सुरक्षित रेल यात्रा के लिए रेलवे ने उठाए कई कदम, होगे कई जोन

दक्षिण पूर्व रेलवे (एसईआर) अपने नेटवर्क के तहत सभी मानवरहित समपारों को हटा देने वाला देश का पांचवां जोनल रेलवे बन गया है. इन समपारों पर कई हादसे हुए थे. एसईआर प्रवक्ता संजय घोष ने बताया कि दक्षिण पूर्व रेलवे ने 30 सितंबर की निर्धारित समय सीमा से कुछ दिन पहले ही 149 ऐसे समपार हटा दिए जो इस वित्त वर्ष के प्रारंभ में थे. घोष ने कहा, ‘‘इससे न केवल ट्रेनों के परिचालन में समयबद्धता और सुरक्षा सुनिश्चित होगी बल्कि सड़क मार्ग का उपयोग करने वाले भी लाभान्वित होंगे.’’ कोलकाता मुख्यालय वाले एसईआर ने अपने चार मंडलों- आद्रा, चक्रधरपुर, खड़गपुर और रांची में 25 सितंबर तक ऐसे समपार हटा दिये. ऐसे कुल 149 समपारों में से 116 पर चौकीदारों की नियुक्ति कर दी गयी जबकि 26 स्थानों पर सीमित ऊंचाई के सबवे का निर्माण किया गया.

पूर्वोत्तर रेलवे भी हुआ मानव रहित रेलवे क्रासिंग मुक्त

पूर्वोत्तर रेलवे (NER) ने अपने सभी मानव रहित रेलवे क्रासिंग समाप्त कर दी हैं. कुशीनगर में क्रासिंग पर हुए बड़े रेल हादसे के बाद रेल मंत्री की ओर से 30 सितंबर तक सभी मानव रहित रेलवे क्रासिंगों को खत्म करने का लक्ष्य दिया गया था. ऐसे में पूर्वोत्तर रेलवे ने लक्ष्य से एक दिन पहले ही सभी मानव रहित रेलवे क्रासिंगों को समाप्त कर दिया. इस बारे में पूर्वोत्तर रेलवे की ओर से ट्वीट कर जानकारी दी गई है.

रेल हादसों की संख्या में आई कमी

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रेलवे की रिपोर्ट के अनुसार 01 सितम्बर 017 से 31 अगस्त 2018 के बीच रेल हादसों की संख्या में 01 सितम्बर 2016 से 31 सितम्बर 2017 की तुलना में कमी आयी है. पिछले वर्ष जहां इस अवधि में रेल हादसों की संख्या 80 थी वहीं इस वर्ष यह संख्या 75 रही. बड़े रेल हादसों में मरने वालों की संख्या में 06 गुना की कमी आई है. वहीं रेल हादसे में घायलों की संख्या में 09 गुना से अधिक की कमी आई है. 01 सितम्बर 2016 से 31 अगस्त 2017 के बीच रेल हादसों में लगभग 249 रेल यात्रियों की मौत हुई थी. वहीं 513 लोग घायल हुए थे. वहीं 01 सितम्बर 2017 से 31 सितम्बर 2018 बीच हादसों में मरने वालों की संख्या घट कर 40 रह गई. रेल हादसों में घायलों की संख्या घट कर 57 रह गई.

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