हरियाणा में 2.30 लाख लावारिस कुत्ते: अब नसबंदी पर जोर

हरियाणा के 11 जिलों में अब तक लावारिस कुत्तों के लिए आश्रय स्थल नहीं बने हैं जबकि 13 जिलों में नसबंदी (बधियाकरण) का काम रुका हुआ है। स्थिति यह है कि सार्वजनिक स्थानों, स्कूलों और अस्पतालों के पास झुंड में घूमते कुत्ते लोगों के लिए खतरा बने हुए हैं।

सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद हरियाणा सरकार ने लावारिस कुत्तों की समस्या पर सख्त रुख अपनाया है। हरियाणा के 87 शहरी निकायों में करीब 2 लाख 30 हजार 675 लावारिस कुत्ते हैं। इनमें 60 हजार 812 कुत्तों की नसबंदी, टीकाकरण और टैगिंग की जा चुकी है। सुप्रीम कोर्ट के हालिया दिशा-निर्देशों के बाद राज्य सरकार की ओर से नसबंदी अभियान भी तेज कर दिया गया है।

राज्य सरकार ने अपना एक एक्शन प्लान देते हुए सुप्रीम कोर्ट में स्पष्ट किया कि प्रदेश के सभी निकायों में जल्द नसबंदी कार्य शुरू होगा। अधिकांश निकायों के टेंडर जारी किए जा चुके हैं जबकि कुछ जिलों में कार्य प्रारंभ भी हो गया है। हालांकि नसबंदी कार्य शुरू करने को कोई तिथि अभी नहीं बताई है।

हरियाणा सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट में 31 अक्तूबर काे दायर रिपोर्ट में बताया गया कि 2023 के एनिमल बर्थ कंट्रोल (एबीसी) नियमों के तहत जिन कुत्तों की नसबंदी और टैगिंग की गई है, उन्हें वहीं छोड़ दिया गया है जहां से उन्हें पकड़ा गया था। राज्य के सभी 87 निकायों में नसबंदी का काम चरणबद्ध तरीके से चलाया जा रहा है। निकाय विभाग ने भी निर्देश जारी किए हैं कि आक्रामक कुत्तों को सड़कों पर नहीं छोड़ा जाएगा बल्कि उन्हें विशेष बाड़ों में रखा जाएगा। रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन (आरडब्ल्यूए) और सोसाइटी प्रबंधन को अपने क्षेत्र में लावारिस कुत्तों के लिए आहार की जिम्मेदारी निभानी होगी।

फीडिंग सेंटर भीड़-भाड़ वाले इलाकों, बच्चों के खेल स्थलों और मुख्य द्वारों से दूर बनाए जाएंगे ताकि किसी को असुविधा न हो। भोजन का समय भी इस तरह तय किया जाएगा कि वरिष्ठ नागरिकों और बच्चों को परेशानी न हो। पशु प्रेमियों को गोद लेने की अनुमति दी जाएगी लेकिन उन्हें यह सुनिश्चित करना होगा कि कुत्ता दोबारा सड़क पर न लौटे।

यमुनानगर में दस साल बाद होगी नसबंदी
नगर निगम यमुनानगर में 10 साल बाद नसबंदी टेंडर जारी किया गया है। इसी तरह गन्नौर नगर पालिका में पांच साल बाद यह प्रक्रिया शुरू हुई है। इसके अलावा सिवान, करनाल, कलानौर, हथीन, नीलोखेड़ी, खरखौदा, नारनौंद, तरावड़ी, घरौंडा, सिरसा, फरुखनगर, पुंडरी, कुंडली नगर पालिका व रोहतक, गुरुग्राम नगर निगम समेत कई निकायों में टेंडर प्रक्रिया पूरी हो चुकी है।

हरियाणा सरकार में मंत्री के अनुसार
सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देशों का पालन प्राथमिकता के साथ किया जाएगा। नसबंदी कार्यों में तेजी लाई जा रही है और इस सप्ताह अधिकारियों के साथ बैठक कर आगे की रूपरेखा तय की जाएगी। सरकार का लक्ष्य है कि जहां भी कुत्तों के लिए आश्रय स्थल नहीं हैं, वहां नए केंद्र बनाए जाएं। प्रारंभिक चरण में लगभग 5,000 कुत्तों को रखने की क्षमता वाले आश्रय स्थल तैयार किए जा रहे हैं। एजेंसियों से आवेदन मंगाए गए हैं और बड़े शहरों जैसे गुरुग्राम में तीसरा आश्रय स्थल खोलने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। -विपुल गोयल, निकाय मंत्री हरियाणा।

11 जिलों में आश्रय स्थल नहीं, 13 जिलों में नसबंदी ठप
हरियाणा के 11 जिलों में अब तक लावारिस कुत्तों के लिए आश्रय स्थल नहीं बने हैं जबकि 13 जिलों में नसबंदी (बधियाकरण) का काम रुका हुआ है। स्थिति यह है कि सार्वजनिक स्थानों, स्कूलों और अस्पतालों के पास झुंड में घूमते कुत्ते लोगों के लिए खतरा बने हुए हैं। सिरसा के डबवाली क्षेत्र के गांव बिज्जूवाली निवासी वर्षा रानी नामक महिला की कुत्ते के काटने के कारण इसी साल 16 जुलाई को मौत हो गई थी। नारनौल, अंबाला, करनाल, भिवानी, चरखी दादरी, सिरसा, झज्जर, कैथल में कोई आश्रय स्थल नहीं है। रोजाना कुत्ते के काटने के रोहतक में 60, पानीपत में 30 और कैथल में 15 केस आ रहे हैं।

सिरसा में पिछले छह माह में कुत्तों के काटने के 65 मामले सामने आए हैं। सिरसा नगर परिषद ने अभियान चलाकर करीब 266 कुत्तों का बधियाकरण किया था। रोहतक में आश्रय स्थल में 70 कुत्ते हैं। तीन माह में 1,500 का बधियाकरण हुआ। पीजीआईएमएस में रोजाना औसतन 60 डॉग बाइट केस आ रहे हैं। पानीपत में रोजाना 30 मामले अस्पताल में पहुंच रहे हैं। कैथल में रोजाना 15 डॉग बाइट केस दर्ज हो रहे हैं। सोनीपत में अस्थायी आश्रय स्थल है। रोज 100 से अधिक डॉग बाइट केस आ रहे हैं। रेवाड़ी और धारूहेड़ा में पहले ही टेंडर हो चुके हैं जमीन और फंड तय हो चुका है। जींद में आश्रय स्थल बना है। 700 कुत्तों को वैक्सीन लग चुकी है।

कुरुक्षेत्र स्थित मिर्जापुर में बंद स्कूल में अस्थायी आश्रय स्थल है। एक सप्ताह में 50 कुत्ते पकड़े गए। यमुनानगर के जगाधरी में आश्रय स्थल है। फतेहाबाद में 2,130 कुत्तों का बधियाकरण हुआ। छह माह में 232 लोगों को रेबीज वैक्सीन लग चुकी है। भिवानी में एक महीने में 4,300, चरखी दादरी में तीन माह में 2,895, हिसार में तीन माह में 3,000 डाॅग बाइट केस आए। संवाद

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