जयपुर: सरकार को फिर से लगा चूना, कर्मचारियों के खातों में पहुंची डबल सेलेरी

हड़बड़ी में लागू किया गया नया पेमेंट सिस्टम IFMS 3.0 वित्त विभाग के अफसरों को ही समझ नहीं आ रहा है। पिछले साल ठेकेदारों और संविदा कर्मियों को दोहरे भुगतान कर दिए गए और अब सरकारी कर्मचारियों को डबल सेलेरी दे डाली। मामला सामने आने के बाद अब महकमे में हड़कंप मचा हुआ है।

फोन पर ही मामला निपटाने में जुटे जिम्मेदार अफसर
डबल सेलेरी खातों में पहुंचने का मामला सामने आने के बाद अब अफसरों की सिट्टी-पिट्टी गुम हो गई है। अपनी गलती छुपाने के लिए रिकवरी के लिखित आदेश भी नहीं निकाले जा सकते और इसी के चलते जिम्मेदार अफसर ट्रेजरी ऑफिस में फोन के जरिए कर्मचारियों के वेतन से रिकवरी करने के निर्देश दे रहे हैं।

कटौतियों को कैसे लौटाएंगे कर्मचारी
अब एक दिक्कत यह भी है कि वेतन कर्मचारी के बैंक अकाउंट से रिकवर कर लिया जाएगा लेकिन जीपीएफ, एसआई, एलआईसी, होम लोन और इनकम टैक्स की जो कटौतियां उनके खातों से हो गई हैं, उनकी रिकवरी कैसे होगी। आईएएस के लिए राजस्थान में अब भी एनपीएस लागू है, ऐसे में उनके खातों से एनएसडीएल में एनपीएस के अंशदान की जो कटौतियां हो गई हैं उनका क्या।

AG ऑफिस ने पहले भी जताई थी आपत्ति
सिस्टम को हड़बड़ी में लागू करने को लेकर न सिर्फ कर्मचारी संगठनों बल्कि महालेखाकार ऑफिस ने भी बार-बार आपत्ति जताई थी लेकिन मामला प्राइवेट कंपनियों को टेंडर देने का था तो अफसरों के कानों पर जूं तक नहीं रेंगी। प्रोजेक्ट को पूरा करने के नाम पर सरकार के हजारों करोड़ रुपए फूंक दिए गए और अब नतीजा सामने है।

इससे पहले भी कर्मचारियों के रिटायर हुए बिना ही उनके खातों में रिटायरमेंट बेनिफिट्स ट्रांसफर कर दिए गए थे और 100% महंगाई भत्ता डाल दिया गया था। इस संबंध में AG ऑफिस ने सरकार को पत्र लिखकर सेंट्रलाइज पेमेंट सिस्टम पर भारी आपत्ति भी जताई थी।

जो छुट्टी पर गया उसके वेतन की भी छुट्टी
ऐसे कर्मचारियों की संख्या भी हजारों में हैं, जिनका वेतन सिस्टम बना ही नहीं पा रहा और उन्हें वित्त विभाग के चक्कर लगवाए जा रहे हैं। सिस्टम की खामी यह है कि यदि कर्मचारी वेतन बिल जनरेट होने की तारीख के बाद भी छुट्टी पर रहता है तो सर्विस रिज्वाइन करने के बाद सिस्टम उस छुट्टी की अवधि को रेग्यूलराइज नहीं करता और वेतन को एरियर के रूप में दिखाता है। इससे कर्मचारी का आगे का वेतन बिल भी जनरेट नहीं हो पाता। इस परेशानी के चलते कर्मचारी वित्त विभाग के चक्कर लगाते नजर आते हैं। इतना ही नहीं जिन कर्मचारियों का तबादला चुनाव आचार संहिता लागू होने से पहले हो गया, उनकी Employee ID भी अब तक नहीं बन पाई है।

कब तय होगी बड़ों की जिम्मेदारी
वित्तीय नियमों की पालना में मामूली गलती होने पर छोटे कर्मचारियों को तो भारी-भरकम सजा मिल जाती है लेकिन विभाग में बैठे बड़े अफसरों से लगातार जो गलतियां हो रही हैं, उसके लिए इन्हें कौन सजा देगा।

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