ज़िन्दगी के लिए संघर्ष कर रहे अजित जोगी को डॉक्टर सुना रहे हैं गाने
जुबिली न्यूज़ ब्यूरो
नई दिल्ली. छत्तीसगढ़ के पहले मुख्यमंत्री अजित जोगी रायपुर के श्री नारायणा अस्पताल में काफी नाज़ुक स्थिति में हैं. उनकी न्यूरोलाजिकल एक्टीविटी ना के बराबर है. साधारण भाषा में कहें तो वह कोमा में हैं और उन्हें वेंटीलेटर पर रखा गया है.
जोगी जिस दौर में हैं उसमें दवा से ज्यादा दुआ की ज़रूरत होती है. डाक्टरों की एक टीम अजित जोगी को एक अलग तरह के ट्रीटमेंट से उन्हें कोमा से बाहर लाने की कोशिश कर रहे हैं. उन्हें जिस वार्ड में भर्ती किया गया है उसमें उनके पसंदीदा गाने बजाये जा रहे हैं. इस थैरेपी को म्युज़िक थैरेपी भी कह सकते हैं और ऑडियो थैरेपी भी.
अजित जोगी के बार्ड में कारवां ट्रांजिस्टर रखा गया है. इसमें 5000 गाने रिकार्ड हैं. डॉक्टरों को लगता है कि जो गाने उन्हें बहुत ज्यादा पसंद थे वह उनके आसपास गूंजेंगे तो हो सकता है कि उनके दिमाग का कोई भी एक्टिव हिस्सा उस गाने को पकड़ ले. संगीत की यह थैरेपी ठीक उसी वक्त अपना काम करना शुरू कर देगी जबकि निष्क्रिय मस्तिष्क का कोई हिस्सा इसे सुनकर एक्टिव हो जाए. धीरे-धीरे वह पूरे मस्तिष्क को एक्टिव कर देगा. ऐसे में बहुत संभव है कि उनकी कोमा से वापसी आसान हो जाए.
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म्युज़िक थैरेपी मेडिकल के क्षेत्र में गैर परम्परागत तकनीक है लेकिन जब दूसरे सभी उपाय काम करना बंद कर चुके हों तब इस तकनीक के ज़रिये सोये हुए मस्तिष्क की तंत्रिकाओं को उत्तेजित करने का प्रयास किया जा सकता है. विज्ञान में यह साबित है कि पसंद का संगीत जब कानों के ज़रिये मस्तिष्क में पहुँचता है तो मस्तिष्क से एक हार्मोन निकलना शुरू होता है. यह हार्मोन खुशी का भाव भी पैदा करता है और मस्तिष्क के दूसरे हिस्सों तक भी चला जाता है. मांट्रियल में इस तरह की थैरेपी से तमाम लोगों को बचाया भी जा चुका है. म्युज़िक थैरेपी के ज़रिये मुर्दा हो रहे पौधों को भी जीवित किया जाता रहा है. जिन पौधों के पास संगीत बजता है वह ज्यादा स्वस्थ होते हैं.
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बताया जाता है कि जिस दौर में एनिस्थीसिया की खोज नहीं हुई थी तब आपरेशन से कुछ देर पहले मरीज़ को उसकी पसंद का संगीत सुनाया जाता था. जब वह संगीत में पूरी तरह से खो जाता था तब उसका आपरेशन कर दिया जाता था. कई बार मरीजों को संगीत सुनाने के साथ-साथ उन्हें शराब भी पिलाई जाती थी ताकि वह आपरेशन के दर्द का कम से कम अहसास कर सकें.
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