सुकून भरी जिंदगी के लिए अपनाएं 5 आदतें, मेंटल हेल्थ का रखेंगी ख्याल

आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में कुछ लोग अपनी फिजिकल हेल्थ पर तो ध्यान देते हैं, लेकिन मेंटल हेल्थ को नजरअंदाज कर देते हैं। जबकि एक खुश और स्वस्थ जीवन के लिए मानसिक रूप से मजबूत होना उतना ही जरूरी है जितना शारीरिक रूप से फिट होना। आइए, World Mental Health Day 2025 के मौके पर इससे जुड़ी 5 अच्छी आदतों के बारे में जानते हैं।

आज 10 अक्टूबर को दुनियाभर में ‘वर्ल्ड मेंटल हेल्थ डे’ मनाया जा रहा है। इस साल 2025 का थीम है “Access to Services: Mental Health in Catastrophes and Emergencies”, जो हमें याद दिलाती है कि मुश्किल हालातों में भी मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं की पहुंच कितनी जरूरी है, लेकिन सिर्फ मुश्किल समय में ही नहीं, बल्कि रोजमर्रा की जिंदगी में भी हमें अपने मन का ख्याल रखना चाहिए।

खुद से जुड़ें, प्रकृति से करें दोस्ती
अगर आप हमेशा फोन या लैपटॉप पर रहते हैं, तो थोड़ा ब्रेक लें। कुछ देर के लिए बाहर टहलने जाएं। पेड़ों और पक्षियों को देखें। प्रकृति के बीच समय बिताने से मन को शांति मिलती है और तनाव कम होता है। आप अपनी पसंदीदा जगह पर बैठ कर कुछ देर के लिए गहरी सांस ले सकते हैं।

‘ग्रेटिट्यूड जर्नल’ बनाएं
हर रात सोने से पहले एक नोटबुक में उन तीन अच्छी बातों को लिखें जो पूरे दिन में आपके साथ हुईं। यह कोई छोटी सी बात भी हो सकती है, जैसे किसी दोस्त की मदद या कोई स्वादिष्ट खाना। इस आदत से आपका ध्यान नकारात्मक चीजों से हटकर सकारात्मक चीजों पर जाएगा और आप खुश महसूस करेंगे।

अच्छी नींद, स्वस्थ मन
मेंटल हेल्थ के लिए पर्याप्त नींद लेना बहुत जरूरी है। जब आप अच्छी नींद लेते हैं, तो आपका दिमाग शांत होता है और अगली सुबह आप खुद को तरोताजा महसूस करते हैं। कोशिश करें कि रोजाना 7-8 घंटे की नींद लें और सोने से पहले फोन का इस्तेमाल न करें।

‘सेल्फ-केयर’ है जरूरी
दिन भर के काम और जिम्मेदारियों के बीच अपने लिए थोड़ा समय जरूर निकालें। यह समय सिर्फ आपका है। इस दौरान आप अपनी पसंद का कोई काम कर सकते हैं, जैसे गाना सुनना, कोई किताब पढ़ना, पेंटिंग करना या अपने दोस्तों से बात करना। यह ‘मी-टाइम’ आपको रिचार्ज होने में मदद करेगा।

दिल का बोझ हल्का करें
जब मन में कोई परेशानी हो, तो उसे दबाकर न रखें। अपने करीबी दोस्तों, परिवार के सदस्यों या किसी भरोसेमंद व्यक्ति से बात करें। अपनी भावनाओं को व्यक्त करने से दिल का बोझ हल्का होता है और कई बार समस्याओं का समाधान भी मिल जाता है। अगर जरूरत हो तो किसी प्रोफेशनल काउंसलर या थेरेपिस्ट से सलाह लेने में भी बिल्कुल हिचकिचाएं नहीं।

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