सुखी वैवाहिक जीवन चाहते हैं, तुलसी विवाह पर भूलकर भी न करें ये 8 गलतियां

तुलसी विवाह के दिन भूलकर भी न करें ये गलतियां। जानिए तुलसी विवाह के शुभ नियम, पूजा विधि और सुखी वैवाहिक जीवन के उपाय।
Tulsi Vivah 2025: हिंदू परंपरा में तुलसी विवाह को अत्यंत शुभ और मंगलकारी माना गया है। यह पर्व देव उठनी एकादशी के बाद मनाया जाता है, जब भगवान विष्णु योगनिद्रा से जागकर शालिग्राम रूप में तुलसी माता से विवाह करते हैं। इस दिन किया गया हर शुभ कार्य कई गुना फल देता है, विशेष रूप से विवाह से जुड़ी इच्छाओं के लिए। माना जाता है कि जो भक्त सच्चे मन से तुलसी विवाह में भाग लेते हैं या इस दिन तुलसी माता का पूजन करते हैं, उनके वैवाहिक जीवन में सुख, शांति और समृद्धि बनी रहती है। लेकिन धार्मिक ग्रंथों में कुछ ऐसी गलतियों का उल्लेख भी है, जिन्हें यदि इस दिन अनजाने में कर दिया जाए तो शुभ फल की जगह विघ्न और कलह का कारण बन सकता है।
तुलसी विवाह के दिन क्या करें और क्या न करें?
तुलसी विवाह के दिन तुलसी को न छूएं बिना स्नान किए
तुलसी को पवित्र देवी का स्वरूप माना गया है। इसलिए उन्हें तोड़ने से पहले हाथ न धोना या मन में शुद्ध भावना न रखना अशुभ होता है। तुलसी के पत्ते केवल सूर्योदय के बाद और सूर्यास्त से पहले ही तोड़ने चाहिए। सुबह ब्रह्ममुहूर्त में स्नान कर शुद्ध वस्त्र धारण करने के बाद ही तुलसी माता को छूना चाहिए। बिना स्नान किए तुलसी को स्पर्श करना अशुद्ध कर्म माना जाता है और इससे पूजा का फल अधूरा रह जाता है।
तुलसी विवाह में लोहे या स्टील के बर्तन का उपयोग न करें
धार्मिक मान्यता के अनुसार, तुलसी विवाह में पीतल, तांबा या मिट्टी के बर्तनों का ही प्रयोग शुभ होता है। लोहे या स्टील के बर्तन विवाह पूजा में नकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करते हैं और शुभ कार्यों में बाधा उत्पन्न करते हैं।
तुलसी को दूध अर्पित करने की गलती न करें
कई लोग तुलसी माता पर दूध अर्पित करते हैं, लेकिन शास्त्रों के अनुसार यह वर्जित है। तुलसी को दूध नहीं, बल्कि गंगाजल, शहद और पंचामृत चढ़ाना चाहिए। दूध तुलसी के लिए विष के समान माना गया है।
विवाह के दौरान तुलसी के पास जूते-चप्पल पहनकर न जाएं
तुलसी के पौधे को देवी तुलसी का रूप माना गया है। इसलिए विवाह या पूजन के समय जूते-चप्पल पहनकर तुलसी चौरा के पास जाना अशुभ माना जाता है। ऐसा करने से पूजा का फल घट जाता है।
तुलसी विवाह के दिन पौधे को तोड़ना या काटना मना है
इस दिन तुलसी की कोई पत्ती तोड़ना, शाखा काटना या पौधे को हिलाना महापाप माना जाता है। तुलसी माता इस दिन दुल्हन के रूप में मानी जाती हैं, इसलिए उन्हें किसी भी प्रकार की क्षति पहुँचाना विवाह की शुभता को नष्ट कर सकता है।
तुलसी विवाह के बाद तुरंत दीपक न बुझाएं
विवाह पूजा के बाद तुलसी के समक्ष प्रज्वलित दीपक को स्वतः बुझने देना चाहिए। उसे हाथ से या हवा से बुझाना अशुभ संकेत माना जाता है। तुलसी दीपक का प्रकाश दांपत्य जीवन में स्थिरता और समर्पण का प्रतीक है।
तुलसी विवाह में अपवित्र या तनावपूर्ण माहौल न रखें
विवाह का माहौल जितना शांत, श्रद्धापूर्ण और आनंदमय होगा, उतना ही शुभ परिणाम मिलेगा। झगड़ा, तनाव या शोर-शराबा इस दिन लक्ष्मी-विष्णु ऊर्जा को बाधित करता है, जिससे विवाह योग में रुकावटें आ सकती हैं।
तुलसी विवाह के बाद प्रसाद या भोजन व्यर्थ न करें
तुलसी विवाह के दिन बनाए गए भोजन को पवित्र माना जाता है। इसे बर्बाद करना या बिना प्रसाद ग्रहण किए पूजा समाप्त करना अशुभ है। यह जीवन में स्थिरता और समृद्धि को बाधित करता है।
 
 





