19 साल के लड़के ने पढ़ाई छोड़ बना डाली खतरनाक कंपनी

मुंबई के 19 वर्षीय ध्रव्य शाह (Dhravya Shah) ने अपनी AI कंपनी सुपरमेमोरी से गूगल के अधिकारियों को प्रभावित किया है। उन्हें 25 करोड़ की फंडिंग मिली है। 12वीं पास ध्रव्य ने IIT की तैयारी छोड़ AI की दुनिया में कदम रखा। उनकी कंपनी AI मॉडलों को जानकारी याद रखने में मदद करती है। ध्रव्य को अमेरिका से O-1 असाधारण वीजा भी मिला है।
Success Story: 19 साल की उम्र के भारत के एक लड़के ने कुछ ऐसा किया कि दुनिया की दिग्गज टेक कंपनी गूगल में काम करने वाले बड़े अधिकारी भी उसके दीवाने हो गए। दीवाने इस कदर हुए कि 25 करोड़ की फंडिंग ही कर दी। ये लड़का मुंबई का रहने वाला है। लेकिन इस समय अमेरिका में हिंदुस्तान का नाम रौशन कर रहा है।
12वीं पास इस बच्चे ने IIT की तैयारी छोड़कर बदलती टेक्नोलॉजी की दुनिया को समझने का प्रयास किया और तगड़ी AI कंपनी बना डाली। इस बच्चे का नाम ध्रव्य शाह (Dhravya Shah) है। यह अपनी कंपनी का सीईओ भी है। कंपनी का नाम सुपरमेमोरी है। भारत के इस लड़के का टैलेंट देख ट्रंप के अमेरिका ने उसे O-1 extraordinary visa भी दे दिया।
क्या करती है Dhravya Shah की कंपनी
सिलिकॉन वैली की प्रमुख तकनीकी दिग्गजों का ध्यान भी इस बच्चे ने अपनी ओर आकर्षित कर लिया है। “सुपरमेमोरी” को हाल ही में 30 लाख डॉलर (करीब 25 करोड़) की सीड फंडिंग मिली है। इसे गूगल के एआई प्रमुख जेफ डीन और डीपमाइंड के लोगन किलपैट्रिक जैसे बड़े नामों का समर्थन प्राप्त है। और यह सिर्फ़ बड़ी फंडिंग की बात नहीं है, शाह का स्टार्टअप वास्तव में शक्तिशाली एआई मॉडलों के समय के साथ जानकारी को याद रखने और संसाधित करने के तरीके को बदल सकता है।
ऐसे समय में जब AI मॉडल दिन-प्रतिदिन और भी स्मार्ट होते जा रहे हैं और उनके पास विशाल डेटा भंडार है, एक ऐसा क्षेत्र जहां अधिकांश कंपनियां संघर्ष कर रही हैं, वह है मेमोरी। बड़े भाषा मॉडल (LLM) अक्सर लंबी अवधि तक जानकारी याद रखने में विफल रहते हैं। हालांकि, शाह का स्टार्टअप सुपर मेमोरी एआई अनुप्रयोगों को विभिन्न सत्रों में जानकारी याद रखने और पुनः प्राप्त करने में मदद करके इस अंतर को पाटने का प्रयास कर रहा है।
दोस्त कर रहे थे IIT क तैयारी, ध्रुव कर रहे थे कोडिंग
ध्रव्य का जन्म और पालन-पोषण मुंबई में हुआ और वे हमेशा से तकनीक और ऐप इनोवेशन में रुचि रखते रहे हैं। जब उनके दोस्त आईआईटी जैसी कठिन प्रवेश परीक्षाओं की तैयारी में व्यस्त थे, तब ध्रव्य कोडिंग में व्यस्त थे। इस दौरान, उन्होंने एक ट्विटर ऑटोमेशन टूल बनाया और उसे हाइपफ्यूरी नामक प्लेटफॉर्म को बेच दिया।
अमेरिका जाने के बाद, उन्होंने 40 हफ्तों तक हर हफ्ते एक नया प्रोजेक्ट बनाने की चुनौती स्वीकार की। इस प्रयोग के परिणामस्वरूप सुपर मेमोरी का प्रारंभिक विकास हुआ, जिसे शुरू में “एनी कॉन्टेक्स्ट” कहा जाता था। पहले यह एक चैटबॉट था जिसे ट्विटर बुकमार्क के साथ इंटरैक्ट करने के लिए डिजाइन किया गया था।
अमेरिका ने दिया ओ-1 वीजा
महज 19 साल की उम्र में एआई इनोवेशन में शाह के असाधारण योगदान ने उन्हें प्रतिष्ठित ओ-1 वीजा भी दिलाया है। यह वीजा अमेरिकी सरकार द्वारा उन व्यक्तियों को दिया जाता है जिनके पास विज्ञान, शिक्षा, व्यवसाय, एथलेटिक्स या कला जैसे किसी भी क्षेत्र में असाधारण क्षमता हो। यह वीजा अक्सर शीर्ष वैज्ञानिकों, उद्यमियों और कलाकारों के लिए आरक्षित होता है।