सीएम उमर अब्दुल्ला का बयान: केंद्र का वादा सिर्फ छलावा, क्या पाकिस्तान तय करेगा जम्मू-कश्मीर की स्टेटहुड?

जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने केंद्र सरकार पर पूर्ण राज्य की मांग और छठा अनुसूची देने के वादे पूरे न करने का आरोप लगाया है, जिससे दोनों इलाकों में भरोसे की खाई बढ़ी है। उन्होंने कहा कि केंद्र की देरी और भरोसेमंद नीतियों के अभाव से जनता में गहरा अविश्वास पैदा हो रहा है।
जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने केंद्र सरकार पर जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के स्टेटहुड के वादों को पूरा न करने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि केंद्र की इस चूक से दोनों ही इलाकों में विश्वासघात हुआ है और राज्य की दर्जा बहाली में हो रही देरी से जनता में गहरा अविश्वास पैदा हो रहा है।
उमर ने यह बात वरिष्ठ पत्रकार और लेखक हरिंदर बावेजा की नई किताब ‘They Will Shoot You, Madam: My Life Through Conflict’ के लोकार्पण के दौरान कही। उन्होंने बताया कि केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर के लिए जो रोडमैप दिया था, पहले सीमांकन, फिर चुनाव और अंत में स्टेटहुड उसका तीसरा चरण कहीं नहीं दिख रहा है।
लद्दाख के मामले में भी केंद्र पर धोखा देने का आरोप लगाया। लद्दाख के लोगों को हिल काउंसिल चुनावों में भाग लेने के लिए छठा अनुसूची का वादा किया गया, जबकि यह लगभग असंभव था क्योंकि लद्दाख की सीमाएं चीन और पाकिस्तान से लगी हैं और वहां पर्याप्त सुरक्षा की आवश्यकता है, जो छठा अनुसूची देने से मुश्किल हो जाती है।
उमर ने पर्यावरण कार्यकर्ता सोनम वांगचुक के खिलाफ केंद्र की अचानक कार्रवाई पर भी सवाल उठाए। कहा कि पहले वांगचुक प्रधानमंत्री की तारीफ करते थे और लद्दाख को यूटी दिए जाने की खुशी जाहिर करते थे, लेकिन अब अचानक उन पर पाकिस्तान से संबंधों का आरोप लगाया जा रहा है।
24 सितंबर को लद्दाख में स्टेटहुड और छठा अनुसूची शामिल करने की मांग को लेकर हुए विरोध प्रदर्शन में हिंसा भड़क उठी थी, जिसमें चार लोग मारे गए और कई घायल हुए। इसके बाद वांगचुक को राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम के तहत हिरासत में लिया गया।
उमर ने कहा कि जम्मू-कश्मीर के लोगों ने हाल के चुनावों में भारी भागीदारी दिखाकर अपनी प्रतिबद्धता जताई है, लेकिन केंद्र की अधूरी वादाखिलाफी से जनता का भरोसा टूट रहा है। सुप्रीम कोर्ट के उन बयानों की भी आलोचना की, जिसमें स्टेटहुड की मांग पर स्थानीय परिस्थितियों जैसे पहलगाम आतंकी हमले को ध्यान में रखने को कहा गया था।
उन्होंने पूछा, क्या पाकिस्तान अब तय करेगा कि जम्मू-कश्मीर को स्टेटहुड मिले या नहीं? उमर ने जोर देकर कहा कि स्टेटहुड किसी ‘अच्छे व्यवहार के लिए इनाम’ नहीं होना चाहिए।
यह मुद्दा जमीन का नहीं, बल्कि कश्मीरी लोगों का है। लोग फिर से अपने अधिकारों और सम्मान की भावना महसूस करना चाहते हैं।
केंद्र के इस रवैये से जनता का भरोसा कम हो रहा है, जबकि जनता ने बार-बार अपनी आवाज उठाई है और लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं में भाग लेकर अपनी प्रतिबद्धता दिखाई है।