100 साल का हुआ कानपुर का तिलकनगर; मोतीलाल नेहरू ने रखा था आधार

कानपुर का तिलकनगर 100 साल का हो गया है। 1925 में मोतीलाल नेहरू ने कांग्रेस अधिवेशन के लिए इसका नामकरण किया था, जहां गांधीजी ने स्वदेशी का शंखनाद किया था।

कानपुर शहर के पॉश मोहल्लों में शुमार तिलकनगर 25 अक्तूबर को 100 साल का हो गया। ग्वालटोली और नवाबगंज के बीच स्थित म्यूनिसिपल मैदान को 1925 में 23 दिसंबर से 29 दिसंबर तक होने वाले कांग्रेस के 44वें राष्ट्रीय अधिवेशन के लिए चुना गया था। इसी मैदान पर अधिवेशन के विभिन्न पंडालों के अस्थायी निर्माण का शिलान्यास 25 अक्तूबर 1925 को पंडित मोतीलाल नेहरू ने किया। उन्होंने ही पंडालों की इस अस्थायी बसावट को बाल गंगाधर तिलक के सम्मान में तिलकनगर नाम दिया।

वर्तमान में बंगलों, चौड़ी सड़कों और नामी हस्तियों का रिहाइशी क्षेत्र तिलकनगर पहले कृषि भूमि था। कानपुर कांग्रेस गाइड (1925) के मुताबिक यह भूमि ग्वालटोली और नवाबगंज के बीच स्थित थी। त्रिभुजाकार भूमि दक्षिण दिशा में बिठूर रोड और उत्तर में पुराना कानपुर रोड के बीच दोनों सड़कों से मिली हुई थी। यही दोनों सड़कें कंपनी बाग के पास मिलकर इसकी पश्चिमी हद को समाप्त करती थीं। खलासी लाइन के पश्चिम वाली सड़क पुराना कानपुर रोड तथा बिठूर रोड को मिलाती है। वह इस जमीन के पूर्व में थी। वर्तमान में यह हिस्सा एलनगंज और वीआईपी रोड के बीच स्थित है।

वार्षिक अधिवेशन 23 दिसंबर से 29 दिसंबर 1925 तक चला
कानपुर इतिहास समिति के महासचिव अनूप कुमार शुक्ल ने बताया कि 1920 के दशक में भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन जोर पकड़ रहा था और कांग्रेस अधिवेशन राष्ट्रीय नेताओं के लिए अपने विचारों को साझा करने का एक मंच बन गया। शहर के म्यूनिसिपल मैदान में कांग्रेस का वार्षिक अधिवेशन 23 दिसंबर से 29 दिसंबर 1925 तक चला। अधिवेशन में महात्मा गांधी, पंडित मोतीलाल नेहरू, सरदार वल्लभ भाई पटेल, सुभाष चंद्र बोस, जवाहरलाल नेहरू जैसे प्रमुख नेताओं ने भाग लिया।

कपड़ों का पूरा बहिष्कार कर दें
अधिवेशन का मुख्य एजेंडा स्वराज और राष्ट्रीय एकता था। 24 दिसंबर को स्वदेशी प्रदर्शनी का उद्घाटन करते हुए गांधी जी ने कहा था कि मैं केवल खद्दर ही का स्वप्न देखा करता हूं। मैंने प्रदर्शनी खोलने की जिम्मेदारी उसी समय ली जब जवाहरलाल जी ने मुझसे इस बात का विश्वास दिला दिया कि इस प्रदर्शनी में कोई भी विदेशी चीज नहीं रखी जाएगी। आज भी मैं आपको यकीन दिलाता हूं कि यदि आप सब विदेशी तथा देशी मिलों के कपड़ों का पूरा बहिष्कार कर दें, तो एक वर्ष से कम समय में ही हमें स्वराज्य मिल सकता है।

इसी अधिवेशन में चुनी गईं पहली भारतीय महिला कांग्रेस अध्यक्ष
शुक्ल के मुताबिक, यह अधिवेशन महिला सशक्तीकरण की दिशा में भी अहम साबित हुआ। इसी अधिवेशन में 24 दिसंबर 1925 को महात्मा गांधी ने कांग्रेस अध्यक्ष पद को छोड़ा था। इसी दिन कांग्रेस ने पहली भारतीय महिला सरोजनी नायडू को अध्यक्ष चुना था। इससे पहले 1917 में विदेशी महिला डॉ. एनी बेसेंट को कांग्रेस की पहली महिला अध्यक्ष चुना गया था।

1940 से बदली तिलकनगर की सूरत
वरिष्ठ कांग्रेस नेता शंकर दत्त मिश्रा ने बताया कि बाल गंगाधर तिलक का निधन 1920 में हुआ था। महात्मा गांधी ने उनके सम्मान में देश भर के प्रमुख स्थलों का नामकरण करने की बात रखी थी। इसी के चलते देश भर में कई स्थानों के नाम गंगाधर तिलक पर रखे गए। शहर में औद्योगिकरण की शुरुआत 1950 के दशक में हुई। आसपास कई मिलों के होने के कारण इस क्षेत्र में आवासीय विकास की जरूरत महसूस हुई।

कानपुर इम्प्रूवमेंट ट्रस्ट ने इस क्षेत्र को योजनाबद्ध तरीके से विकसित करने का निर्णय लिया। 1960 के दशक में क्षेत्र का तेजी से विकास हुआ और यहां आवासीय कॉलोनियां बनाई गईं। तिलक की देशभक्ति और राष्ट्रीय भावना को सम्मान देने के लिए इस क्षेत्र का नाम तिलकनगर बरकरार रखा। कभी श्रमिकों और मध्य वर्ग के लोगों के लिए बसा मोहल्ला आज नई रंगत में दिखता है। शहर के नामी व्यक्तियों की रिहाईश वाले इस मोहल्ले में मॉल, हाईराइज अपार्टमेंट, होटल और नामचीन कंपनियों के शोरूम हैं।

कोई बड़ा कांग्रेसी नेता नहीं निकला
तिलकनगर का जन्म भले ही कांग्रेस के अधिवेशन से हुआ हो और इसका अस्तित्व कांग्रेस से जुड़ा हो, लेकिन यहां से पार्टी का कोई बड़ा नेता, विधायक, सांसद नहीं बन सका।

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