हाई कोर्ट- वन नाइट स्टैंड हिन्दू कानूनों के हिसाब से विवाह नहीं

किसी पुरुष और महिला के बीच शारीरिक संबंध या वन नाइट स्टैंड हिन्दु कानूनों के तहत विवाह की परिभाषा में नहीं आता. बंबई हाई कोर्ट ने हाल ही दिए एक महत्वपूर्ण आदेश में यह बात कही. हाईकोर्ट ने साथ ही कहा कि अगर उन दोनों ने शादी नहीं की है, तो ऐसे संबंधों से जन्में बच्चे को पिता की संपत्ति में कोई अधिकार नहीं होगा.

हाई कोर्ट- वन नाइट स्टैंड हिन्दू कानूनों के हिसाब से विवाह नहीं

एक प्रकाशित खबर के मुताबिक, बंबई हाईकोर्ट के जज जस्टिस मृदुला भटकर ने कहा, ‘किसी संबंध को विवाह की मान्यता के लिए पारंपरिक या कानूनी औपचारिकताएं पूरी की जानी जरूरी हैं… किसी की इच्छा, इत्तेफाक या फिर अचानक  बने शारीरिक संबंध को शादी नहीं बताया जा सकता.’ जज ने कहा कि लिव इन रिलेशन और उससे जन्में बच्चे कानूनी जानकारों के लिए एक पेचीदा मुद्दा और चुनौती बन गए हैं.

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हिन्दू विवाह अधीनियम के तहत बच्चे के अधिकारों पर फैसले के लिए विवाह साबित करना अनिवार्य है, भले ही उसे निरस्त क्यों ना करार गया हो. दरअसल कोर्ट के समक्ष इस मामले में एक व्यक्ति की दो पत्नियां थी. चूंकि यहां व्यक्ति की दूसरी शादी की सबूत मौजूद था, ऐसे में कोर्ट ने दूसरी विवाह को तो निरस्त करार दिया, लेकिन साथ ही कहा कि दूसरी पत्नी से जन्मी बच्ची को पिता की संपत्ति पर अधिकार होगा.

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