सुप्रीम कोर्ट में शहाबुद्दीन मामले को लेकर फैसला सुरक्षित


सुबह साढे दस बजे सुनवाई एक बार फिर शुरू हुई और करीब सवा दो घंटे तक बहस चली। शहाबुद्दीन की ओर से आज भी वरिष्ठ अधिवक्ता शेखर नाफडे ही पेश हुए। ऐसी उम्मीद की जा रही थी कि वरिष्ठ अधिवक्ता राम जेठमलानी अंतिम मौके पर बहस करने आ सकते हैं, लेकिन आज भी वह अदालत कक्ष में नहीं थे। तेजाब कांड के चश्मदीद गवाह की हत्या मामले में पटना उच्च न्यायालय द्वारा मिली जमानत के खिलाफ पीड़ित पिता चंद्रकेश्वर प्रसाद उर्फ चंदा बाबू ने तथा राजनीतिक दबाव के बाद बिहार सरकार ने याचिकाएं दायर की हैं।
याचिकाकर्ताओं की मांग है कि राजद के पूर्व सांसद को मिली जमानत रद्द की जाए और उसे तत्काल जेल भेजा जाए। चंदा बाबू की ओर से जाने-माने वकील प्रशांत भूषण ने पैरवी की। उधर शहाबुद्दीन की ओर से बहस कर रहे नाफडे ने शहाबुद्दीन का पक्ष रखते हुए दलील दी कि आरोप पत्र में उनके मुवक्किल को आरोपी नहीं बनाया गया है। उन्होंने कहा कि अभियोजन एजेंसी के आरोप पत्र और पूरक आरोप पत्र में भी कमी पाई गई है।
नाफडे ने सवाल खड़े किए कि शहाबुद्दीन से जुड़े आरोप पत्र को अदालत को क्यों नहीं सौंपा गया। उनके मुवक्किल को बेवजह सिवान जेल से भागलपुर जेल भेजा गया। इस मामले में कल भी सुनवाई हुई थी, लेकिन समय समाप्त होने के कारण इसे आज के लिए टाल दिया गया था।