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भारतीय सेना को जल्द ही एक और मारक क्षमता हासिल होने जा रही है। सेना को अमेरिकी विध्वंसक अपाचे हेलिकॉप्टर मिलने जा रहे हैं।अमेरिका का यह प्राइमरी अटैक हेलिकॉप्टर भारतीय सेना के लिए पश्चिमी सीमाओं पर टैंक युद्ध जैसी स्थिति में काफी अहम भूमिका निभा सकता है। पहाड़ों के बीच उड़ान में काफी सक्षम माने जाने वाले ये हेलिकॉप्टर चीन के साथ युद्ध की स्थिति में भी काफी कारगर साबित हो सकते हैं। गुरुवार को थलसेना के लिए 6 अपाचे हेलिकॉप्टर की खरीद को मंजूरी दे दी गई है।
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फ्लाइंग टैंक माने जाने वाले अपाचे हेलिकॉप्टर का पहला इस्तेमाल खाड़ी युद्धों के दौरान हुआ था। अमेरिकी सेना ने पहले इराक के खिलाफ ऑपरेशन डेजर्ट स्टॉर्म और बाद में कुवैत पर हमले के लिए अपाचे हेलिकॉप्टरों का इस्तेमाल किया था। उस समय सऊदी अरब के अमेरिकी बेस से उड़ान भरने वाले इस संहारक हेलिकॉप्टर ने पश्चिमी इराक में लगाए गए शुरुआती चेतावनी रेडार सिस्टम को ध्वस्त कर दिया था। इससे अमेरिकी बमवर्षक विमानों का रास्ता साफ हो गया।
1963 में तत्कालीन सेना अध्यक्ष जनरल जेएन चौधरी ने सेना के लिए एक एयरविंग की जरूरत पर जोर दिया था। इसमें हमले करने में सक्षम हेलिकॉप्टरों को भी शामिल करने की बात कही गई थी। उन्होंने सेना की गोलीबारी क्षमता और मोबिलिटी बढ़ाने के लिए लाइट, मीडियम और अटैक हेलिकॉप्टरों से युक्त एक अभिन्न एयर विंग की जरूरत की बात कही थी।
हालांकि इसके बाद के वर्षों में आर्मी एविएशन कॉर्प्स की स्थापना तो हुई लेकिन अटैक हेलिकॉप्टर के लिए रास्ता इतनी आसानी से साफ नहीं हुआ। पुराने Mi-35 की जगह लेने वाले अपाचे हेलिकॉप्टरों के कंट्रोल को लेकर एयरफोर्स के साथ थल सेना को विवाद की स्थिति का सामना करना पड़ा। सितंबर 2015 में कैबिनेट की सुरक्षा कमिटी ने भारतीय वायु सेना के लिए 22 अपाचे हेलिकॉप्टर की खरीद को मंजूरी दे दी।
केंद्र ने यह भी कहा भी था कि भारतीय थल सेना को भी ये अपाचे हेलिकॉप्टर मिलेंगे लेकिन इनके खरीद में देरी हो रही थी। अब गुरुवार को रक्षा अधिग्रहण परिषद ने थलसेना के लिए छह अपाचे हेलिकॉप्टर के 4,168 करोड़ रुपये के खरीद सौदे को मंजूरी दे दी है। अपाचे हेलिकॉप्टर हासिल होने के बाद जमीनी लड़ाई में सेना की क्षमता में काफी इजाफा होगा।