‘हीरामंडी’ के बाद अध्ययन सुमन के लिए नहीं खुले दरवाजे

संजय लीला भंसाली की वेब सीरीज ‘हीरामंदी’ से मिली जबरदस्त तारीफ के बाद भी इंडस्ट्री का वैसा साथ ना मिलना, जैसा उम्मीद थी लेकिन अध्ययन सुमन ने हार नहीं मानी। अमर उजाला डिजिटल से बातचीत में उन्होंने अपने संघर्ष, फैसलों और फिल्मों के बजट की हकीकत से पर्दा उठाया। जानिए कैसे उन्होंने मुश्किलों का सामना किया और इंडस्ट्री के हालात पर क्या कहा।

‘हीरामंदी’ के बाद आपको इतना प्यार मिला, लेकिन इंडस्ट्री का रिस्पॉन्स वैसा क्यों नहीं रहा, जैसा उम्मीद थी?

‘सच कहूं तो, मुझे लगा था ‘हीरामंदी’ के बाद सब कुछ बदल जाएगा। इतना प्यार और तारीफ मिली, मेरे सीन भी खूब वायरल हुए, लेकिन इंडस्ट्री से वैसा रिस्पॉन्स नहीं मिला जैसा मैंने सोचा था। अब एक साल से ऊपर हो गया है, लेकिन आज तक मुझे वो फिल्में नहीं मिलीं जो मिलनी चाहिए थीं। ये बात दिल को थोड़ा चुभती है। जब दिल से मेहनत करो और ऑडियंस भी तुम्हें पसंद करे, तो उम्मीद होती है इंडस्ट्री भी साथ देगी।

इस साल मेरी तीन फिल्में हैं। दो वो जो पहले से शूट हुई थीं और एक नया प्रोजेक्ट जो ‘हीरामंदी’ के बाद साइन किया है। वो खास है। लेकिन सच कहूं तो फोन कॉल्स कम हो गए हैं, दरवाजे कम खुले हैं, मिलने वाले कम हुए हैं। ये मेरे लिए बड़ा सच सामने आना जैसा है।’

कभी ऐसा लगा कि सब कुछ छोड़ दूं?
‘हां, एक दिन ऐसा जरूर आया जब लगा कि सब खत्म हो गया। लेकिन उसी दिन मैंने मन बनाया कि जो लोग मेरी हार देखना चाहते हैं, उन्हें मौका नहीं दूंगा। मैंने अपने सबसे मुश्किल वक्त से खुद को निकाला। मेरे लिए सफलता पैसे या हिट-फ्लॉप नहीं है। सफलता है- ईमानदार रहना, चाहे वक्त कैसा भी हो। मैं खुद को आज दुनिया का सबसे सफल इंसान मानता हूं क्योंकि मैं टूटा, लेकिन चलता रहा। काम मिलता रहे, यही दुआ है मेरी।’

क्या आपके पिता, शेखर सुमन जी ने कभी आपके करियर के फैसलों में दखल दिया?
‘जब मैंने पापा से कहा था कि मैं ‘हाल-ए-दिल’ से डेब्यू करना चाहता हूं, तो उन्होंने कहा, ‘ये तुम्हारे लिए सही शुरुआत नहीं है। मैं तुम्हें लॉन्च नहीं कर सकता क्योंकि मेरे पास पैसे नहीं हैं। लेकिन अगर तुम करना चाहते हो, तो ये फैसला तुम्हारा है। बाद में आकर रोना मत और जब मैं फिल्म के सेट पर पहुंचा, पहला फोन पापा को किया था। मैंने कहा, ‘पापा, ये मेरी जिंदगी का सबसे बड़ा गलत फैसला है। तो पापा बोले, अब तू कूद चुका है समुंदर में, तो खुद तैरना पड़ेगा। प्रोड्यूसर ने पैसे लगा दिए हैं, अब पीछे हटना मुश्किल है। मैं उन्हीं की वजह से आज भी मजबूत हूं क्योंकि उन्होंने मुझे कभी स्पेशल ट्रीटमेंट नहीं दिया, बल्कि मेरी लड़ाई खुद लड़ने दी।’

