पूरे देश में भूजल गुणवत्ता के 20% सैंपल फेल; यूपी, पंजाब और हरियाणा में प्रदूषण अधिक

 पूरे देश में भूजल की गुणवत्ता को लेकर लगभग 20 प्रतिशत सैंपल निर्धारित कसौटी पर असफल रहे हैं। इन सैंपलों में नाइट्रेट का स्तर सीमा से अधिक है, जबकि नौ प्रतिशत सैंपलों में आर्सेनिक का स्तर निर्धारित सीमा से अधिक मिला है। पानी की गुणवत्ता को लेकर फिर से चिंताजनक तस्वीर केंद्रीय भूजल बोर्ड की सालाना रिपोर्ट में सामने आई है। इस रिपोर्ट के अनुसार भूजल की गुणवत्ता अलग-अलग क्षेत्रों में अलग-अलग है।

इन राज्यों में पानी दूषित

अरुणाचल प्रदेश, मिजोरम, मेघालय, जम्मू-कश्मीर जैसे कुछ क्षेत्रों में पानी के सौ प्रतिशत सैंपल बीआईएस मानक की कसौटी पर खरे उतरे। मगर इसके विपरीत राजस्थान, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, पंजाब और आंध्र प्रदेश में पानी के व्यापक रूप से दूषित होने का तथ्य सामने आया है। पूरे देश में 15,259 भूजल निगरानी स्थानों का चयन गुणवत्ता मापने के लिए किया गया था।

गुजरात में क्लोराइड की मात्रा अधिक

राजस्थान और गुजरात जैसे राज्यों में क्लोराइड का उच्च स्तर मिला है। अनेक स्थानों में मानसून के बाद पानी की गुणवत्ता में थोड़ा सुधार हुआ है, इसका मतलब है कि बारिश के पानी के रिचार्ज के कारण घातक साल्ट का असर स्वाभाविक रूप से कम हुआ।

इन राज्यों के पानी में नाइट्रेट ज्यादा

नाइट्रेट की अधिकता जिन राज्यों में मिली है, उनमें राजस्थान, तमिलनाडु और महाराष्ट्र शामिल हैं। यहां 40 प्रतिशत से अधिक सैंपलों में नाइट्रेट की मात्रा मानक स्तर से अधिक पाई गई है। इसका मुख्य कारण इन क्षेत्रों में खेती में उर्वरकों का अधिक इस्तेमाल है। राजस्थान, हरियाणा, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में फ्लोराइड का सबसे अधिक प्रदूषण मिला है। यहां भी मानसून के सीजन में प्रदूषण का स्तर कुछ कम हुआ, लेकिन दूषित जल की समग्र तस्वीर काफी अधिक चिंताजनक बनी हुई है।

गंगा और ब्रह्मपुत्र के तटों का हाल

गंगा और ब्रह्मपुत्र की बाढ़ वाले इलाकों समेत कुछ अन्य जगहों में आर्सेनिक का अत्यधिक स्तर मिला है। इनमें बंगाल, झारखंड, बिहार, उत्तर प्रदेश, असम और मणिपुर के साथ ही पंजाब और छत्तीसगढ़ शामिल हैं।

यूरेनियम ने बढ़ाई राजस्थान व पंजाब की चिंता

यूरेनियम की अधिकता रिपोर्ट में सबसे अधिक चिंताजनक तथ्य के रूप में उभरी है। राजस्थान में 42 प्रतिशत सैंपल यूरेनियम की निर्धारित कसौटी के मामले में परीक्षण में विफल रहे हैं। पंजाब के 30 प्रतिशत सैंपल भी यूरेनियम की अधिकता से ग्रस्त मिले हैं। पानी में यूरेनियम के प्रदूषण के लिहाज से ये दोनों राज्य क्षेत्रीय हॉटस्पॉट के रूप में सामने आए हैं।

30 पीपीबी से अधिक यूरेनियम वाले जो क्लस्टर हैं, वे वास्तव में पहले से अति-दोहित, गंभीर और अर्धगंभीर वाली श्रेणी में हैं। यह स्थिति बताती है कि यूरेनियम का प्रदूषण बढ़ने का एक कारण भूजल का अति दोहन भी है। पानी का स्तर भूमि के अंदर यूरेनियम तक गहरा हो गया है। राजस्थान, दिल्ली, गुजरात, हरियाणा, पंजाब, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश और कर्नाटक में सबसे अधिक भूजल में ईसी (इलेक्ट्रिक कंडक्टिविटी) का उंचा स्तर मिला है।

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