114 साल के एथलीट को सम्मान: फौजा सिंह के नाम पर होगा सरकारी स्कूल का नाम

टर्बन टॉरनेडो, रनिंग बाबा और सिख सुपरमैन नाम से मशहूर पंजाब के 114 साल के मास्टर एथलीट फौजा सिंह का रविवार को जालंधर के उनके पैतृक गांव ब्यास पिंड में राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया।

पंजाब सरकार ने दुनिया के सबसे उम्रदराज 114 साल के एथलीट फौजा सिंह के नाम पर स्कूल का नाम रखने का फैसला लिया है। आप सरकार ने मास्टर एथलीट फौजा सिंह को मरणोपरांत उन्हें यह सम्मान दिया है। फौजा सिंह के जालंधर स्थित उनके पैतृक गांव ब्यास में राजकीय स्कूल का नाम फौजा सिंह के नाम पर रखा जाएगा। 14 जुलाई को सड़क हादसे में फौजा सिंह का निधन हुआ था। 20 जुलाई को उनका अंतिम संस्कार गांव के श्मशानघाट में किया गया था।

शिक्षा मंत्री हरजोत सिंह बेंस ने कहा कि अब तक पंजाब सरकार 115 सरकारी स्कूलों के नाम शहीदों, स्वतंत्रता सेनानियों, गदरी बाबों और पंजाब की नामवर हस्तियों के नाम पर रख चुकी है। अब इनके अलावा सूबे में 25 और सरकारी स्कूलों के नाम बदलने की तैयारी।

शिक्षा मंत्री हरजोत सिंह बेंस ने कहा कि पंजाब की अगली पीढ़ियां प्रदेश के महान लोगों से रूबरू हों, इसलिए यह फैसला लिया गया है। जिन स्कूलों के नाम बदले जा चुके या बदले जा रहे, वहां शहीदों, स्वतंत्रता सेनानियों, गदरी बाबों और पंजाब की नामवर हस्तियों की तस्वीरें, उनकी पेटिंग व जीवनी लिखे पट्ट भी लगेंगे।

सड़क हादसे में गई जान
14 जुलाई को फौजा सिंह को एक दर्दनाक हादसे में जान गंवानी पड़ी। वे अपने घर से महज 120 मीटर की दूरी पर हाईवे पार कर रहे थे, तभी फॉर्च्यूनर गाड़ी सवार एनआरआई युवक अमृतपाल सिंह ढिल्लों (27) ने उन्हें टक्कर मार दी। वे गंभीर रूप से घायल हो गए और इलाज के दौरान उनका निधन हो गया। आरोपी को घटना के 30 घंटे बाद गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया।

देशभर से मिली श्रद्धांजलि
राज्यपाल कटारिया ने फौजा सिंह को शरीर पर अद्भुत आत्मविश्वास रखने वाला व्यक्ति बताया। अकाली दल के नेता डॉ. दलजीत सिंह चीमा ने उन्हें सिखों का एंबेसडर कहा। पंजाब सरकार के मंत्री मोहिंदर भगत ने कहा कि फौजा सिंह ने अपनी सादगी और संकल्प से देश को गर्व महसूस कराया है।

अंतिम यात्रा में उमड़ा जन सैलाब
फौजा सिंह की अंतिम यात्रा में बड़ी संख्या में ग्रामीण और प्रशंसक शामिल हुए। वाहन पर रखे पार्थिव शरीर के साथ लोग पैदल चलते हुए श्मशान घाट तक पहुंचे। फौजा सिंह की प्रेरक जीवनगाथा, आने वाली पीढ़ियों के लिए हमेशा मिसाल बनी रहेगी।

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