हाय पाकिस्तान की डगमगाती अर्थव्यवस्था, रिलायंस के रेवेन्यू से भी आधा है पूरे देश का बजट

शनिवार शाम को सीजफायर का ऐलान करने के बाद रात में ही पाकिस्तान की सेना ने इसका उल्लंघन करते हुए भारत पर ड्रोन और मिसाइल दाग दिए। भारतीय सेना ने भी इसका मुंहतोड़ जवाब दे दिया। खास बात ये है कि पाकिस्तान ऐसे समय में इस लड़ाई को बढ़ा रहा है, जब वह खुद कंगाल होने के मुहाने पर खड़ा है। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष से मिले 2.3 अरब डॉलर की सहायता से वह अपने उधार चुकाने में सफल हो पा रहा है।  

दरअसल, पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था अभी से नहीं, बल्कि सालों से डगमगाई हुई है। अभी की परिस्थिति को भी पाकिस्तान सरकार झेल नहीं पा रही है।

मौजूदा परिस्थिति में पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था इतनी खराब हो गई है कि उन्हें अपने रोजी-रोटी के लिए दूसरे देशों से उधार मांगना पड़ रहा है। ऐसा नहीं है कि युद्ध जैसी स्थितियों के बाद पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था खराब हुई है। ये सालों से ही उधार के सहारे चल रही है।

आज आलम ये है कि पाकिस्तान का वित्त वर्ष 2025-26 का पूरा बजट ही भारत की एक कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज के रेवेन्यू का लगभग आधा रह गया है।

कितना है पाकिस्तान का बजट?

पाकिस्तान के वित्त और राजस्व मंत्री मुहम्मद औरंगजेब ने राष्ट्रीय विधानसभा में बजट पेश किया था। ये बजट जुलाई 2024 से जून 2025 तक का था। इसका कुल व्यय 18,900 अरब रुपये (लगभग 67.84 अरब अमेरिकी डॉलर) था। ये कुल व्यय रिलायंस के रेवेन्यू से लगभग आधा है।

कितना है रिलायंस का रेवेन्यू?

वित्त 2024-2025 यानी मार्च 2024 से अप्रैल 2025 तक रिलायंस का रेवेन्यू 1,071,174 करोड़ रुपये रहा है। जो यूएस डॉलर में 125.3 अरब होता है। रिलायंस भारत में पहली ऐसी कंपनी बन गई है, जिसने 10 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा का राजस्व कमाया है।

दरअसल, पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था पूरी तरह जर्जर हो गई है। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने वित्त वर्ष 2024-25 (जुलाई-जून) में पाकिस्तान की जीडीपी ग्रोथ का अनुमान 3% से घटाकर 2.6% कर दिया है। राजकोषीय घाटा 6.7% रहने का अनुमान है, जो पिछले वित्त वर्ष में GDP का 7.4% था।

पाकिस्तान में रेपो रेट अभी 12% है, जो जून 2024 में रिकॉर्ड 22% पर था। एक डॉलर की कीमत 280 पाकिस्तानी रुपये के बराबर है। मई 2023 में महंगाई दर रिकॉर्ड 38% पर पहुंचने के बाद मार्च 2025 में तीन दशक के सबसे निचले स्त 0.7% पर आई है।

लोगों की माली हालत का आलम यह है कि 40% से अधिक जनता गरीबी रेखा से नीचे जीवनयापन कर रही है। अनेक इलाकों में 18-18 घंटे तक बिजली नहीं आने से उद्योग बंद हैं। बेरोजगारी दर 8% पहुंच चुकी है। बिगड़ते आंतरिक हालात के कारण विदेशी निवेश भी नहीं के बराबर हो रहा है।

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