16 या 17 सितंबर कब है विश्वकर्मा पूजा? जानें पूजा विधि और महत्व

विश्वकर्मा पूजा (Vishwakarma Puja 2025) का हिंदू धर्म में बड़ा महत्व है जो भगवान विश्वकर्मा को समर्पित है। भगवान विश्वकर्मा को सभी यांत्रिक और स्थापत्य कार्यों का जनक माना जाता है। इस दिन शिल्पकार कारीगर और इंजीनियर अपनी मशीनों और औजारों की पूजा करते हैं जिससे उनके काम में बरकत बनी रहे।
विश्वकर्मा पूजा का हिंदू धर्म में बहुत ज्यादा महत्व है। यह भगवान विश्वकर्मा को समर्पित है। इन्हें देवताओं का वास्तुकार और शिल्पकार माना जाता है। यह पर्व हर साल कन्या संक्रांति के दिन मनाया जाता है। इस साल इस पर्व को लेकर लोगों के बीच थोड़ी कन्फ्यूजन बनी हुई है, तो आइए यहां इसकी सही डेट (Vishwakarma Puja 2025 Date) जानते हैं।
विश्वकर्मा पूजा कब है?
वैदिक पंचांग के अनुसार, आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि 17 सितंबर को देर रात 12 बजकर 21 मिनट पर शुरू होगी। वहीं, इसका समापन 17 सितंबर को देर रात 11 बजकर 39 मिनट पर होगा। ऐसे में पंचांग को देखते हुए 17 सितंबर को विश्वकर्मा पूजा मनाई जाएगी।
विश्वकर्मा पूजा का महत्व
भगवान विश्वकर्मा को सृष्टि के सभी यांत्रिक और स्थापत्य कार्यों का जनक माना जाता है। उन्होंने स्वर्ग लोक, द्वारका नगरी और इंद्र के वज्र सहित कई दिव्य संरचनाओं का निर्माण किया। यह त्योहार शिल्पकारों, कारीगरों, इंजीनियरों और मशीनों से जुड़े कार्यस्थल के लिए विशेष महत्व रखता है।
इस दिन लोग अपनी मशीनों, औजारों और कारखानों की पूजा करते हैं ताकि उनके काम में बरकत बनी रहे।
पूजा विधि
पूजा से पहले, सभी औजारों, मशीनों और कार्यस्थल की अच्छी तरह से सफाई करें।
सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और पूजा का संकल्प लें।
एक वेदी पर भगवान विश्वकर्मा की मूर्ति स्थापित करें।
पूजा में फूल, अक्षत, रोली, चंदन, हल्दी, दीपक, धूप, फल और मिठाई आदि चीजें शामिल करें।
सबसे पहले गणेश जी की पूजा करें। फिर भगवान विश्वकर्मा को तिलक लगाएं और फूल माला अर्पित करें।
इसके बाद अपने सभी औजारों और मशीनों पर तिलक लगाकर उनकी पूजा करें।
उन पर फूल और अक्षत चढ़ाएं।
भगवान विश्वकर्मा के मंत्रों ‘ॐ विश्वकर्मणे नमः’ का जाप करें।
पूजा के अंत में भगवान विश्वकर्मा की आरती करें और प्रसाद चढ़ाएं।
पूजा के बाद प्रसाद बांटें और गरीबों को दान दें।