2019 विश्व कप: क्रिकेट को कैसे बदल रहा है पैसा


मीडिया राइट्स से स्पॉन्सरशिप डील्स तक

डिजनी के स्वामित्व वाले स्टार इंडिया ने 2015 में करीब दो अरब डॉलर का समझौता कर आईसीसी टूर्नामेंट को 2023 तक प्रसारित करने का अधिकार खरीद लिया था।
इसके बाद कंपनी ने 2022 तक आईपीएल ब्रॉडकास्ट करने का अधिकार भी खरीद लिया था, इसके लिए उसने ढाई अरब डॉलर का सौदा किया और पिछले ही साल स्टार इंडिया ने पांच साल यानी 2023 तक के लिए भारतीय क्रिकेट के वर्ल्डवाइड राइट्स भी खरीद लिए। इसके लिए उसने 94.4 करोड़ डॉलर की रकम अदा की।
तो स्टार इंडिया इकलौती कंपनी है, जिसने सारे टेलिकास्ट अधिकार खरीदकर कमाई को पहले के मुकाबले 59 फीसदी बढ़ा लिया है।
कंपनी अब क्रिकेट की डिजिटल स्ट्रीमिंग भी करने लगी है। कंपनी का ये एक अहम कदम है, क्योंकि भारत में कई सारे लोगों के पास स्मार्टफोन हैं और लोग अपने फोन पर मैच देखना पसंद कर रहे हैं।
इस निवेश के बदले में जो मिलता है, वो मुनाफे का दूसरा पड़ाव है और ये पैसा आता है विज्ञापनों की बिक्री से। विज्ञापन खरीददारों के मुताबिक वर्ल्ड कप के लोकप्रिय मैचों के दौरान विज्ञापनों के रेट इस कदर बढ़ जाते हैं कि सिर्फ 10 सेकेंड के स्पॉट के लिए 25 लाख रुपए तक देने होते हैं। इसका मतलब है कि एक मैच से कम से कम सौ करोड़ की कमाई।
और पैसों का जो तीसरा जरिया है, वो है स्पॉन्सरशिप डिल्स। यहां से पिक्चर में आती है अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट बॉडी आईसीसी।
क्या है ICC का रोल?
यहां तक कि अमरीका की एक कंपनी, उबर भी इनमें शामिल है। ये कंपनियां भारत में अपना कारोबार बढ़ाने की कोशिश कर रही है। अमूल और केंट आरओ जैसी कई और कंपनियां भी अंतरराष्ट्रीय बाजार तक पहुंच बनाने के लिए ऐसी ही रणनीति आजमा रही हैं। ये कंपनियां अफगानिस्तान और श्रीलंका की टीमों की स्पॉन्सर भी हैं।
टिकटों की बिक्री
ब्रॉडकास्ट और स्पॉन्सर से आया मुनाफा आईसीसी के खाते में जाता है, वहीं पब्लिकेश्न्स और टिकट से आया पैसा इंग्लैंड और वेल्स क्रिकेट बोर्ड को मिलता है और जो पैसा स्टेडियम के अंदर के खाने-पीने की चीजों और कार पार्किंग से बनता है वो उन्हें जाता है, जहां मैच हो रहा है।
मिसाल के तौर पर – 16 जून को जिस ओल्ड ट्रैफ़र्ड मैदान पर भारत-पाकिस्तान का मैच हुआ, वहां 26,000 लोगों के बैठने की व्यवस्था है। बताया जाता है कि ये सारी सीटें पहले 48 घंटे में ही बिक गई थीं। एक दूसरी खबर के मुताबिक आखिरी मिनट के खरीददारों के लिए टिकटों की कीमत 6000 डॉलर रखी गई थी।

वहीं महिला क्रिकेट टीम इस मामले में काफी पीछे है और कंपनियां उनमें पैसा लगाने में कम दिलचस्पी लेती हैं। भारतीय महिला क्रिकेट टीम की पूर्व कप्तान अंजुम चोपड़ा मानती हैं अब धीरे-धीरे इसमें बदलाव आ रहा है।
बीबीसी के वर्क लाइफ इंडिया कार्यक्रम के दौरान अंजुम चोपड़ा ने कहा, ‘भारत में ये बदल रहा है। महिला क्रिकेट टीम 2017 का वर्ल्ड कप हार गई था, फिर भी उनके पास कमर्शियल डील्स के कई सारे कॉन्ट्रेक्ट हैं और स्पॉन्सर भी कई सारे हैं। मैं नहीं कहूंगी की भेदभाव होता है. लेकिन ये है कि खेल को बेहतर किए जाने की ज़रूरत है’।
‘अगर भारत की टीम वैश्विक स्तर पर ज्यादा जीत हासिल करने लगेगी, तो खुद-ब-खुद ध्यान उनकी तरफ जाएगा और उनके पास पैसा भी आएगा तो ये नतीजों पर निर्भर करता है’।





