एनटीसी-बीआईसी की 1200 करोड़ की जमीनों पर कब्जा

कानपुर में कपड़ा मंत्रालय के अधीन नेशनल टेक्सटाइल कारपोरेशन (एनटीसी) और ब्रिटिश इंडिया कॉरपोरेशन (बीआईसी) की 1200 करोड़ की जमीनों पर लोगों ने कब्जा कर रखा है। अकेले एक हजार करोड़ की एनटीसी की जमीन पर अवैध लोग बस गए हैं। ड्रोन सर्व में इसका खुलासा हो चुका है। इसी तरह बीआईसी के मकरावटगंज स्थित सेटलमेंट कॉलोनी में 150 लोगों का कब्जा है।

बीआईसी इन सभी को नोटिस भी दे चुका है। सिविल लाइंस स्थित एक बंगले पर ट्रैवल एजेंसी संचालक का कब्जा है। कपड़ा मंत्रालय के निर्देश पर 2022 में नेशनल टेक्सटाइल कारपोरेशन (एनटीसी) की मिलों व अन्य संपत्तियों की ड्रोन से मैपिंग कराई गई थी। शहर के अलग-अलग क्षेत्रों में स्थित पांच मिलों और अन्य संपत्तियों की भी मैपिंग शुरू की गई थी। मिलें 2003 से खंडहर में तब्दील हो चुकी हैं।

वहीं, अन्य जमीनों पर आलीशान होटल, रेस्टोरेंट और शोरूम खुल गए हैं। शहर में एनटीसी की 300 एकड़ में फैली जमीनों की कीमत करीब पांच हजार करोड़ से अधिक है। इसमें एक हजार करोड़ की जमीनों पर कब्जा है। इससे पहले नेशनल बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन कंपनी (एनबीसीसी) ने भी सर्वे किया था। एनबीसीसी की रिपोर्ट के आधार पर ही एनटीसी की संपत्तियों की ड्रोन मैपिंग कराई गई थी।

प्रदेश में एनटीसी की 11 मिलें
कानपुर में परेड स्थित म्योर मिल, ग्वालटोली स्थित न्यू विक्टोरिया मिल, जूही हमीरपुर रोड स्थित स्वदेशी कॉटन मिल, जरीब चौकी के पास अथर्टन मिल, दर्शनपुरवा-फजलगंज स्थित लक्ष्मीरतन कॉटन मिल। सूत्रों के अनुसार इनके अलावा मरियमपुर चौराहे के आगे एक बड़ा होटल, अलग-अलग दुकानों के शोरूम और रेस्टोरेंट भी एनटीसी की जमीन पर बने हैं। नौघड़ा, जनरलगंज, बिरहाना रोड पर भी एनटीसी की जमीनें हैं।

नजूल की जमीन पर ही बनी हैं मिलें
यहां भी कई शोरूम बन गए हैं। म्योर मिल की जमीनों का जो सर्वे कराया गया था उसके अनुसार ग्वालटोली चर्च रोड स्थित रेलवे लाइन के दोनों ओर की संपत्ति एनटीसी की है। अस्थायी कब्जा करने के बाद लोगों ने यहां बड़े-बड़े मकान बनवा लिए हैं। बताया गया कि रिपोर्ट कपड़ा मंत्रालय को भी भेजी जा चुकी है। बीआईसी और एनटीसी की मिलें नजूल की जमीन पर ही बनी हैं।

कब्जा छोड़ने वालों ने किराये पर उठा दिए क्वार्टर
सूत्रों ने बताया कि बीआईसी ने जुलाई 2022 से नवंबर 2022 तक खलासी लाइन स्थित मैफील्ड बंगला बिल्डर से खाली करवाया था। इसके साथ ही पूर्व डीजीपी से भी दो बंगले कोर्ट के आदेश पर खाली कराए थे। इस पर अब बीआईसी का कब्जा है। मकरावटगंज स्थित सेटलमेंट कॉलोनी में लाल इमली मिल में काम करने वाले कर्मचारी रहते थे।

अफसरों की उदासीनता के चलते अब तक नहीं मिल सका कब्जा
सेवानिवृत्ति के बाद भी कब्जा नहीं छोड़ा। वहीं कब्जा छोड़ने वालों ने तमाम बाहरी लोगों को किराए पर क्वार्टर उठा दिए। इन सभी को बीआईसी नोटिस दे चुका है। ट्रैवल एजेंसी संचालक के खिलाफ 2018 में ग्वालटोली थाने में एफआईआर दर्ज कराई थी, लेकिन पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की। बीआईसी के स्थानीय अफसरों की उदासीनता के चलते भी कब्जा अब तक नहीं मिल सका है।

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