2020 तक ऐसे बदल जाएगा पूरी तरह हेल्थ इंश्योरेंस इंडस्ट्री का चेहरा

वर्ष 2020 में डिजिटल तकनीक हेल्थ इंश्योरेंस इंडस्ट्री का चेहरा बदल देगी. भारत में पिछले कुछ दशकों के दौरान स्वास्थ्य सेवा, फायनेंसिंग और जनरल इंश्योरेंस के क्षेत्र में महत्वपूर्ण प्रगति हुई है. इसके बावजूद भारत में स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में अभी बहुत कुछ किया जाना शेष है. इंश्योरेंस कंपनियों के लिए 1.3 अरब की आबादी को ध्यान में रखते हुए अपनी योजनाओं और उत्पादों को बहुत सजगता से तैयार करने और उन्हें लागू करने की जरूरत है. आने वाले समय में बीमा कंपनियों द्वारा उठाए गए कदमों से भारत में हेल्थ इंश्योरेंस क्षेत्र का भविष्य तय होगा. हेल्थ इश्योरेंस पर होने वाला ज्यादा खर्च और सभी के लिए गुणवत्तापूर्ण सेवाओं की कमी इस क्षेत्र की अहम चुनौतियां हैं. वर्तमान चुनौतियां स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में अधिक से अधिक निजी कंपनियों के लिए मौके उपलब्ध करा रही हैं. निजी और सार्वजनिक क्षेत्र के बीच मजबूत तालमेल एक दूसरे के पूरक और अहम उद्देश्य होने चाहिए.

पालिसीबाजार डॉट कॉम के हेल्थ इंश्योरेंश के प्रमुख अमित छाबड़ा ने कहा कि हमारे देश में बीमित आबादी और कुल आबादी के लिए स्वास्थ्य सेवा की उपलब्धता में बहुत अंतर है. हेल्थ इंश्योरेंस के क्षेत्र में सरकारी योजनाएं हावी हैं. निजी हेल्थ इंश्योरेंस कंपनियों का विस्तार सिर्फ टियर-1 और टियर-2 शहरों तक हो सका है. वह भी सिर्फ ‘इन-पेशेंट रिइम्बर्समेंट्स’ और ‘कैशलेस पेमेंट्स’ सेगमेंट में. बिजनेस मॉडल और प्रक्रियाओं के वर्चुअलाइजेशन के माध्यम से हेल्थकेयर क्षेत्र में नए बिजनेस मॉडल विकसित हो रहे हैं. अब यह सिर्फ रणनीति नहीं है बल्कि व्यावसायिक सफलता का आधार बन चुका है. मेडिकल डायग्नोसिस, आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस और बिग डेटा ऐसी नई खोजें हैं जो इस क्षेत्र के नए प्रतिमानों को दोबारा परिभाषित कर रही हैं.

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उन्होंने कहा कि डेटा एक्सप्लोजन, डिजिटलाइजेशन और इंटरनेट ऑफ थिंग्स (आईओटी) के आ जाने से दुनिया भर के लोग एक दूसरे से जुड़े हुए हैं. इसके साथ ही कम बीमित आबादी, स्वास्थ्य को लेकर बढ़ती जागरूकता, डेटा और डिजिटल प्रगति के मद्देनजर भारतीय हेल्थ इंश्योरेंस क्षेत्र में तकनीक और डेटा का इस्तेमाल करने की संभावना दुनिया भर में सबसे अधिक है. इससे इंश्योरेंस कंपनियां अपने ग्राहकों के साथ जुड़ने के लिए डेटा और डिजिटल सॉल्यूशंस का लाभ उठाने में सक्षम हो सकेंगी.

छाबड़ा ने कहा कि इस तरह बीमा कंपनियां सिर्फ क्लेम को सेटल करने के बजाए ग्राहकों की जरूरत के वक्त (बीमार होने पर) अच्छी तरह से मदद करने में सक्षम हो सकेंगी. लाखों लोग इंटरनेट के साथ बड़े हुए और उनकी उम्मीदें भी बढ़ गई हैं. तकनीक को अपनाने की दर सभी आयु समूह के लोगों में तेजी से बढ़ रहीं हैं. तकनीक इस परिवर्तन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी और विभिन्न खिलाड़ियों को अपनी अलग पहचान बनाने में मदद करेगी.

क्लाउड कंप्यूटिंग, मोबिलिटी सॉल्यूशंस, टेलीमेडिसिन और सोशल कंप्यूटिंग जैसी उभरती हुई तकनीकों को मुख्यधारा के कार्यों को अंजाम देने के लिए तैयार किया गया है. विशेषज्ञों का यह भी मानना है कि अगला साल स्वास्थ्य के लिए समर्पित होगा. अधिकांश बीमा कंपनियां नए और ग्राहक-केंद्रित वेलनेस प्रॉडक्ट्स को पेश करके स्वास्थ्य को बढ़ावा देने की कोशिश करेंगी.

छाबड़ा ने कहा कि इंश्योरेंस कंपनियां नए दौर के हेल्थ इंश्योरेंस प्लान्स के साथ आएंगी जो आम लोगों के बीच फिटनेस के स्तर को बढ़ाते हैं. इन योजनाओं का एक अन्य महत्वपूर्ण उद्देश्य परिणाम आधारित प्रिवेंटिव संरचना बनाने पर ध्यान केंद्रित करना होगा. एक और महत्वपूर्ण पहलू जिस पर हेल्थ इंश्योरेंस उद्योग साल 2020 में ध्यान केंद्रित करेगा, वह है किसी भी प्रकार की विशिष्ट बीमारी के लिए नए प्रॉडक्ट तैयार करना. 2020 में ग्राहकों की डाएग्नोस्टिक जरूरतों को पूरा करने वाले उत्पादों में भी उल्लेखनीय बढ़ोतरी होगी. हेल्थ इंश्योरेंस का अंतिम फोकस मध्यमवर्गीय परिवार होंगे. इसके मद्देनजर उद्योग हेल्थ इंश्योरेंस को हर एक की पहुंच के भीतर लाने के लिए सस्ती योजनाएं तैयार करेगा.

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