15 जून के बाद आएगा जिले की नहरों में पानी, बोरिंग के सहारे खेत तैयार कर रहे किसान

बिहार: बक्सर जिले में लगभग 98 हजार हेक्टेयर भूमि पर धान की खेती होती है। यहां के अधिकांश किसान नहरों और वर्षा पर निर्भर रहते हैं। पहले आमतौर पर रोहिणी नक्षत्र के साथ ही नहरों में पानी उपलब्ध हो जाता था, जिससे खेती की शुरुआत आसान होती थी।
बक्सर जिले में रोहिणी नक्षत्र की शुरुआत हो चुकी है और किसान धान की रोपाई के लिए खेत तैयार करने में जुटे हैं। हालांकि, जिले की गंगा पंप नहर और सोन पंप नहर से जुड़ी मुख्य व वितरण नहरों में फिलहाल पानी नहीं है, जिससे किसानों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। किसानों को नहरों से सिंचाई के बजाय बोरिंग और सबमर्सिबल पंप के सहारे खेत तैयार करने पड़ रहे हैं।
नहरों में पानी की अनुपलब्धता को लेकर गंगा पंप नहर के कार्यपालक अभियंता वीरेंद्र कुमार और सोन पंप नहर के कार्यपालक अभियंता धर्मेंद्र भारती ने बताया कि 15 जून के बाद ही पूरे सोन नहर प्रणाली में पानी आने की संभावना है। विभाग की ओर से इस संबंध में दो-तीन दिन पहले एक पत्र भी जारी किया गया है।
किसानों की उम्मीदों को लगा झटका
किसानों का कहना है कि रोहिणी नक्षत्र शुरू होते ही नहरों में पानी आ जाना चाहिए, ताकि समय पर बिचड़ा गिराया जा सके। आमतौर पर 1 जून से ही नहरों में पानी आने लगता है, लेकिन इस बार अब तक पानी नहीं आने से किसानों की उम्मीदों को झटका लगा है।
फिलहाल जिले में नौतपा का दौर चल रहा है, लेकिन इस दौरान भीषण गर्मी नहीं पड़ रही है। वहीं, अब तक प्री-मॉनसून की बारिश भी सामान्य से कम हुई है, जिससे खेतों में पर्याप्त नमी नहीं बन पाई है। बावजूद इसके, किसान मोटर पंप और सबमर्सिबल पंप सेट के सहारे खेतों में बिचड़ा गिरा रहे हैं। आने वाले दिनों में इस काम में और तेजी आने की उम्मीद है।
98 हजार हेक्टेयर में होती है धान की खेती
बक्सर जिले में लगभग 98 हजार हेक्टेयर भूमि पर धान की खेती होती है। यहां के अधिकांश किसान नहरों और वर्षा पर निर्भर रहते हैं। पहले आमतौर पर रोहिणी नक्षत्र के साथ ही नहरों में पानी उपलब्ध हो जाता था, जिससे खेती की शुरुआत आसान होती थी। लेकिन इस बार नहरों में देरी से पानी पहुंचने के कारण किसान निजी संसाधनों के सहारे खेती शुरू करने को मजबूर हैं।
जिला प्रशासन और सिंचाई विभाग की ओर से अब तक कोई वैकल्पिक व्यवस्था नहीं की गई है, जिससे किसानों की परेशानी और बढ़ गई है। किसानों को उम्मीद है कि 15 जून के बाद जब नहरों में पानी आएगा, तो खेती के कार्यों में तेजी आएगी और उत्पादन पर इसका असर न पड़ेगा।