3 फुट 2 इंच के ‘बड़े बाबू’, भारत के सबसे छोटे गैस वेल्डर ने नहीं की शादी…

कहते हैं, हौसला हो तो कोई दिव्यांगता या शारीरिक कमी इंसान को आगे बढ़ने से रोक नहीं सकती. इस बात का जीताजागता प्रमाण पन्ना जिले के एक शख्स सिराजुद्दीन उर्फ ‘बड़े बाबू’ हैं. 45 वर्षीय बड़े बाबू मात्र 3 फुट 2 इंच लंबे हैं. 20 किलो उनका वजन है. लेकिन, हौसले इतने बुलंद कि पूरे समाज को प्रेरित कर रहे हैं.
भारत के सबसे छोटे कद के गैस वेल्डर मैकेनिक के रूप में पहचाने जाने वाले बड़े बाबू ने अपनी कमाई से परिवार का पालन-पोषण किया. दो बहनों और एक भाई की शादी करवाई, और खुद शादी न करने का फैसला लिया. आज वे पांच सदस्यीय परिवार तीन बहनें, दो भाई और बुजुर्ग माता-पिता, का पूरा खर्च उठा रहे हैं.
बिना मदद के खुद का घर बनाया
पन्ना नगर के रहने वाले बड़े बाबू सबसे बड़े भाई हैं. सीमित कद-काठी और कमजोर शरीर के बावजूद, 15 साल की उम्र में गैस वेल्डिंग सीखी और आज कुशल मैकेनिक बन चुके हैं. रोजाना सुबह बस से 25 किलोमीटर दूर देवेंद्रनगर जाकर छोटे से डिब्बे में दुकान चलाते हैं. 300 से 500 रुपये प्रतिदिन कमाकर परिवार का गुजारा करते हैं. उन्होंने कभी सरकारी योजना या किसी मदद का सहारा नहीं लिया. अपनी मेहनत से पक्का मकान बनवाया और जीवन से पूर्ण संतुष्टि महसूस करते हैं. एक बहन की शादी अभी बाकी है, जिसकी तैयारी भी जोरों पर है.
खुद कुंवारे रहे, बहनों की शादी की
बड़े बाबू ने बताया, “परिवार ही मेरा सबकुछ है. दो बहनों और छोटे भाई की शादी मेरी कमाई से की. खुद शादी न करके जिम्मेदारी निभाई. कभी हार नहीं मानी, भले शरीर कमजोर हो, इरादा मजबूत है.” उनके सहकर्मी मुन्ना मिस्त्री ने सराहना की, “बड़े बाबू बेहद ईमानदार और समय के पाबंद हैं. हर मौसम में सुबह 8 बजे दुकान खोलते हैं, शाम 5 बजे बंद. यही अनुशासन उन्हें खास बनाता है.” देवेंद्रनगर की उनकी दुकान अब प्रेरणा का केंद्र बनी हुई है, जहां ग्राहक उनकी कहानी सुनने आते हैं.
यह कहानी साबित करती है कि आत्मबल से कोई सपना असंभव नहीं. बड़े बाबू की जिंदगी समाज को संदेश देती है, मेहनत और हौसले से हर बाधा पार की जा सकती है.





