पंजाब में NHAI के 13 प्रोजेक्ट रद्द होने का खतरा
केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी भी मुख्यमंत्री भगवंत मान को चेतावनी दे चुके हैं कि अगर समय पर भूमि अधिग्रहण नहीं हुआ तो प्रोजेक्टों को रद्द कर दिया जाएगा। वहीं, मुख्यमंत्री भगवंत मान का कहना है कि वह लगातार किसानों से बात करके भूमि अधिग्रहण से जुड़े विवादों को सुलझा रहे हैं।
पंजाब में नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एनएचएआई) की 13 प्रोजेक्टों पर रद्द होने का खतरा मंडराने लगा है। भूमि संबंधित विवादों के चलते ये प्रोजेक्ट लंबे समय से अटके हुए हैं। एनएचएआई को इनको पूरा करने के लिए 103 किलोमीटर भूमि की जरूरत है। दिल्ली-अमृतसर-कटड़ा एक्सप्रेसवे के तीन छोटे प्रोजेक्ट भी इसमें शामिल हैं। भूमि विवाद के चलते यह परियोजना भी लटक गई है।
एनएचएआई राज्य में कुल 37 राजमार्ग परियोजनाओं पर काम कर रहा है, जिनकी लंबाई 1,344 किलोमीटर है। 15 में से 13 परियोजनाओं के लिए अब भी काफी भूमि की जरूरत है, जबकि दो के लिए मामूली भूमि का कब्जा होना बाकी रह गया है। इनके लिए बात चल रही है। इन परियोजनाओं को समय पर पूरा करने के लिए भूमि अधिग्रहण बेहद जरूरी है, लेकिन किसानों के विरोध और अन्य प्रशासनिक बाधाओं के कारण काम प्रभावित हो रहा है।
अथॉरिटी ने राज्य सरकार से अपील की है कि बाकी भूमि का कब्जा लेने के लिए उनको प्रशासनिक व पुलिस सहायता प्रदान की जानी चाहिए, ताकि जल्द ही वे इन परियोजनाओं को काम शुरू कर सकें। हालांकि 740 किलोमीटर का 22 हाईवे परियोजनाओं का काम ट्रैक पर है और इनमें से अधिकतर परियोजनाएं के जल्द पूरा होने की उम्मीद है।
चार परियोजनाएं पहले हो चुकी हैं रद्द
केंद्र सरकार की तरफ से भूमि संबंधित विवादों के चलते चार परियोजनाओं को रद्द भी किया चुका है। इनमें खरड़ तक बनने वाला लुधियाना-रूपनगर हाईवे, सर्दर्न लुधियाना बाईपास, अमृतसर-घोमान टांडा पैकेज-2 और दिल्ली-अमृतसर-कटड़ा फेज-1 स्पर-2 शामिल हैं। 134.03 किलोमीटर लंबाई की ये चार परियोजनाओं को 4712.46 करोड़ रुपये में पूरा किया जाना था।
एनएचएआई की इन परियोजनाओं के लिए भूमि की जरूरत
दिल्ली-अमृतसर-कटड़ा एक्सप्रेस फेज-1 के लिए 0.2 किलोमीटर भूमि के पजेशन की जरूरत है। दिल्ली-अमृतसर-कटड़ा स्पर-3 फेज-1 के लिए 3.65 किलोमीटर, ब्यास डेरा बाबा नानक-1 में 0.8 किमी, अमृतसर-ऊना-1 में 12.73 किमी, दिल्ली-अमृतसर-कटड़ा स्पर-2 फेज-1 में 19.16 किमी, अबोहर-फाजिल्का में 1.77 किमी, अमृतसर बाईपास-3 में 0.64 किमी, मोगा-बाजाखाना में 1.88 किमी, ब्यास डेरा बाबा नानक-2 में 2.8 किमी, अमृतसर-बठिंडा-2 में 3 किमी, अमृतसर-बठिंडा-1 में 7.01 किमी, सर्दर्न लुधियाना बाईपास में 3.55 किमी, जालंधर बाईपास में 6.5 किमी, लुधियाना-बठिंडा-2 में 3.9 किमी और लुधियाना-रोपड़-2 में 35.14 किमी भूमि की जरूरत है।