16 साल से गृहयुद्ध की तबाही झेल रहे भारत के पड़ोसी मुल्क की असली तस्वीर देखिये आप भी

अफगानिस्तान की राजधानी काबुल के राजनयिक इलाके में बुधवार को पानी के टैंकर में विस्फोटक भरकर किए गए धमाके ने पूरी दुनिया को दहला दिया है. इस धमाके में 90 लोगों की जान चली गई, जबकि 450 से ज्यादा लोग घायल हो गए. यह धमाका इतना तेज हुआ कि आसपास के दूतावासों की इमारतों की खिड़कियां क्षतिग्रस्त हो गईं.

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पिछले 16 सालों से गृहयुद्ध की आग में झुलसे अफगानिस्तान में लगातार आतंकी हमले देखने को मिल रहे हैं, लेकिन यह हाल ही में किया गया सबसे बड़ा आतंकी हमला है. साल 2001 में अमेरिका ने अफगानिस्तान में आक्रमण करके तालिबान को सत्ता से बेदखल कर दिया था. हालांकि 13 साल बाद दिसंबर 2014 में अमेरिका के नेतृत्व वाले सुरक्षा बल ने अफगानिस्तान में मिशन को खत्म करने की घोषणा कर दी थी, लेकिन अफगान सुरक्षा बलों के सहयोग के लिए अब भी वहां पर अमेरिकी और नाटो सेना मौजूद है.

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बुधवार को हुए हमले के बाद अफगानिस्तान ने हक्कानी नेटवर्क के 11 आतंकियों को फांसी की सजा देने का आदेश दे दिया, जबकि अमेरिका सुरक्षा बलों ने बृहस्पतिवार को 25 तालिबान आतंकियों को ढेर कर दिया. इसमें 20 तालिबान आतंकी घायल भी हुए हैं. विशेषज्ञों की माने, तो आतंकियों ने अफगानिस्तान के खिलाफ दुनिया को खड़ा करने के लिए राजनयिक इलाके को निशाना बनाया.

16 साल के खूनी खेल में सवा लाख लोगों की गई जान
16 साल से गृहयुद्ध की आग में जल रहे अफगानिस्तान में अब तक सवा लाख से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है. इसमें 42 हजार 150 तालिबान आतंकी, 31 हजार 420 नागरिक, 30 हजार पांच सौ अफगान सुरक्षाकर्मी, दो हजार 371 अमेरिकी सुरक्षा बल और एक हजार 136 नाटो सुरक्षा बल के कर्मी जान गंवा चुके हैं. इसके बावजूद अब भी दिल दहला देने वाली अफगानिस्तान की खूनी जंग खत्म होने का नाम नहीं ले रही है.

अब भी 35 हजार तालिबानी सक्रिय
16 साल की जंग के बाद अब भी अफगानिस्तान में 35 हजार तालिबान आतंकी सक्रिय हैं. सीएनएन के मुताबिक अफगानिस्तान में वर्तमान में आठ हजार अमेरिकी सुरक्षा कर्मी और छह हजार नाटो के सुरक्षा कर्मी मौजूद हैं, जो 35 हजार सक्रिय तालिबान आतंकियों से जंग लड़ रहे हैं. 2009 से 2010 तक अफगानिस्तान में एक लाख 30 हजार विदेशी सेना मौजूद थी.

आतंकियों से ज्यादा खतरनाक पाकिस्तान
अफगानिस्तान में आतंकी हमलों को अंजाम देने में पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई का हाथ होता है. बुधवार को हुए हमले में भी पाकिस्तान की संलिप्तता सामने आ चुकी है. अमेरिकी विशेषज्ञों की माने, तो अफगानिस्तान के लिए तालिबान से ज्यादा खतरनाक आईएसआई है. इसके अलावा दुनिया का सबसे खूंखार आतंकी संगठन आईएसआईएस भी अफगानिस्तान में अपनी पैठ जमा रहा है. ऐसे में इससे निपटने के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ठोस कार्रवाई करनी होगी.

अफगानिस्तान की राजधानी काबुल में हाल ही में हुए आतंकी हमले
– 31 मई 2017 को काबुल के राजनयिक इलाके में पानी के टैंकर में विस्फोटक भरकर धमाका, 90 लोगों की मौत और 450 से ज्यादा लोग घायल.
– आठ मार्च 2017 को अमेरिकी दूतावास के नजदीक हमला. इसमें 30 लोगों की मौत हो गई, जिसकी जिम्मेदारी आईएसआईएस ने ली.
– 10 जनवरी 2017 को अफगान संसद और अमेरिकी यूनिवर्सिटी को निशाना बनाकर दो तालिबानी आत्मघाती हमले किए गए, जिसमें कम से कम 36 लोगों की मौत हो गई.
– 21 नवंबर 2016 को आईएसआईएस आतंकी ने मस्जिद के अंदर धमाका कर दिया, जिसमें 30 लोगों की मौत हो गई.
– पांच सितंबर 2016 को अफगान रक्षा मंत्रालय के नजदीक तालिबान ने दो बम धमाके किए, जिसमें दो दर्जन से ज्यादा लोगों की जान चली गई.
– 23 जुलाई 2016 को अफगानिस्तान की संसद के बाहर आईएसआईएस ने धमाका किया, जिसमें 80 लोगों की मौत हो गई.

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