अभी अभी: चीन के आक्रामक रुख की वजह से भारत ने लिया इतिहास का सबसे बड़ा फैसला, हिल गया पूरा देश
मोदी सरकार ने भारत-चीन विवाद के बीच एक ऐसा फैसला लिया है जो आज से पहले भारत की किसी सरकार ने नहीं लिया था अभ्यास तो कई हुए लेकिन तीन सेनाओं को एक साथ भेजना ऐसा पहले कभी नहीं हुआ, लेकिन मोदी ने दिखा दिया जब बात देश की हो तो कडक फैसले लिए जाते हैं.पहली बार भारत एक साथ तीनों सेनाओं को रूस के साथ चलने वाले युद्धभ्यास के लिए भेज रहा है जिसमें 350 सैनिक दो जंगी जहाज और लड़ाकू जहाज भेजे जा रहे हैं !
जब से चीन को इसकी खबर मिली है चीन बुरी तरह से तिलमिला गया है,आपकी जानकारी के लिए हम बता दें की चीन इसको डोकलाम विवाद पर भारत की तैयारी के रूप में देख रहा है.चीन ने इस युद्धअभ्यास को लेकर रूस से नराजगी भी जाहिर की है लेकिन रूस की तरफ से सिर्फ इतना सपष्ट किया गया है की चीन को इसे डोकलाम विवाद के साथ जोड़कर नहीं देखना चाहिए.सूत्रों का कहना है कि युद्ध अभ्यास इंद्र रूस में 19 अक्टूबर और 29 अक्टूबर तक होगा. रूस में पर्वतीय क्षेत्र व्लादिवोस्तोक समेत तीन स्थानों पर यह सैन्य अभ्यास होगा. इस अभ्यास का मुख्य उद्देश्य किसी दोनों देशों की तीनों सेनाओं के बीच आपसी तालमेल बेहतर करना है.
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दूसरी तरफ ये बात जानकार आप हैरान रह जाएंगे कि दुनिया की सबसे विशाल 23 लाख सैनिकों की सैन्य क्षमता वाला चीन अपने इतिहास में सेना में सबसे बड़ी कटौती करने जा रहा है. अपनी सेना की पुनर्गठन प्रक्रिया के तहत चीन सैनिकों का आंकड़ा 10 लाख तक करने जा रहा है.आपको बता दें चीन की आर्थिक हालत ऐसी है की वो कंगाली पर खड़ा है लेकिन फिर भी भारत से युद्ध की बातें करता है.
रक्षा और कूटनीतिक विशेषज्ञों की मानें तो भारत और रूस के बीच युद्धाभ्यास ऐसे समय पर होने जा रहा है जब चीन सीमा विवाद पर भारत को आंखे दिखा रहा है और चीन भारत पर दबाव बनाने का कोई अवसर चूकना नहीं चाहता है.अब चूंकि रूस काफी समय से भारत का रक्षा क्षेत्र में सहयोगी रहा है. ऐसे में दोनों देशों के बीच बढ़ती नजदीकियां चीन के लिए बड़ा झटका साबित हो सकती हैं.
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सूत्रों की मानें तो भारत पिछले छह महीनों से चीन के अडियल और भारत विरोधी रवैये को लेकर बात कर रहे हैं. भारत यह कोशिश कर रहा है कि रूस किसी तरह चीन को समझाए कि भारत से विरोध का रास्ता छोड़ दे.रूस ने भी अपना रुख भारत की तरफ सपष्ट कर दिया है,एक अच्छे दोस्त की तरह रूस भारत के साथ खड़ा है.
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बता दें कि इस साल की शुरुआत में भी भारत एनएसजी सदस्यता के मसले पर चीन को विरोध करने से रोकने के लिए रूस तक पहुंचा था. एक अधिकारी ने पहचान न बताने की शर्त पर कहा, ‘रूस, भारत का एक अहम सामरिक साझेदार है और एक दोस्त मुल्क के साथ सुरक्षा मुद्दों पर चर्चा करना स्वभाविक है।