवाद में भारत से कूटनीतिक हार के बावजूद चीन अपनी चालबाजियों से बाज नहीं आ रहा है। वो भारतीय परमाणु परियोजनाओं की जानकारी लेने के लिए जासूसी कर रहा है।
चीन की मिलिट्री गुप्तचर संस्था गुओजिया एंकुअन बूमस यानि गुयानबू की नजर भारतीय परमाणु परियोजनाओं पर है। संस्था के पांच जासूस इन परियोजनाओं की सूचनाएं इकठ्ठा करने के लिए राजस्थान समेत भारत के अलग-अलग राज्यों में सक्रिय हैं।
सूत्रों के अनुसार भारतीय परमाणु परियोजनाओं की खुफिया जानकारी जुटाने के अलावा चीनी जासूस डीआरडीओ यानि रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन की गोपनीय सूचनाएं हासिल करने की जुगत लगा रहा है।
चीन की मिनिस्ट्री ऑफ स्टेट सिक्योरिटी के सूत्रों के अनुसार इस मिशन की जिम्मेदारी चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के सेकेंड ब्यूरो के थर्ड ऑफिस रेजिमेंट के कैप्टन सनकोई लाइंग कर रहे हैं। इसके अलावा पीएलए के सेंट्रल सिक्योरिटी रेजीमेंट की यूनिट के कर्नल वांग डांग भी जानकारी जुटाने में लगे हैं। साथ ही सेकेंड ब्यूरो के थर्ड ऑफिस रेजीमेंट के मेजर यू जहांग भी भारतीय परमाणु ठिकानों की जासूसी कर रहे हैं।
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पीएलए के फॉरेन लैंग्वेज इंस्टीट्यूट के शिक्षक सह मेजर वायोईये जुसांग भी इस काम में लगे हैं।
सभी चीनी गुप्तचर साइबर की सूचनाएं हैक करने, परमाणु बम व मिसाइल टेक्नोलॉजी के विशेषज्ञ हैं। ये सभी भारत में डीआरडीओ व राजस्थान के न्यूक्लियर पावर कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड की रावनतभाटा साइट की नाभिकीय प्रशिक्षण केंद्र की गोपनीय सूचनाएं एकत्रित करने की कोशिश में हैं। भारतीय मिशन पर भेजे गए ये पांचों गुप्तचर पूर्व में अमेरिका व रूस की परमाणु सूचनाएं चोरी कर सकुशल चीन वापस लौट चुके हैं।
अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआइए के अनुमान के मुताबिक चीन की इस गुप्तचर संस्था के लिए कुल एक लाख लोग काम करते हैं। इसमें से 40 हजार चीन के अंदर बाकी के 60 हजार दुनिया के विभिन्न देशों में सक्रिय हैं।
भारत में प्रतिबंधित संगठनों की करती है मदद
‘गुयानबू’ उत्तर-पूर्वी भारत में प्रतिबंधित संगठन एनएससीएन (खपलांग), कांगलेईपाक कम्युनिस्ट पार्टी, जैसे विभिन्न अलगाववादी संगठनों की मदद करती है। इसके अलावा पड़ोसी देश म्यांमार के प्रतिबंधित संगठन न्यू डेमोक्रेटिक आर्मी कचीन, युनाइटेड स्टेट ओया आर्मी, कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ भूटान (माओवादी) जैसे विभिन्न संगठन की मदद कर मणिपुर व अरुणाचल प्रदेश के कई जिलों को अशांत बनाने में मददगार है।