10वीं में 52%, तीन बार IIT में फेल, 12 साल धक्के खाने के बाद बने SDM

राहुल सिन्हा कहते हैं कि 10वीं में उन्हें सिर्फ 52% नंबर मिले थे, लेकिन उन्होंने इसे अपनी किस्मत का फैसला नहीं माना। उस वक्त बहुत लोग शायद कह देते, “अब इससे कुछ नहीं होगा”।

सोशल मीडिया पर इन दिनों बिहार के SDM राहुल सिन्हा का एक वीडियो खूब वायरल हो रहा है। इस वीडियो में उन्होंने अपनी जिंदगी का ऐसा सफर बताया है, जो हर उस इंसान को प्रेरित करता है जिसने कभी हार मानने का सोचा हो। राहुल सिन्हा कहते हैं कि 10वीं में उन्हें सिर्फ 52% नंबर मिले थे, लेकिन उन्होंने इसे अपनी किस्मत का फैसला नहीं माना। उस वक्त बहुत लोग शायद कह देते, “अब इससे कुछ नहीं होगा”। मगर राहुल ने हार नहीं मानी। तो आज की इस खबर में हम आपको इसी वीडियो के बारे में विस्तार से बताने जा रहे हैं। आइए जानते हैं।

सोशल मीडिया पर वायरल हुआ वीडियो

उन्होंने IIT की परीक्षा दी। एक बार नहीं, बल्कि पूरे तीन बार, लेकिन हर बार नतीजा वही रहा। असफलता। फिर भी उन्होंने खुद से कहा कि “अगर मंजिल नहीं मिली तो रास्ता बदलूंगा, रुकूंगा नहीं।” और यही सोच उन्हें बार-बार गिरकर भी उठने की ताकत देती रही। राहुल सिन्हा बताते हैं कि IIT में फेल होने के बाद उनके सामने रास्ता ही नहीं बचा था। वो बताते हैं कि उस दौर में उन्हें समझ नहीं आ रहा था कि जिंदगी में आगे क्या करना है। लेकिन उन्होंने खुद को संभाला, अलग-अलग काम किए। 12 साल तक संघर्ष किया पर सपनों से नजर नहीं हटाई।

ऐसे पास की परीक्षा

वो कहते हैं, “अगर आप ईमानदारी से मेहनत करते हैं, तो एक दिन सफलता जरूर मिलती है। बस धैर्य रखना पड़ता है।” यही धैर्य आखिर उन्हें उनकी मंजिल तक ले गया। वर्षों की मेहनत और संघर्ष के बाद आखिरकार उन्होंने BPSC परीक्षा पास कर ली। राहुल का कहना है कि जब उन्होंने पहली बार 10वीं में 52% देखे थे तो उन्होंने भी सोचा था कि शायद अब कुछ नहीं हो पाएगा। लेकिन आज वही लड़का हजारों युवाओं के लिए मिसाल बन गया है। उनका वीडियो देखकर कई लोग हैरान रह जाते हैं कि जिसने IIT में तीन बार हार झेली, उसने आखिर कैसे हार न मानते हुए BPSC जैसे कठिन एग्जाम में सफलता हासिल की।

वीडियो पर यूजर्स ने दिए ऐसे रिएक्शंस

अपने वायरल वीडियो में राहुल सिन्हा कहते हैं, “जब जागिए तभी सवेरा है।” यानी अगर आपने आज मेहनत शुरू की है, तो समझ लीजिए यही आपका सही वक्त है। जिंदगी में कभी देर नहीं होती। अगर आप सच्चे दिल से कोशिश करें तो मंजिल देर से ही सही, लेकिन जरूर मिलती है। उनका यह संदेश लाखों युवाओं तक पहुंच चुका है। सोशल मीडिया पर लोग उन्हें “रियल मोटिवेशन” कहकर सराह रहे हैं। कोई लिख रहा है, “सफलता उन्हीं को मिलती है जो आखिरी सांस तक कोशिश करते हैं” तो कोई कह रहा है, “राहुल सिन्हा जैसे लोग हमें याद दिलाते हैं कि नाकामी ही सफलता की पहली सीढ़ी होती है।”

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