नवगछिया में मिले 4 हजार साल पुराने औजार, जानिए इनके बारे में, कैसे होते थे ये?
यह प्राचीन शहरों में से एक है. यहां कई जगहों पर खुदाई के दौरान अलग-अलग तरह के अवशेष मिलते रहते हैं. खासकर अंग क्षेत्र की धरती का इतिहास काफी पुराना है. यहां के क्षेत्र में खुदाई के दौरान कई तरह के पुराने अवशेष मिलते हैं. बात करें विक्रमशिला विश्वविद्यालय खुदाई स्थल की तो वहां भी तरह के तरह के अवशेष मिल रहे हैं. इस क्षेत्र को प्रकृति का तोहफा मिला हुआ है. यह गंगा व कोशी दोनों के किनारे बसा हुआ है. ऐसे में ये धाराएं जब बदलती हैं तो कई चीजें मिलती है. ऐसे में ही नवगछिया के कोशी की धारा में करीब 4 हजार साल पुराने अवशेष मिले हैं. इसमें इतना पुराना औजार मिला है. जिसे देखकर आप भी हैरान हो जाएंगे, कि इससे कैसे और क्या करते थे लोग.
5 हजार साल से भी अधिक पुराने हैं औजार
जब इसके बारे में जानने के लिए लोकल 18 की टीम नवगछिया के नरायनपुर पहुंची तो यहां कई तरह की पुरानी सामग्री मिली. जिनमें पत्थर व लोहे दोनों के औजार मिले हैं. इनमें दबिया, कुल्हाड़ी, कचिया, आग जलाने के लिए पत्थर जैसे कई तरह के औजार हैं. जिसे सुरक्षित कर रखा गया है. जब इसको लेकर संरक्षण करने वाले युवक अविनाश कुमार से बात की गई तो उन्होंने बताया, कि मैं जब अपने खेत जाया करता था, तो बड़ी अजीब- अजीब चीजें मिला करती थीं. आगे वे कहते हैं, कि मैं छोटा था तो खेत पटवन करने के लिए कोसी में जाया करता था. कोसी की धारा खेत से करीब 3 बांस नीचे थी.
वहां पर बड़ी अजीब- अजीब चीज मिलती थीं, वहीं, पत्थर भी मिलते थे, तो आकरनुमा पत्थर मिलते, साथ ही लोहे के औजार व नट भी मिलते थे, तो सभी को एकत्रित कर घर लाया करता था. जो अभी मेरे मुर्गी फार्म में रखा हुआ है. मैं अभी भी इसे बहुत संरक्षित करके रखता हूं. क्योंकि यहां पर इतिहासकार सब आते रहते हैं. जब वो रिसर्च करते हैं तो पता चलता है कि ये सभी चीजें 5 हजार साल से भी अधिक पुरानी हैं. इससे यह अनुमान लगाया जा रहा है कि पहले यहां पर लोग रहा करते थे. इतिहासकार बताते हैं कि यहां देखकर ऐसा भी प्रतीत होता है कि यहां पर आदिमानव रहते थे.
नहीं कर पाए संरक्षित
अविनाश आगे बताते हैं कि यहां जितना समान है, अगर उसको संग्रहालय में संरक्षित किया जाए तो अंगक्षेत्र के इतिहास को लोग जान पाएंगे. तत्कालीन डीएम को इसका निर्देश भी मिला था, लेकिन इसके बावजूद इसे संरक्षित नहीं किया गया. भागलपुर में नया संग्राहलय बनाया जा रहा है उम्मीद है कि इसमें इसे संरक्षित किया जाएगा.