70 फीट रावण, 40 फीट लंबी मूंछें… हरियाणा के इस जिले का दशहरा बनेगा खास

इस बार सिरसा में दशहरे का पर्व कुछ खास और अनोखा होने जा रहा है। यहां एक बेहद आकर्षक और अलग तरह का रावण का पुतला तैयार किया जा रहा है, जिसकी सबसे बड़ी खासियत हैं उसकी जलेबी जैसी लंबी, घुमावदार मूंछें। करीब 40 फीट लंबी इन मूंछों के साथ 70 फीट ऊंचा यह रावण लोगों के आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। इस अनोखे पुतले के पीछे हैं दिल्ली के मशहूर कारीगर बाबा भगत, जो पिछले 40 वर्षों से रावण, कुंभकर्ण और मेघनाथ के पुतले बनाने की परंपरा को जीवित रखे हुए हैं।
चार दशकों से रामायण की कहानी को जीवित रख रहे हैं बाबा भगत
बाबा भगत का कहना है कि वे अब तक दिल्ली और सिरसा में मिलाकर हजारों पुतले बना चुके हैं। सिर्फ सिरसा में ही पिछले 20 वर्षों में उन्होंने लगभग 4000 छोटे रावण के पुतले तैयार किए हैं, जिन्हें बच्चे खास पसंद करते हैं। बच्चे इन पुतलों को मोहल्लों और गलियों में जलाकर अपने तरीके से दशहरा मनाते हैं। वहीं, बड़े पुतलों की बात करें तो बाबा भगत अब तक 500 से अधिक विशालकाय रावण, कुंभकर्ण और मेघनाथ के पुतले बना चुके हैं। हर साल वे करीब 100 छोटे रावण के पुतले तैयार करते हैं, जिनकी मांग पूरे साल बनी रहती है—केवल दशहरे के लिए नहीं, बल्कि सजावट और अन्य धार्मिक आयोजनों के लिए भी।
इस बार 70 फीट का भव्य रावण, होगी 40 फीट की जलेबी मूंछ
इस बार सिरसा में जो रावण का पुतला तैयार हो रहा है, वह करीब 70 फीट ऊंचा होगा और इसकी सबसे अनोखी बात होगी इसकी 40 फीट लंबी जलेबी जैसी मूंछें, जो इसे बाकी रावणों से बिल्कुल अलग और खास बना रही हैं। इसके अलावा, कुंभकर्ण और मेघनाथ के भी विशाल पुतले तैयार किए जा रहे हैं, जो इस आयोजन को और भी भव्य बना देंगे।
कला नहीं, एक संस्कार है यह काम – बाबा भगत
बाबा भगत का कहना है कि वे इस कला को केवल रोजगार या पैसे कमाने के लिए नहीं, बल्कि धार्मिक और सांस्कृतिक सेवा के रूप में करते हैं। उनका उद्देश्य है कि नई पीढ़ी रामायण और रावण की कहानी से जुड़े, केवल पुतले जलाकर उत्सव मनाना नहीं, बल्कि उसके पीछे छिपे अर्थ और संस्कृति को भी समझे। हालांकि, वे यह भी मानते हैं कि मौजूदा समय में महंगाई ने इस परंपरा को बनाए रखना कठिन बना दिया है। कागज, बांस, रंग और अन्य सामग्री की कीमतें लगातार बढ़ रही हैं, लेकिन इसके बावजूद उनका और उनके परिवार का जुनून कम नहीं हुआ।
परिवार ही टीम है – मिलकर बनाते हैं इतिहास
बाबा भगत के परिवार के करीब 20 सदस्य इस परंपरा में उनके साथ काम कर रहे हैं। कोई ढांचा तैयार करता है, कोई कागज चिपकाता है, तो कोई रंग भरने का काम करता है। महीनों की मेहनत के बाद ये भव्य पुतले आकार लेते हैं। इस बार सिरसा का दशहरा केवल एक त्योहार नहीं, बल्कि एक दृश्यात्मक अनुभव होगा। जलेबी मूंछों वाला 70 फीट ऊंचा रावण, उसके साथ विराट कुंभकर्ण और मेघनाथ, दर्शकों को अद्भुत दृश्य और जीवन भर की यादें देंगे।
“रावण बुरा था या नहीं, बहस का विषय हो सकता है…”
बाबा भगत का मानना है कि “रावण बुरा था या नहीं, यह बहस का विषय हो सकता है, लेकिन उसकी कहानी अच्छाई और बुराई के बीच फर्क करना सिखाती है। यही संदेश हम अपने पुतलों के माध्यम से लोगों तक पहुंचाते हैं।