हांग कांग में विवादित प्रत्यर्पण विधेयक को वापस लिया गया, तीन माह से जारी था प्रदर्शन

हांग कांग में विवादित प्रत्यर्पण विधेयक को वापस लिया जाएगा, बुधवार को यहां के सीईओ कैरी लैम ने इसकी घोषणा की. विधेयक के खिलाफ पिछले 3 महीने से चीन प्रशासित इस शहर में लोकतंत्र के समर्थक लगातार प्रदर्शन कर रहे थे. इस बिल में किसी अपराध के आरोपी को मुख्य भूमि चीन को प्रत्यर्पित किए जाने की बात कही गई थी जहां की अदालतें कम्युनिस्ट पार्टी द्वारा संचालित हैं. बिल को लेकर जून से शहर की सड़कों पर प्रदर्शन चल रहे थे. बिल वापस लेने की घोषणा के साथ ही स्थानीय शेयर बाजार में उछाल देखने को मिली है.

स्वतंत्र निर्वाचन की मांग

प्रत्यर्पण बिल को वापस लेने का एलान करते हुए कैरी लैम ने लोगों से शांति बनाए रखने की अपील की है. साथ ही उन्होंने कहा कि सरकार लोगों की चिंताओं को निपटाने के लिए औपचारिक ढंग से इस विधेयक को वापस लेगी. सरकार की ओर से प्रदर्शनकारियों की प्रमुख मांग को मान लिया गया है जिसे हांग कांग के प्रदर्शनकारी स्वतंत्रता के हनन के तौर पर देख रहे थे. हांग कांग के लोगों की एक अन्य प्रमुख में नेता सीधे चुनने का अधिकार देने की बात कही गई है जिसे फिलहान नहीं माना गया है.

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कैरी लैम की ओर से जारी एक वीडियो मैसेज में कहा गया कि संघर्ष की जगह बातचीत की जाए और समाधान निकाला जाए. उन्होंने इस मसले पर विशेषज्ञों की नियुक्ति और उनसे सलाह लेने की बात भी कही है. हांग कांग प्रशासन ने प्रदर्शनकारियों के लिए दंगाई शब्द के इस्तेमाल को वापस लेना, माफी देना, स्वतंत्र जांच की मांग और अलग निर्वाचन अधिकार देना मुमकिन नहीं है. हांग कांग के लोगों को सीधे अपना नेता चुनने की मांग को चीन भी स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं है.

तीन माह से जारी प्रदर्शन

विधेयक के खिलाफ हुए प्रदर्शन में हांग कांग में एक हजार से ज्यादा लोगों को गिरफ्तार किया गया है. इसके अलावा कई जगहों पर हिंसक प्रदर्शन भी देखने को मिले, जिनमें सैकड़ों लोग जख्मी भी हुए हैं. इन प्रदर्शनों पर अमेरिका, ब्रिटेन समेत दुनिया के कई देशों ने चिंता जताई थी. लेकिन चीन इसे अपना अंदरूनी मसला बताकर बाहर से किसी भी तरह की दखल से साफ इनकार कर चुका है.

बता दें कि किसी व्यक्ति को चीन को प्रत्यर्पित किए जाने संबंधी विधेयक को लेकर भड़के गुस्से के बाद हांग कांग के लाखों लोग सड़कों पर उतर आए थे. ब्रिटेन ने 1997 में हांगकांग को चीन को सौंपा था. अब इतने साल बाद चीनी सरकार के सामने यह मुद्दा बड़ी चुनौती बनकर उभरा था.

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