हरियाणा में पराली जलाने की घटनाओं में 95% कमी

हरियाणा सरकार के सख्त प्रवर्तन, आधुनिक निगरानी प्रणाली और किसानों को वैकल्पिक उपायों के प्रति प्रेरित करने के प्रयास अब ठोस परिणाम देने लगे हैं। राज्य में पराली जलाने की घटनाओं में 95 प्रतिशत की ऐतिहासिक कमी दर्ज की गई है। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) की रिपोर्ट के अनुसार, 2024–25 सीज़न में 150 घटनाओं की तुलना में इस वर्ष अब तक केवल 7 घटनाएँ दर्ज की गई हैं।
मुख्य सचिव श्री अनुराग रस्तोगी की अध्यक्षता में मंगलवार को यहाँ हुई उच्च स्तरीय समीक्षा बैठक में यह जानकारी दी गई। उन्होंने कहा कि “यह उपलब्धि हरियाणा के प्रशासनिक और कृषि तंत्र के बीच बेहतर समन्वय का परिणाम है, जिसने न केवल वायु गुणवत्ता को बेहतर बनाया है बल्कि पर्यावरणीय सततता की दिशा में एक नई मिसाल कायम की है।”
बैठक में बताया गया कि सभी जिलों में “पराली सुरक्षा बल” गठित किए गए हैं, जो उल्लंघनकर्ताओं के विरुद्ध त्वरित कार्रवाई सुनिश्चित कर रहे हैं। अब तक रिपोर्ट की गई सात घटनाओं में से तीन में चालान, एफआईआर और कृषि रिकॉर्ड में रेड एंट्री की कार्रवाई की गई है। इनमें से दो घटनाएँ कृषि से असंबंधित पाई गईं – एक फरीदाबाद में कचरा जलाने और दूसरी सोनीपत में औद्योगिक अपशिष्ट से जुड़ी थी। राज्यभर में 9,036 नोडल अधिकारी तैनात किए गए हैं, जो आवश्यक संख्या 8,494 से अधिक है। प्रत्येक अधिकारी को किसानों की निगरानी, संवाद और रिपोर्टिंग की जिम्मेदारी दी गई है। इन अधिकारियों को एक नई मोबाइल एप्लिकेशन के माध्यम से प्रशिक्षित किया गया है, जिससे आग की किसी भी घटना की रिपोर्ट रियल-टाइम में दर्ज की जा सके।
फसल अवशेष प्रबंधन (सीआरएम) के तहत सरकार ने किसानों को पराली न जलाने के लिए 51,526 मशीनें उपलब्ध कराई हैं। नई मशीनरी की खरीद प्रक्रिया 94.74 प्रतिशत तक पूरी हो चुकी है। फरीदाबाद, झज्जर और रोहतक जैसे जिलों ने 98 प्रतिशत से अधिक प्रगति दर्ज की है।
राज्य सरकार ने पराली के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन लिमिटेड (आईओसीएल) के पानीपत स्थित एथनॉल प्लांट के साथ समझौता किया है। इस संयंत्र द्वारा पानीपत जिले से 30,000 मीट्रिक टन और आसपास के जिलों से 1.7 लाख मीट्रिक टन पराली खरीदी जाएगी, जिससे किसानों को आर्थिक लाभ के साथ-साथ स्वच्छ ईंधन उत्पादन को भी प्रोत्साहन मिलेगा। हरियाणा सरकार का यह प्रयास न केवल राज्य बल्कि पूरे देश के लिए एक सफल मॉडल बनकर उभर रहा है, जो स्वच्छ हवा, हरित ऊर्जा और सतत कृषि की दिशा में नए मानक स्थापित कर रहा है।