कोबरा सांप के 123 बच्चे देख गांव के लोगों में मची खलबली: मध्यप्रदेश
घर में अगर एक सांप निकल आए तो रूह कांप जाती है। पर रौन के चचाई गांव में एक घर में रोजाना 5 से 25 सांप के बच्चे निकल रहे हैं। पिछले 8 दिन में 123 सांप के बच्चे निकले हैं। सांप के निकलने से पूरा परिवार दहशत में जी रहा रहा है। हालत यह है कि 2 बच्चे तो डर के कारण पड़ोसी के घर सोने जा रहे है।
रौन के चचाई गांव निवासी राजकुमार कुशवाहा पुत्र रामप्रकाश कुशवाहा के घर में रात के समय लगातार सांप के बच्चे निकल रहे हैं।
सांप के बच्चों के निकलने से गांव के लोगों में खलबली मच गई। 12 सदस्यीय परिवार में कई लोग तो अब रात के समय पड़ोसी के यहां सोने तक जा रहे हैं।
राजकुमार के बेटे जीवन सिंह कुशवाह ने बताया कि घर के अंदर पक्के कमरे को स्टोर रूम के रूप में उपयोग किया जाता है। 8 दिन पहले अचानक शाम 7.30 बजे 4-5 सांप के बच्चे स्टोर में पक्के फर्श पर रेंगते मिले। परिजन ने सांप के बच्चों को बर्तन में रखकर गांव के बाहर सांप की बांमी(सांप का रहने का बिल) के पास छोड़ आए।
जीवन के मुताबिक पिछले 8 दिन में अब तक रात के समय 123 सांप के बच्चे स्टोर रूम से निकले हैं। इसमें एक रात 51, दूसरी रात 21 निकले हैं।
इसके बाद कभी 5 तो कभी 8 सांप के बच्चे निकले हैं। घर में लगातार निकल रहे सांप के बच्चों की जानकारी पंचायत के पदाधिकारियों को दी। इसके बावजूद अभी तक हमें कोई सहायता नहीं मिल सकी है। हालांकि आसपास के सपेरे भी बुला चुके हैं, लेकिन स्टोर रूम में सांप के बच्चे कहां से निकल रहे हैं ये पता नहीं कर सके।
जीवन कुशवाह के मुताबिक करीब 3 महीने पहले शाम के समय स्टोर रूम से एक सांप निकला था। उस समय परिवार के लोगों ने उसे जाने दिया था।
सांप निकलकर बीहड़ में चला गया था। अब करीब 8 दिन से लगातार सांप के बच्चे निकल रहे हैं। सपेरे महेन्द्र नाथ का कहना है, कि स्टोर रूम में आकर किसी सांप ने सुरक्षित स्थान देख कर अंडे रख दिए होंगे, जिनका समय पूरा होने पर अंडों से बच्चे निकल रहे हैं। गर्मी की उमस की वजह से सांप बाहर निकल रहे हैं।
जंतु विज्ञान के प्रोफेसर इकबाल अली के अनुसार जो सांप निकल रहे हैं वह कोबरा प्रजाति के हैं। एक सांप 150 से 225 तक अंडे देता है।
अंडे से निकलने के 7 दिन के अंदर सपोलों का रंग काला हो जाता है। अगले सात दिनों में इनके विष वाले दांत निकल आते हैं और 21 दिन के अंदर इन दांतों में विष आ जाता है। फिर एक महीने में वह अपने केंचुल का त्याग करता है