22 सितंबर से लागू हो सकती हैं नई दरें, नवरात्रि-दिवाली खरीदारी में राहत

GST Reforms सरकार 22 सितंबर से GST टैक्स स्लैब लागू करने की तैयारी में है। यह तारीख नवरात्रि (22 सितंबर से 2 अक्टूबर) के साथ मेल खाती है जिससे त्योहारी खरीदारी में ग्राहकों को राहत मिलने की उम्मीद है। नए स्लैब से आवश्यक वस्तुओं पर कर कम हो सकता है जिसका फायदा आम जनता को होगा।

देश में टैक्स सिस्टम को सरल बनाने के लिए सरकार 22 सितंबर से नया GST टैक्स स्लैब लागू ( GST rate overhaul) करने की तैयारी में है। यह तारीख नवरात्रि (22 सितंबर से 2 अक्टूबर) के साथ मेल खाती है, जिससे त्योहारी खरीदारी (festive shopping relief) में ग्राहकों को राहत मिलने की उम्मीद है।

नए स्लैब से आवश्यक वस्तुओं पर कर कम हो सकता है, जिसका फायदा आम जनता को होगा। विशेषज्ञों का मानना है कि इससे अर्थव्यवस्था को गति मिलेगी और छोटे व्यवसायों को भी लाभ होगा। सरकार जल्द ही इसकी आधिकारिक घोषणा कर सकती है।

क्या बदलने वाला है ?
अभी GST में चार स्लैब हैं- 5%, 12%, 18% और 28%। नए प्रस्ताव के तहत इसे घटाकर दो स्लैब (two-slab GST structure) 5% और 18% कर दिया जाएगा। 5% स्लैब में मेरिट गुड्स यानी ज़रूरी सामान आएंगे।

18% स्लैब में मानक वस्तुएं और सेवाएं (Statndard goods and services) होंगी। इसके अलावा, अल्ट्रा-लक्ज़री कारें और पाप-संबंधी प्रोडक्ट्स (sin goods) पर 40% तक का स्पेशल टैक्स लगेगा।

कब होगा फैसला ?
दिल्ली में 3-4 सितंबर को GST काउंसिल (GST Council Meeting) की मीटिंग होनी है, जिसमें केंद्र और देश के सभी राज्यों के वित्त मंत्री शामिल होंगे। इस मीटिंग में नई दरों को लेकर अंतिम चर्चा होगी। फैसले के 5-7 दिन बाद नोटिफिकेशन जारी होंगे और 22 सितंबर तक लागू हो सकते हैं।

क्या है मकसद ?
सरकार का कहना है कि यह सुधार टैक्स स्ट्रक्चर (GST Reforms) को आसान बनाएगा। मध्यवर्ग और MSMEs को राहत देगा और त्योहारों में डिमांड बढ़ाने में मदद करेगा।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 15 अगस्त को इसे “GST 2.0 नेक्स्ट जेनरेशन टैक्स रिफॉर्म” कहा था। उन्होंने दावा किया कि इससे किसानों, मध्यम वर्ग और छोटे कारोबारियों को फायदा मिलेगा।

आपका क्या फायदा?
अगर नया ढांचा लागू होता है तो रोजमर्रा की चीज़ों और ज़रूरी सेवाओं पर टैक्स घट सकता है। वहीं, गैर-ज़रूरी और लक्ज़री आइटम्स महंगे हो सकते हैं। 22 सितंबर से GST 2.0 लागू होने पर मार्केट और आम उपभोक्ता दोनों पर असर दिखेगा।

त्योहारों में इलेक्ट्रॉनिक्स, कपड़े और रोज़मर्रा के सामान पर राहत मिल सकती है, लेकिन लक्ज़री आइटम्स की कीमत और बढ़ जाएगी।

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