हिसार HAU छात्र आंदोलन

हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय (एचएयू) में छात्र आंदोलन के 18वें दिन शुक्रवार को सभी हॉस्टल (लड़के व लड़कियों) की मैस बंद कर दी गईं। विश्वविद्यालय प्रशासन के इस कदम के बाद विद्यार्थियों ने धरनास्थल पर ही खाना बनाना शुरू कर दिया। हॉस्टल खाली करने के आदेश के बाद कुछ छात्राएं अपने घर चली गईं, लेकिन अधिकतर अभी कमरों में ही रुकी हैं। विद्यार्थियों का आरोप है कि हॉस्टल खाली करने के लिए विश्वविद्यालय प्रशासन उन पर दबाव बना रहा है। छात्राओं के एक हॉस्टल की वार्डन का वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है, जिसमें वह कमरे खाली करने को कह रही हैं। उधर, मारपीट के आरोपी असिस्टेंट प्रोफेसर राधेश्याम को पुलिस ने अदालत में पेश किया, लेकिन उन्हें जमानत नहीं दी गई।

शुक्रवार सुबह छात्रों के हॉस्टल में संचालित मैस पर ताले लटके मिले। मैस बंद होने पर विद्यार्थी छात्र कल्याण निदेशक डॉ. एसके पाहुजा, डीन पीजीएस डॉ. केडी शर्मा व अनुसंधान निदेशक डॉ. राजबीर गर्ग से मिले। छात्राओं ने कहा कि उनकी मैस बंद कर दी गई हैं। बिना खाने के वह कैसे रहेंगी। इस पर डॉ. पाहुजा ने कहा कि मैस हर साल गर्मियों की छुट्टियों में बंद की जाती है। इस बार नया कुछ नहीं किया। संतोषजनक जवाब नहीं मिलने पर विद्यार्थी धरना स्थल पर लौट आए और वहीं खाना बनाकर खाया। यहां विद्यार्थियों ने बताया कि पुलिस गांवों में जाकर परिजनों व परिचितों पर उन्हें घर बुलाने के लिए दबाव बना रही है। शनिवार को विश्वविद्यालय की प्रवेश परीक्षा के दौरान आने वाले अभ्यर्थियों व उनके अभिभावकों को विश्वविद्यालय प्रशासन की गतिविधियों से अवगत करवाएंगे।

हॉस्टल बंद करना नियमित प्रक्रिया
विश्वविद्यालय का शैक्षणिक सत्र 2024-25 संपन्न हो चुका है। यह नियम है कि प्रत्येक वर्ष ग्रीष्मकालीन अवकाश के दौरान छात्र-छात्राओं के हॉस्टल खाली करवाए जाते हैं ताकि कमरों की मरम्मत सहित अन्य कार्यों को पूरा करवाया जा सके। हॉस्टल खाली करवाना नियमित प्रक्रिया है। इस बारे में शैक्षणिक सत्र के शुरू में ही एकेडमिक कैलेंडर के माध्यम से सभी को सूचित कर दिया जाता है। छात्रों द्वारा हॉस्टल बंद करने के बारे में गलत प्रचार किया जा रहा है। -डॉ. राजबीर गर्ग, अनुसंधान निदेशक व कोर्डिनेशन कमेटी चेयरमैन, हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय।

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