कभी लगा कि कुछ फैसले जल्दीबाजी में कर लिए?
‘सच कहूं, ‘हाल-ए-दिल’ साइन करने के बाद आज भी सोचता हूं कि इतनी जल्दी क्यों कर लिया। न्यू यॉर्क फिल्म एकेडमी से डायरेक्शन का कोर्स किया था, बस जल्दी काम शुरू करना चाहता था। उस वक्त कोई खास रोल नहीं देखा, बस काम करना था। अब सोचता हूं कि इंतजार कर सकता था, कोई बेहतर कहानी या रोल मिलने का इंतजार कर सकता था। पर वही गलती मुझे तोड़ा और फिर मजबूत भी बनाया।’

बीच में की गई फिल्मों के बारे में क्या सोचते हैं?
कुछ फिल्में ऐसी भी कीं, जिन्हें दिल से नहीं करना चाहिए था। 2014 की एक फिल्म थी, मुझे पता था ये सही नहीं है, लेकिन काम नहीं मिलता था, तो इंसान डेस्परेट हो जाता है। जो भी मौका मिलता, पकड़ लेना पड़ता था। लेकिन अब वो दौर खत्म हो चुका है। अब मैं सिर्फ वही काम करूंगा जिसमें दिल और आत्मा हो, मजबूरी नहीं। कोई ऐसा पल जो हमेशा दिल में बस गया हो – जब आपके पापा ने गर्व से आपको देखा हो?

शायद पहली फिल्म में नहीं, लेकिन एक खास मौका था, जब भंसाली साहब ने मेरे पापा को फोन किया था। मेरे लिए वो पल बहुत खास था। एक सीन था जिसमें मनीषा जी आती हैं, और वो मेरे करियर का सबसे अहम सीन था। फोन पर पापा की आवाज लड़खड़ा रही थी। मुझे लगा वो शायद फोन के उस पार रो रहे थे। वो पल मेरे दिल को छू गया क्योंकि मुझे लगा कि सारी मेहनत, जो मैंने की, सिर्फ पैसे के लिए नहीं थी। मैं चाहता था कि मेरे पिता मुझ पर गर्व करें।’

आजकल फिल्मों के बजट 500 से 1000 करोड़ तक पहुंच गए हैं, क्या इंडस्ट्री को इतना फायदा हो रहा है?

‘असलियत ये है कि बड़े बजट का आधा हिस्सा एक्टर्स, उनके स्टाफ और मैनेजमेंट में चला जाता है। मेकअप आर्टिस्ट और टीम को इतना पैसा मिलता है कि असली प्रोडक्शन, स्क्रिप्ट और सिनेमैटोग्राफी पर कम पड़ जाता है। इसलिए कई फिल्में उम्मीद के मुताबिक सफल नहीं हो पातीं। अगर पैसा सही जगह, जैसे स्क्रिप्ट और तकनीशियनों पर लगाया जाए, तो नतीजे बेहतर हो सकते हैं। फिलहाल इंडस्ट्री घाटे में है और बिजनेस सही नहीं चल रहा। नए टैलेंट को मौके मिलते हैं, लेकिन वे कम हैं, जबकि कई बार एक ही शख्स को कई फ्लॉप प्रोजेक्ट्स के बाद भी मौका मिलता रहता है। ये एक बड़ा मुद्दा है, जिस पर इंडस्ट्री को सोचने की जरूरत है।’

अध्ययन सुमन का फिल्मी करियर
अभिनेता शेखर सुमन के बेटे अध्ययन ने 2008 में फिल्म ‘हाल-ए-दिल’ से बॉलीवुड में कदम रखा। इसके बाद उन्होंने ‘राज 2’, ‘जश्न’, ‘देहरादून डायरीज’, ‘इश्क क्लिक’, ‘हार्टलेस’ जैसी फिल्मों में अभिनय किया। हालांकि, इन फिल्मों से अपेक्षित सफलता नहीं मिली, जिसके कारण उनका करियर ठहर सा गया।

हाल ही में, अध्ययन सुमन ने संजय लीला भंसाली की वेब सीरीज ‘हीरामंडी’ में अभिनय किया, जो नेटफ्लिक्स पर 1 मई, 2024 को रिलीज हुई। इस सीरीज में मनीषा कोइराला, सोनाक्षी सिन्हा, ऋचा चड्ढा और फरदीन खान जैसे कलाकारों के साथ अध्ययन की भूमिका को सराहा गया।

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