अयोध्या केस: हिंदू महासभा के वकील पर नाराज हुए CJI
सालों से चले आ रहे देश के बेहद अहम और पुराने मामले में आज सुप्रीम कोर्ट में अंतिम सुनवाई हो रही है। कोर्ट में हो रही सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट द्वारा मामले में मध्यस्थता के लिए बनाई गई पैनल की रिपोर्ट पेश कर दी गई है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार इस रिपोर्ट में सुन्नी वफ्फ बोर्ड को लेकर अहम बात कही गई है। वहीं इससे ठीक पहले सुनवाई के दौरान हिंदू महासभा के वकील द्वारा कोर्ट में नक्शा रखा गया था और तर्क दिए गए। इस पर चीफ जस्टिस नाराज हो गए और उन्होंने कहा कि अगर इस तरह के आर्ग्यूमेंट हो रहे हैं तो फिर हम सुनवाई को अभी खत्म मान लेंगे और उठकर चले जाएंगे।
इसके बाद हिंदू महासभा के वकील ने कोर्ट के सामने कहा कि मैं पूरे सम्मान के साथ कहना चाहता हूं कि मैंने कोर्ट का डेकोरम डिस्टर्ब नहीं किया है।
Ayodhya Ram Temple-Babri Masjid land case: The lawyer of All India Hindu Mahasabha says, with great respect to the Court, I have not disturbed the decorum of the Court. https://t.co/7nUT7tKowO
— ANI (@ANI) October 16, 2019
इससे पहले सुबह सुनवाई शुरू होते ही चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने मामले में दाखिल एक इंटरवेंशन एप्लिकेशन को खारिज कर दिया। चीफ जस्टिस ने इस अर्जी को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि अब बहुत हुआ, यह मामला आज 5 बजे तक खत्म हो जाएगा।
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यह होगा आज
आज सुनवाई के लिए मामले से जुड़े सभी पक्षों को अपनी जिरह पूरी करने का समय दिया गया है और संभवतः इसमें तीन से चार घंटे लग सकते हैं।
ऐसे में मोल्डिंग ऑफ रिलीफ यानी राहत के बारे में चर्चा करने के लिए कोर्ट के पास डेढ़ से दो घंटे का समय बचेगा।
कोर्ट आज यह सारे काम तय समय में पूरे कर लेती है तो यह भी संभव है कि आज मामले से जुड़े छोटे पक्षों को भी अपनी बात रखने का मौका मिल सकता है। अगर ऐसा हुआ तो सुनवाई आज ही खत्म हो जाएगी।
संभवतः थोड़ी संभावना इस बात की भी है कि सुनवाई कल तक जा सकती है। हालांकि, यह आज की सुनवाई पर निर्भर करेगा।
मंगलवार को दोनों पक्षों में हुई तीखी बहस
सुनवाई के 39वें दिन कोर्ट में हिंदू पक्ष महंत सुरेश दास की ओर से पेश वरिष्ठ वकील के. परासरन ने कहा कि बाबर आक्रमणकारी था। उसने राम जन्मस्थान पर मस्जिद बनाई थी। इस ऐतिहासिक गलती को सुधारने का समय है। उन्होंने कोर्ट में यह भी कहा बाबर आक्रमणकारी था और किसी विदेश का देश में मालिकाना हक नहीं हो सकता।