70 रूपया किलो हुआ आटा, महंगाई चरम पर, इमरान ने उठाया यह बड़ा कदम…
पाकिस्तान में बढ़ती महंगाई से निजात नहीं मिलती दिखाई दे रही है। मुल्क में टमाटर की किल्लत के बाद अब आटे का संकट गहरा गया है। ‘द एक्सप्रेस ट्रिब्यून’ की रिपोर्ट के मुताबिक, लाहौर, कराची के साथ साथ दूसरे शहरों में एक किलो आटे की कीमत 70 रुपये तक पहुंच गई है। रिपोर्ट में कहा गया है कि इमरान खान की सरकार के आने के बाद से आटे की कीमत में 20 रुपये तक की बढ़ोतरी हो चुकी है। समाचार एजेंसी रॉयटर के मुताबिक, मुल्क में जारी खाद्य संकट को देखते हुए सरकार ने सोमवार को तीन लाख टन गेहूं के आयात को मंजूरी दी।
होलसेल बाजारों में भी संकट
रॉयटर की मानें तो होलसेल बाजारों और दुकानों से आटे के गायब होने की वजह से मुल्क में रोटी और पॉव की कीमतों भी भारी इजाफा देखा गया है। हालात इतने खराब हैं कि लोगों को गेहूं के दाने दाने के लिए मोहताज होना पड़ा है। देश के कुछ हिस्सों में तो आटा मिलों के बाहर लोगों की कतारें तक देखी जा रही हैं। नौबत यहां तक आ गई है कि प्रधानमंत्री इमरान खान को ब्रेड दुकानदारों के लिए फरमान जारी करना पड़ा है कि वो सरकार की ओर निर्धारित कीमतों पर ही ब्रेड की बिक्री करें। सरकार के इस फरमान से नाराज दुकानदारों ने अपनी दुकानें तक बंद कर दी हैं।
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15 फरवरी तक पहुंच पाएगी खेप
मुल्क में जारी रोटी संकट को थामने के लिए गेहूं के आयात को लेकर फैसला लेने में इमरान सरकार ने देरी कर दी है। पाकिस्तान के वित्त मंत्रालय की मानें तो Economic Coordination Council (आर्थिक समन्वय परिषद) ने जिस आयात को मंजूरी दी है उसके तहत मुल्क में गेहूं की पहली खेप 15 फरवरी तक पहुंच पाएगी। वैसे सरकार ने कहा है कि वह आयातित गेहूं पर नियमकीय कर यानी regulatory duties नहीं वसूलेगी। हालांकि सरकार की ओर से यह नहीं बताया गया है कि वह किस देश से यह गेहूं आयात कर रही है।
अर्थशास्त्रियों ने उठाए सवाल
देश में गेहूं की बढ़ती कीमतों के चलते इमरान खान विपक्षी दलों और अर्थशास्त्रियों के निशाने पर आ गए हैं। विपक्षी दलों और अर्थशास्त्रियों ने सरकार के गेहूं आयात करने के फैसले की जांच की मांग उठाई है। उनका कहना है कि पाकिस्तान एक कृषि प्रधान देश है और पिछले साल के अंत तक यह गेहूं निर्यात कर रहा था। फिर अचानक गेहूं आयात करने की जरूरत क्यों आन पड़ी। देश में विकट हुए हालात को देखते हुए प्रधानमंत्री इमरान खान ने संबंधित अधिकारियों को तत्काल उपचारात्मक उपाय करने के निर्देश जारी किए हैं।
बिजली दरें बढ़ने से और बढ़ा संकट
द एक्सप्रेस ट्रिब्यून की रिपोर्ट में कहा गया है कि बीते दो हफ्तों में ऐसा दूसरी बार हुआ है जब आटे की कीमत बढ़ी है। आटे की बढ़ती कीमतों को लेकर जारी सियासी संग्राम और शिकायतों के बीच आटा मिल्स एसोसिएशन ने भी इसके पीछे अपना दर्द बयां किया है। मिल्स एसोसिएशन का कहना है कि मिल मालिकों को सरकार से कोई सब्सिडी नहीं मिल रही है। ऐसे में कीमतों में इजाफा ही विकल्प बचा है। एसोसिएशन की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि गेहूं की कीमतों में इजाफे के बाद आटे की कीमतें बढ़ी हैं। सरकार की नई बिजली और गैस दरों के कारण हालत और खराब हो गए हैं।