3 शादियां कर चुके विनोद मेहरा की चाहत में रेखा ने उठा लिया था जानलेवा कदम, खूब बरपा हंगामा

अपने सहज अंदाज और बेहतरीन अभिनय की वजह से बॉलीवुड का बड़ा नाम बने विनोद मेहरा की जिंदगी में कई उतार-चढ़ाव आए। इन सबके बीच विनोद अपनी अदाकारी में कभी कोई कसर नहीं छोड़ते थे। अस्सी के दशक में रेखा से उनकी नजदीकियों की खबरों ने खूब सुर्खियां बटोरी थीं। 21 साल के करियर में विनोद ने करीब 100 फिल्में की थीं। उस दौर में विनोद अपनी तीन शादियों की वजह से काफी चर्चा में थे। उनके जन्मदिन के मौके पर जानिए उनके जीवन से जुड़े अनसुने किस्से।

बतौर चाइल्ड एक्टर बॉलीवुड में अपने करियर की शुरुआत करने वाले विनोद मेहरा का जन्म 13 फरवरी 1945 को पंजाब के अमृतसर में हुआ था। उस दौर में विनोद मेहरा की दीदी शारदा फ़िल्मों में सह अभिनेत्री की भूमिकाएं निभाया करती थीं।
विनोद मेहरा की उम्र उस समय महज 13 साल की थी जब उन्हें फिल्म ‘रागिनी’ में एक बाल कलाकार के रूप में काम करने का मौका मिला। विनोद के फिल्म करियर के मौसम को खुशनुमा बनाने में अभिनेत्री मौसमी चटर्जी का जबरदस्त हाथ है। शक्ति सामंत की फिल्म अनुराग (1972) में मौसमी-विनोद पहली बार साथ आए।
विनोद मेहरा ने बतौर एक्टर अपने करियर की शुरुआत 1971 में फिल्म ‘एक थी रीता’ से की। विनोद मेहरा के फिल्मी कैरियर की गाड़ी रफ्तार से चल रही थी लेकिन, उनकी मां को अब उनकी शादी की चिंता सताने लगी।
विनोद अपनी मां से बहुत प्यार करते थे और उन्होंने उनकी पसंद की लड़की मीना ब्रोका से शादी भी कर ली। शादी के कुछ ही दिनों के बाद उन्हें पहला दिल का दौरा पड़ा और वो बाल-बाल बच गए लेकिन, जल्द ही उनका दिल अपनी हीरोइन बिंदिया गोस्वामी पर आ गया। विनोद मेहरा ने तीसरी शादी किरण से 1988 में की थी और इस शादी के दो साल बाद ही उनकी मौत हो गई। किरण के विनोद से तब दो छोटे बच्चे भी थे। बेटा रोहन और बेटी सोनिया। विनोद के दोनों बच्चे आज फिल्म इंडस्ट्री में सक्रिय हैं।
फिल्म रागिनी में किशोर कुमार के बचपन का रोल उन्होंने निभाया था। आई.एस. जौहर की फिल्म बेवकूफ (1960) और विजय भट्ट की फिल्म अंगुलिमाल (1960) में छोटे-मोटे रोल में भी विनोद दिखाई दिए थे। विनोद मेहरा की अपनी एक अलग ही स्टाइल थी जिसकी वजह से वह हिरोइनों के बीच काफी लोकप्रिय थे। उस जमाने की एक्ट्रेस विनोद के करीब होना चाहती थीं। इनमें सबसे पहला नाम रेखा का आता है। दोनों के बीच केमिस्ट्री की खबरें भी उस समय मीडिया की सुर्खियां बनी थीं।
रेखा-विनोद की शादी की अफवाहें भी खूब उड़ी थीं। मगर शादी की बात से रेखा ने साफ इनकार कर दिया था। बॉलीवुड के जानकारों की मानें तो उस दौर में ये कहा जाता था कि एक बार विनोद मेहरा पर शादी का दवाब डालने के लिए रेखा ने कॉकरोच मारने की दवा भी खा ली थी। जिसके बाद काफी हंगामा हो गया था।
1974 में आई निर्देशक-अभिनेता महमूद की फिल्म कुंवारा बाप में विनोद ने गेस्ट अपेयरियंस का रोल किया। बॉलीवुड में अपनी प्रतिभा को प्रतिष्ठा नहीं मिलने से विनोद अक्सर उदास रहा करते थे। जब अभिनेता के रूप में उनके पास ज्यादा कुछ करने को नहीं रहा तो वे निर्देशन के मैदान में उतरे। उन्होंने ऋषि कपूर-अनिल कपूर और श्रीदेवी को लेकर फिल्म ‘गुरुदेव’ शुरू की, ये तीनों इंडस्ट्री के कामयाब सितारे थे, लेकिन गुरुदेव को बनने में लंबा वक्त लगा। ये भी कहा जाता है कि इन सितारों ने डेट्स देने में विनोद को बहुत सताया जिससे विनोद तनाव में रहने लगे। फिल्म के रिलीज होने के पहले ही चल बसे। अचानक दिल का दौरा आ जाने से वे असमय मात्र 45 वर्ष की उम्र में ही विदा हो गए।
विनोद मेहरा की मौत के बाद प्रतीक्षा (1993, लॉरेंस डिसूजा), सरफिरा (1992), इंसानियत (1994, टोनी जुनेजा) जैसी कुछ फिल्में रिलीज हुईं। लाल पत्थर (1972), अनुराग (1972), सबसे बड़ा रुपैया (1976), नागिन (1976), अनुरोध (1977), जानी दुश्र्मन (1979), बिन फेरे हम तेरे (1979), द बर्निंग ट्रेन (1980), टक्कर (1980), ज्योति बने ज्वाला (1980), प्यार की जीत (1987) उनकी प्रमुख फिल्में रहीं।
अपनी बोलती आंखों की चमक से लाखों लोगों के दिल में अपनी जगह बनाने वाले एक्टर विनोद मेहरा 70-80 के दशक के बड़े स्टार्स में से एक थे। महज 45 साल की उम्र में इस जादुई अभिनेता को मौत ने गले लगा लिया। सौ से ज्यादा फिल्मों में अपने अभिनय का जलवा दिखा चुके विनोद का निधन 30 अक्टूबर 1990 को हार्ट अटैक के कारण हो गया था। आज भी सिनेमा के दीवाने उन्हें याद करते नहीं थकते।