होशियार और संस्कारी बच्चे चाहिए? स्कूल नहीं, आप खुद सिखाएं ये 5 आदतें

अक्सर हम सोचते हैं कि स्कूल हमारे बच्चे को सब कुछ सिखा देगा लेकिन हकीकत कुछ और ही है। जी हां बच्चों की नींव तो घर में ही रखी जाती है! अगर आप चाहते हैं कि आपका लाडला या लाडली न सिर्फ होशियार बने बल्कि हर कोई कहे वाह क्या संस्कारी बच्चा है! तो यह आर्टिकल आपके लिए ही है।
आजकल हर माता-पिता चाहते हैं कि उनका बच्चा सिर्फ पढ़ाई में ही नहीं, बल्कि संस्कारों में भी अव्वल हो। हमें लगता है कि स्कूल यह सब सिखा देगा, लेकिन सच्चाई यह है कि बच्चों की पहली पाठशाला उनका घर ही होता है। कुछ आदतें ऐसी होती हैं जो अगर आप बचपन से ही अपने बच्चों में डाल दें, तो वे न सिर्फ होशियार बनेंगे बल्कि संस्कारी भी कहलाएंगे। यकीन मानिए, इन आदतों को देखकर उनके टीचर्स भी आपकी तारीफ करेंगे!
बड़ों की इज्जत करना
बच्चों को बचपन से सिखाएं कि वे बड़ों के पैर छूकर आशीर्वाद लें या कम से कम हाथ जोड़कर नमस्ते करें। उन्हें बताएं कि जब कोई उनकी मदद करे या कुछ दे, तो Thank You जरूर कहें। इसी तरह, जब उन्हें कुछ चाहिए हो, तो Please शब्द का इस्तेमाल करें। ये छोटे शब्द बच्चों की पर्सनैलिटी में चार-चांद लगा देते हैं।
अपनी चीजों को मैनेज रखना
यह आदत बच्चों में जिम्मेदारी की भावना पैदा करती है। उन्हें सिखाएं कि खेलने के बाद अपने खिलौने सही जगह पर रखें, स्कूल से आने के बाद अपनी किताबें और कपड़े व्यवस्थित करें। शुरुआत में आपको थोड़ी मेहनत करनी पड़ेगी, लेकिन धीरे-धीरे यह उनकी आदत बन जाएगी। एक व्यवस्थित बच्चा अपने आसपास के माहौल को भी साफ-सुथरा रखना सीखता है।
मिल-बांटकर खाना और खेलना
आजकल बच्चे अकेले खेलना और खाना पसंद करते हैं, लेकिन उन्हें यह सिखाना बहुत जरूरी है कि मिल-बांटकर खाने और खेलने का अपना ही आनंद है। उन्हें अपने खिलौने दूसरों के साथ शेयर करना सिखाएं। जब वे ऐसा करेंगे, तो उनमें सहयोग और सामाजिकता की भावना विकसित होगी। यह उन्हें भविष्य में एक अच्छा टीम प्लेयर बनने में मदद करेगा।
सच बोलने की आदत
कहते हैं ईमानदारी सबसे अच्छी नीति है। अपने बच्चों को हमेशा सच बोलने के लिए प्रेरित करें, भले ही उन्होंने कोई गलती की हो। उन्हें समझाएं कि गलती करने पर डांट नहीं पड़ेगी, अगर वे सच बोलेंगे। इससे उनमें निडरता और आत्मविश्वास आएगा। जब बच्चे सच बोलने लगेंगे, तो आप उन पर ज्यादा भरोसा कर पाएंगे।
दूसरों की मदद करना
बच्चों को सिखाएं कि वे अपने से छोटों या कमजोर लोगों की मदद करें। अगर कोई क्लासमेट मुश्किल में है, तो उसकी मदद करें। उन्हें जानवरों और प्रकृति के प्रति सहानुभूति रखना भी सिखाएं। जब बच्चे दूसरों के दर्द को समझेंगे और उनकी मदद करेंगे, तो वे एक संवेदनशील और जिम्मेदार नागरिक बनेंगे।
ये आदतें केवल स्कूल के लिए नहीं, बल्कि पूरे जीवन के लिए बच्चों की नींव मजबूत करती हैं। याद रखें, आप जो बच्चों को सिखाते हैं, वे वही सीखते हैं। तो आज से ही इन आदतों को अपने बच्चों की दिनचर्या का हिस्सा बनाएं और देखिए वे कैसे होशियार, संस्कारी और सबके प्यारे बनते हैं।