सीएम विकास फंड से पार्षदों को मिलेंगे एक-एक करोड़

दिल्ली सरकार ने प्रत्येक पार्षद को एक-एक करोड़ रुपये का फंड देने का निर्णय लिया है। स्थानीय स्तर पर विकास की दिशा में यह बड़ा कदम माना जा रहा है।

एमसीडी के पार्षदों को पहली बार मुख्यमंत्री विकास फंड से विकास कार्यों के लिए धनराशि मिलेगी। दिल्ली सरकार ने प्रत्येक पार्षद को एक-एक करोड़ रुपये का फंड देने का निर्णय लिया है। स्थानीय स्तर पर विकास की दिशा में यह बड़ा कदम माना जा रहा है।

हालांकि, दिल्ली सरकार ने स्पष्ट किया है कि अनधिकृत कॉलोनियों में एमसीडी के जरिये विकास कार्य नहीं कराए जा सकेंगे। इन कॉलोनियों में नालों की सफाई, सड़कों का निर्माण, सीवर व्यवस्था या अन्य बुनियादी कार्य दिल्ली सरकार के अलग-अलग विभाग सिंचाई एवं बाढ़ नियंत्रण विभाग और डीएसआईआईडीसी के माध्यम से ही कराए जाएंगे। दरअसल, इन कालोनियों में ये विभाग पहले से ही कार्य कर रहे हैं। इस वजह से पार्षदों के सामने परेशानी खड़ी हो गई है। स्थानीय स्तर पर जनता पार्षद से ही जवाबदेही चाहती है लेकिन अब फंड होने के बावजूद उन्हें दिल्ली सरकार के विभागों के अधिकारियों पर निर्भर रहना पड़ेगा। पार्षदों का कहना है कि उनका इन विभागों के अधिकारियों से कोई तालमेल नहीं है जिससे कार्यों के क्रियान्वयन में देरी और अड़चनें आ सकती हैं।

भाजपा के पार्षदों ने इस मुद्दे को महापौर राजा इकबाल सिंह और स्थायी समिति की अध्यक्ष सत्या शर्मा के सामने रखा है और मांग की है कि ऐसी व्यवस्था बने जिससे अनधिकृत कॉलोनियों में भी विकास कार्य एमसीडी के माध्यम से ही कराए जा सकें। उनका कहना है कि एमसीडी ही जनता से सीधे जुड़ा हुआ स्थानीय निकाय है और क्षेत्र की जरूरतों को सबसे अच्छे तरीके से समझता है।
राजधानी में करीब 1800 अनधिकृत कॉलोनियां हैं जहां लाखों लोग रहते हैं।

सरकार की अहम पहल
राजनीतिक तौर पर दिल्ली सरकार की इस पहल को खासा अहम माना जा रहा है। अब तक पार्षदों की सबसे बड़ी शिकायत यही रहती थी कि उनके पास फंड की कमी है जबकि जनता उनसे ही अपेक्षाएं रखती है। इस बार मुख्यमंत्री विकास फंड से सीधा आवंटन कर दिल्ली सरकार ने पार्षदों को सशक्त बनाने की कोशिश की है लेकिन अनधिकृत कॉलोनियों को लेकर बनी व्यवस्था ने इस पहल की धार को कुछ कमजोर कर दिया है। फिलहाल, पार्षदों को पहली बार फंड मिलने से उनके वार्डों में काम की नई संभावनाएं तो खुल गई है।

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