राजधानी में बिना डॉक्टर, स्वास्थ्यकर्मी और उपकरणों के तैयार हो रहे हैं 24 अस्पताल

उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने स्वास्थ्य विभाग में रिक्त पदों को लेकर राजनिवास में समीक्षा बैठक की। इस दौरान यह तथ्य सामने आए कि राजधानी में निर्माणाधीन 24 अस्पतालों की परियोजनाओं में डॉक्टर, स्वास्थ्यकर्मी और जरूरी उपकरणों की लागत व उनकी संख्या को शामिल नहीं किया गया।
बैठक में अधिकारियों ने बताया कि परियोजनाओं में केवल भवन निर्माण पर चर्चा है। इन अस्पतालों में चलाने के लिए मानव शक्ति व उपकरणों को लेकर कोई जिक्र नहीं किया गया, जबकि नए अस्पतालों को चलाने के लिए डॉक्टरों, पैरामेडिकल और तकनीकी कर्मचारियों की विभिन्न श्रेणियों में 37691 पदों की जरूरत होगी। साथ ही, इन अस्पतालों को चलाने के लिए हर साल 4800 करोड़ रुपये की जरूरत पड़ेगी।
बैठक के दौरान एलजी ने आपत्ति जताई कि दिल्ली में बन रहे 24 अस्पतालों की परियोजनाओं में करीब 38 हजार पदों की आवश्यकता को ध्यान में नहीं रखा गया। इसके अलावा उपकरणों, मशीनरी को लेकर भी योजना नहीं बनाई गई। एलजी को बताया गया कि इनके लिए कोई बजटीय प्रावधान नहीं किया गया। इन अस्पतालों के निर्माण पर में करीब आठ हजार करोड़ रुपये की लागत आई है। इनका टेंडर 2019-2021 में किया गया था।
इनकी लागत 3906.70 करोड़ रुपये थी। इन्हें छह माह से एक साल में तैयार करना था, लेकिन चार से पांच साल की देरी के कारण करीब 3800 करोड़ रुपये अतिरिक्त खर्च हुए। सरकार 13 मौजूदा अस्पतालों को ‘ब्राउन फील्ड’ परियोजनाओं के रूप में पुनर्विकास, चार नए अस्पतालों को ‘ग्रीन फील्ड’ परियोजनाओं व सात मौजूदा अस्पतालों को ‘आईसीयू अस्पताल’ के रूप में विकसित कर रही है।
चाहिए 5 हजार करोड़ रुपये
एलजी को बताया गया कि सरकार ने परियोजना को बनाने के दौरान उपयुक्त वित्तीय आवंटन को ध्यान में नहीं रखा। सभी परियोजनाओं के पूरा होने के बाद फर्नीचर, चिकित्सा उपकरणों सहित अन्य के लिए करीब 5 हजार करोड़ रुपये का अतिरिक्त आवंटन करने की आवश्यकता होगी। इसके अलावा, इन परियोजनाओं के लिए प्रति वर्ष 4800 करोड़ रुपये की परिचालन लागत की आवश्यकता होगी। एलजी ने आपत्ति जाहिर की कि निर्माण के दौरान जरूरी लागतों को शामिल नहीं किया गया, जबकि सरकार लगातार वर्षों से एक के बाद एक बजट पेश करती रही।
घोटाले का दावा
बैठक में दावा किया गया कि इन परियोजनाओं को जानबूझकर बिना किसी योजना के टेंडर किया गया। इनका उद्देश्य पीडब्ल्यूडी द्वारा ठेकेदारों को काम देना हो सकता है। बैठक में बताया गया कि इन परियोजनाओं के लिए वित्तीय वर्ष 2024-2025 के दौरान आवंटित पूरा बजट मात्र 400 करोड़ रुपये है। हालांकि, ठेकेदारों के पक्ष में मध्यस्थता मामलों को निपटाने के लिए आवश्यक राशि ही 600 करोड़ रुपये है। यह स्वास्थ्य क्षेत्र में दिल्ली सरकार के घोटाले की ओर इशारा करता है।
यहां बनेंगे आईसीयू बेड
शालीमार बाग, किराड़ी, सुलतानपुरी, चाचा नेहरू बाल चिकित्सालय, जीटीबी, सरिता विहार, रघुवीर नगर, ज्वालापुरी अस्पताल (ग्रीन फील्ड), हस्तसाल अस्पताल (ग्रीन फील्ड), मादीपुर (ग्रीन फील्ड) में 8903 बिस्तरों की क्षमता के आईसीयू अस्पताल बनेंगे। इनमें 17357 पदों का सृजन होगा।